अफ्रीका महाद्वीप

अफ्रीका महाद्वीप-इस पोस्ट में हम आप को अफ्रीका देश की भोगालिक विस्तार के बारे में जाकारी देगें जिसे आप को अफ्रीका महाद्वीप के बारे में और बहुत अच्छी जानकारी मिल सके

  • स्थिति एवं विस्तार – अफ्रीका क्षेत्रफल की दृष्टि से विश्व का दूसरा बड़ा महाद्वीप है।
  • इसका क्षेत्रफल 3,02,46,121 वर्ग किमी. है।
  • यह पृथ्वी के कुल स्थलीय क्षेत्र के (20.4%) प्रतिशत भाग पर फैला हुआ है।
  • यहाँ विश्व की 16 प्रतिशत जनसंख्या (2013) निवास करती है।
  • विषुवत रेखा इस महाद्वीप को दो बराबर भागों में विभाजित करती हैं।
  • विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल सहारा और सबसे लम्बी नदी नील इसी महाद्वीप में है।
  • इस महाद्वीप में 54 देश सम्मिलित हैं। दक्षिण सूडान नया देश (2011) में बना।
  • इस महाद्वीप की तट रेखा की लम्बाई 30,500 किमी. है।
  • अन्य महाद्वीपों की तुलना में अफ्रीका महाद्वीप के क्षेत्रफल की तुलना में इसकी तटरेखा की लम्बाई आनुपातिक रूप से कम है।
  • एकमात्र महाद्वीप जिसमें से कर्क रेखा, भूमध्य रेखा और मकर रेखा गुजरती हैं।

भौगोलिक स्थिति

  • पश्चिम में – अटलांटिक महासागर
  • पूर्व में – हिन्द महासागर
  • दक्षिण में – अंटार्कटिक महासागर
  • उत्तर में – भूमध्य सागर (स्वेज नहर)
  • उत्तर पूर्व में – लाल सागर
  • अफ्रीका महाद्वीप में 54 देश हैं जिसमें से मुख्य 48 देश हैं।
  • जनसंख्या में सबसे बड़ा देश नाइजीरिया है।
  • क्षेत्रफल में सबसे बड़ा देश अल्जीरिया है।

अफ्रीका महाद्वीप के छह द्वीपीय देश निम्नलिखित है।

  • मेडागास्कर (हिन्द महासागर का सबसे बड़ा द्वीप है।
  • मॉरीशस (हिन्द महासागर)
  • कोमेरोन (हिन्द महासागर)
  • शेसेल्स (हिन्द महासागर)
  • केपवर्दे (अटलांटिक महासागर)
  • साओटोमे (अटलांटिक महासागर)

भूमध्य रेखा – साओ टोमे, गैबन, कांगो गणराज्य, जायरे, युगांण्डा, केन्या, सोमालिया देशों से गुजरती हैं।

कर्क रेखा  पश्चिमी सहारा, मोरीटानिया, माली, अल्जीरिया, लीबिया, मिश्र देशों से गुजरती हैं।

मकर रेखा – नामीबिया, बोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका, मोजांबिक, मेडागास्कर देशों से गुजरती हैं।

जल संधियाँ

जिब्राल्टर जल संधि – यह जल संधि अलांटिक महासागर को भूमध्य सागर से जोड़ती है।

मोजाम्बिक जल संधि – मेडागास्कर तथा मोजाम्बिक के मध्य स्थित है।

बाब अल मेंण्डाव जल संधि – जिबूती अफ्रीका को यमन एशिया से जोड़ती है। बाब उल मेंण्डाव जल संधि को आँसुओं का द्वार कहा जाता है।

जल प्रपात

स्टेनली जल प्रपात – मध्य अफ्रीका देश कांगो नदी पर स्थित एक प्राकृतिक जल प्रपात है जो भूमध्य रेखीय वनों में स्थित है।

लिविंग स्टोन जलप्रपात – यह जल प्रपात अफ्रीका महाद्वीप के कांगो में कांगो नदी पर अवस्थित है।

मरुस्थल

कारु मरुस्थल (Karoo Desert) :- दक्षिण अफ्रीका का कारु मरुस्थल केप प्रांत में अवस्थित है।

साहेल (Sahel) :- सहारा मरुस्थल के दक्षिण में पश्चिम से पूर्व की ओर एक अर्द्ध मरुस्थल पेटी। साहेल मरुस्थल में माली, नाइजर, चाड, दक्षिणी सूडान, केन्या सम्मिलित हैं।

वेस्टर्न मरुस्थल :- लीबिया में फैला हुआ सहारा मरुस्थल का भाग इस शुष्क मरुस्थल में औसत वर्षा 15 सेमी. से कम है।

कालाहारी मरुस्थल :- अफ्रीका के बोत्सवाना देश में स्थित एक मरुस्थल जिसके पूर्व ड्रेकेन्स बर्ग पर्वत्, दक्षिण कारु पर्वत तथा पश्चिम चेला पर्वत स्थित है।

नूबियन मरुस्थल :- मिस्त्र तथा सूडान की पूर्वी सीमा पर लाल सागर के पश्चिम तट पर स्थित एक मरुस्थल।

नामिब मरुस्थल :- दक्षिण-पश्चिम अफ्रीका में नामीबिया देश का एक शीत जल मरुस्थल है। इसके पश्चिम बेंगुला शीतल जल धारा दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है।

सहारा मरुस्थल :- यह विश्व का सबसे बड़ा व गर्म मरुस्थल अफ्रीका के उत्तरी-पश्चिमी भाग में विस्तृत है।

पठार

अबीसीनिया :- पूर्वी अफ्रीका के इथोपिया में से स्थित आग्नेय चट्‌टानों से निर्मित एक पठार, जिसकी सर्वोच्च चोटी रासदशान है।

कैफ पठार :- दक्षिण अफ्रीका में ऑरेंज नदी के उत्तर में स्थित एक अन्त: स्थलीय शुष्क पठार

टेड माल्ट पठार :- अल्जीरिया के मध्यवर्ती भाग में स्थित एक पठार जहाँ से वापीम्या तथा वादी जाउरो नदियाँ उत्तर की तरफ प्रवाहित होती है।

टांगा नीका पठार:- अफ्रीका महाद्वीप के तंजानिया में टांगा नीका झील के पूर्व स्थित बेसाल्ट पठार।

बाई का पठार:- अंगोला स्थित उच्चभूमि तथा अनेक नदियों का उद‌्गम व प्रवाह क्षेत्र हैं। जाम्बेजी नदी का उद‌्गम इसी पठार से होता है।

अदामावा का पठार:- नाइजीरिया व कैमरून की सीमा पर अवस्थित इस पठारी भाग से अनेक नदियों का उद‌्गम होता है।

कटंगा का पठार :- जायरे स्थित ताँबा व हीरा उत्पादक क्षेत्र है। कांगो या जायरे नदी का उद‌्गम इसी पठार से होता है।

तासिली का पठार :- अल्जीरिया के पूर्वी भाग में अवस्थित तासिली का पठार पर्वतपादीय पठार है।

उबांगी पठार:- अदामावा पठार के पूर्वी भागों में सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक क्षेत्र में उच्च पठारी भाग है।

अहाग्गार का पठार :- अल्जीरिया, लीबिया व नाइजर के मध्यवर्ती क्षेत्रों में स्थित यह पठार एक पर्वतीय पठार है।

जोस का पठार :- नाइजीरिया स्थित यह पठार टिन के निक्षेपों से सम्बद्ध है। नाइजीरिया का प्रमुख शहर कानों इसी पठार पर अवस्थित है।

नदियाँ

ऑरेंज नदी :- यह नदी दक्षिणी अफ्रीका के ड्रेंकेसबर्ग पर्वत से निकलकर लेसोथो, दक्षिण अफ्रीका तथा नामीबिया की सीमा के सहारे प्रवाहित होती हुई दक्षिणी अटलांटिक महासागर के अलेक्जेंडर की खाड़ी में गिरती है।

ओकावांगो नदी :- इसे कुबांगो नदी भी कहा जाता है। यह अंगोला से निकलकर कालाहारी मरुस्थल के उत्तर बोत्सवाना में स्थित एक शुष्क बेसिन में गिरकर सूख जाती है।

ओमी नदी :- यह नदी इथियोपियाई उच्च भूमि के दक्षिण-पश्चिमी भाग से निकलकर रूडोल्फ झील के उत्तरी भाग में गिरती है।

जाम्बेजी नदी :- यह नदी कटंगा उच्च भूमि से निकलकर जाम्बिया देश में प्रवेश करती है। जाम्बिया तथा जिम्बाब्वे की सीमा बनाती हुई मोजाम्बिक देश से होकर मोजाम्बिक की खाड़ी (हिन्द महासागर) में गिर जाती है। विक्टोरिया प्रपात इसी नदी पर स्थित है।

ब्लू नील नदी :- नील नदी की मुख्य सहायक नदी जो इथियोपिया की टाना झील से निकलकर उत्तर की ओर बहती हुई खार्तुम के स्थान पर सफेद नील के साथ संगम बनाती है।

नील नदी :- पूर्वी अफ्रीका में बहने वाली यह नदी विश्व की सबसे लम्बी नदी है। विक्टोरिया झील से सफेद नील नाम से निकलकर, युगांडा तथा मिस्र से बहती हुई नील नदी भूमध्य सागर में अपना जल गिराती है।

नाइजर नदी :- नाइजर पश्चिम अफ्रीका की मुख्य नदी है। लोमा पर्वत से निकलकर यह नदी माली, नाइजर तथा नाइजीरिया से होती हुई गिनी की खाड़ी में अपना जल गिराती है।

कांगो नदी :- मध्य अफ्रीका की तेज बहने वाली कांगो नदी विषुवत रेखा को 2 बार काटती है। विश्व में सबसे अधिक पनबिजली उत्पादन करने की शक्ति इसी नदी में है।

लिम्पोपो नदी :- दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसवाल क्षेत्र से निकलकर हिंद महासागर में गिरने वाली यह नदी मकर रेखा को 2 बार काटती है। यह नदी दक्षिण अफ्रीका को बोत्सवाना तथा जिम्बाब्वे से अलग करती है।

सेनेगल नदी :- पश्चिमी अफ्रीका के फुटा जलोन क्षेत्र से निकलकर अटलांटिक महासागर में गिरती है। यह नदी सेनेगल तथा मॉरिटानिया की सीमा बनाती है।

जूबा नदी :- पूर्वी अफ्रीका की वह नदी जो इथियोपियन उच्च भूमि से निकलकर सोमालिया में बहते हुए हिंद महासागर में गिरती है।

वाल नदी :- यह नदी ड्रेकेन्सवर्ग पर्वत से निकलती है। यह ऑरेंज नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है।

पर्वत

टॉबकल पर्वत :- यह पर्वत शिखर अफ्रीका के मोरक्को देश में अवस्थित है। यह अफ्रीका के उत्तरी भाग में विस्तृत एटलस पर्वत श्रेणी का सर्वोच्च शिखर है।

माउंट केन्या :- यह पर्वत शिखर अफ्रीका के केन्या में अवस्थित है। इसकी ऊँचाई 5,199 मीटर है। यह एक मृत ज्वालामुखी पर्वत है।

माउंट किलिमंजारो :- यह अफ्रीका में केन्या व तंजानिया की सीमा पर अवस्थित है। यह एक सुसुप्त ज्वालामुखी पर्वत है। इसकी ऊँचाई 5,822 मीटर है। यह अफ्रीका का सर्वोच्च शिखर है।

माउंट एल्गन :- अफ्रीका के केन्या व युगांडा की सीमा पर अवस्थित एक ज्वालामुखी पर्वत है। इसकी ऊँचाई 4,321 मीटर है।

माउंट रूबेन जोरी :-  यह अफ्रीका के कांगो व युगांडा की सीमा पर अवस्थित यह पर्वत शिखर माउंटेस ऑफ द मून के नाम से जाना जाता है।

अहमर पर्वत :- इथोपिया में भ्रंश घाटी के दक्षिणी सिरे पर स्थित एक पर्वत श्रेणी है।

अंकारात्रा पर्वत :- मेडागास्कर द्वीप के पूर्वी तट पर स्थित एक पर्वत श्रेणी जिसकी सर्वोच्च चोटी 2644 मीटर ऊँची है।

कटंगा पर्वत :- इसे साबा पर्वत भी कहा जाता है। यह कांगो जायरे के दक्षिणी भाग में स्थित 576 मीटर ऊँचा एक पर्वत है।

ड्रेकेन्स बर्ग पर्वत :- दक्षिणी अफ्रीका के पूर्वी तट पर दक्षिण अफ्रीका तथा लोसोथे में विस्तृत एक पर्वत श्रेणी जिसका सर्वोच्च शिखर थबाना नैट्लेनयाना 3,482 मीटर ऊँचा है।

माउंट कैमरून :- नाइजीरिया व कैमरून में विस्तृत यह पर्वत खनिज संसाधन की दृष्टि से काफी समृद्ध है।

लोमा पर्वत:- यह पर्वत श्रेणी गिनी व सयेरा लियोन से विस्तृत है।

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