लार ग्रंथियाँ – पाचन तंत्र
- यवला – यह मांसपेशियों से बना होता है। यह भोजन को मार्ग देता है, जिसे भोजन ग्रसनी में प्रवेश करता है।
- कुछ व्यक्तियों में सोते समय यवला का आकार बढ़ जाता है जिससे यवला कठोर तालु से टकराती है और एक ध्वनि का निर्माण करती है, जिसे खराटे कहा जाता है।
जीभ – यह मांसपेशियों का बना होता है।
कार्य – जीभ पर छोटे-छोटे कणनुमा संरचनाएँ पायी जाती है, जिन्हें स्वाद कलिका कहा जाता है जो स्वाद के ज्ञान में सहायक है। - उम्र बढ़ने के साथ स्वाद कलिकाओं की संख्या में कमी आ जाती है।
- जीभ बोलने में सहायक है।
- जीभ भोजन को घुमाने में सहायक है।
लार ग्रंथियाँ
- मानव में लार ग्रंथियों की संख्या 3 जोड़ी होती हैं।
- लिंग्वल
- सब लिंग्वल
- पेरोटिड
- लाल ग्रंथियाँ लार का स्त्राव करती हैं।
लार संगठन
- टायलिन/लाल एमाइलेज – टायलिन भोजन में उपस्थित स्टार्च का आंशिक पाचन करके उसे माल्टोज में परिवर्तित कर देता है। मुख गुहा में 30 प्रतिशत स्टार्च का पाचन होता है।
- लाइसोजाइम – यह भोजन में उपस्थित जीवाणुओं तथा कीटाणुओं को मारने का कार्य करता है। गौमूत्र में इसकी मात्रा सर्वाधिक होती है। इस कारण गौमूत्र को पवित्र माना जाता है।
- ग्रसनी– ये भोजन तथा वायु का उभयनिष्ठ मार्ग है।
- ग्रसनी में पाचन की प्रक्रिया नहीं होती है।
हिचकी – कई बार भोजन में तीव्र संकुचन व शिथिलन होता है। जिसने एक ध्वनि का निर्माण होता है, उसे हिचकी कहा जाता है।