लाल रक्त कणिकाएं ( Red Blood Cells )– इनको इरिथ्रोसाइटस भी कहते हैं। इनका निर्माण लाल अस्थि मज्जा में होता है (जन्म के बाद में)। गर्भस्थ शिशु (featus) में इनका निर्माण यकृत एवं प्लीहा में होता है।
वयस्क मनुष्य में R.B.C. की संख्या : पुरूष में 50 से 55 लाख/ cumm3 of Blood तथा स्त्री में 45 से 50 लाख/cumm3 of Blood। मछली, उभयचर, सरीसर्प एवं एवीज वर्ग में लाल रूधिर कणिकाओं में केन्द्रक पाया जाता है एवं आकृति अण्डाकार होती है जबकि स्तनधारियों की R.B.C. में केन्द्रक Absent होता है। आकृति Biconcave (द्विअवतल) होती है केवल ऊंट एवं लामा को छोड़कर।
Red Blood Cells
मनुष्य में स्थित लाल रूधिर कणिकाओं का व्यास 7-8 \muμm होता है। स्तनधारियों में कसतुरी मृग में सबसे छोटी Size की R.B.C. हाती है। R.B.C. का जीवन काल 120 दिन होता है।
परिपक्व R.B.C. में – केन्द्रक, माइट्रोकॉन्ड्रिया, अन्तःप्रद्रव्यी जालिका, गॉल्जीकाय एवं राइबोसोम नहीं पाया जाता है क्योंकि हिमोग्लोबिन की अधिकता है।
मनुष्यों में पुरूषों में 14-16 gm/100 mm3 एवं स्त्रियों में 13.5-14.5 gm/100 mm3 हिमोग्लोबिन 100 ml रूधिर में पाया जाता है।
R.B.C. का मुख्य कार्य गैसों (O2 एवं CO2) का शरीर के विभिन्न भागों में परिवहन करना है। पुरानी एवं क्षतिग्रस्त लाल रूधिर कोशिकाओं का भक्षण प्लीहा spleen करती है अतः प्लीहा को R.B.C. का कब्रिस्तान कहते हैं।
हिमोग्लोबिन संश्लेषण के लिये आयरन Fe+2 तथा प्रोटीन (ग्लोबिन) आवश्यक कच्ची सामग्री है। R.B.C. के परिपक्वन के लिये Vit- B12 तथा Folic Acid आवश्यक है अतः इनकी कमी होने पर रक्तहीनता (Anemia) रोग हो जाता है।
R.B.C. के निर्माण को इरिथ्रियोसाइटोसिस कहते हैं। इरिथ्रियोसाइटोसिस के लिये Kidney (वृक्क) से स्त्रावित इरिथ्रिपॉइटिन (Erythryopoiten) नामक हार्मोन उत्तेजित करता है।
पहाड़ों पर रहने वाले मनुष्य में R.B.C. की संख्या सामान्य मनुष्यों से अधिक पायी जाती है।