रूधिर स्कन्दन (Blood Clotting) : इसे रूधिर का थक्का बनना कहते हैं। यह एक जटिल प्रक्रिया है जब किसी शरीर के भाग से करने पर रूधिर निकलता है। तब रूधिर में उपस्थित प्लेटलेटस से स्त्रावित रासायनिक पदार्थ रूधिर के प्रोटीन से क्रिया करके प्रोथ्रोम्बोप्लास्टीन नामक पदार्थ में बदल जाती है।
रक्त का थक्का जमना
- प्रोथ्रोम्बोप्लास्टीन + रूधिर का Ca++→ थ्रोम्बोप्लास्टीन बनता है।
- फाइब्रिन + R.B.C. → रूधिर का थक्का
इस प्रोथ्रोम्बोप्लास्टीन से थ्रोम्बोप्लास्टीन बनता है। यह थ्रोम्बोप्लास्टीन प्रोथ्रोम्बीन को सक्रिय थ्रोम्बीन में बदलता है।
यह थ्रोम्बीन फाइब्रिनोजन में अघुलनशील फाइब्रिन में बदल देता है। यह अघुलनशील फाइब्रिन बारीक जालनुमा संरचना बनाते हैं जिससे प्लेटलेट्स उलझ जाती है एवं रक्त का बहना रूक जाता है एवं रूधिर का थक्का बन जाता है।
मानव रक्त में पाया जाने वाला हिपैरीन (एन्टीप्रोथ्रोम्बीन) रक्त को रक्त वाहिनियों में जमने से रोकता है अर्थात् तरल दशा में बनाये रखता है।
रक्त बैंक में मानव रक्त को 30 दिन तक सुरक्षित रखा जा सकता है। बैंक में मानव रक्त को सोडियम नाइट्रेट व डेक्सट्रेट (घुलनशील कार्बोहाइड्रेट) के साथ मिलाकर 4ºC पर रखते हैं।
रूधिर शरीर के ताप को एक सा (समान) बनाये रखता है। सर्वप्रथम विलियम हार्वे और मारसैली मैलपीधी ने यह सिद्ध किया था कि मनुष्य में रक्त का परिसंचरण बन्द नलिकाओं में होता है।