छोटी आँत – पाचन तंत्र

छोटी आँत (Small intestines)

  • शरीर में सर्वाधिक पाचन की प्रक्रिया छोटी आँत में होती है।

छोटी आँत  के भाग (3) :- लम्बाई का क्रम – (D<J<I) 

ग्रहणी (ड्‌येडेनम)

  • यह छोटी आँत का भाग है।
  • छोटी आँत का सबसे छोटा व सबसे चौडा भाग है।

मध्यांत्र (जेजुनम)

  • ग्रहणी मध्यांत्र में खुलती है, मध्यांत्र की लम्बाई ग्रहणी से ज्यादा होती है।

क्षुद्रांत्र (इलियम)

  • यह छोटी आँत का सबसे बड़ा भाग है।
  • छोटी आँत के ग्रहणी वाले भाग में 2 प्रकार के रस आते है।

अग्नाशय रस

  • यह अग्नाशय ग्रंथि से निकलता है।
  • इसे पूर्ण पाचक तथा सबसे शक्तिशाली रस कहा जाता है।

अग्नाशय रस में निम्न एन्जाइम पाये जाते हैं

  1. एन्टेरोकाइनेज – ट्रिप्सीन जो निष्क्रिय है, उसे सक्रिय कर क्राइमोट्रिप्सीन में बदलता है।
  2. काइनोट्रिप्सीन – यह प्रोटीन का पाचन करता है।
  3. लाइपेज – वसा का पाचन करता है।
  4. एमाइलेज – कार्बोहाइड्रेट का पाचन करता है।
  5. न्यूक्लिऐज – न्युक्लिक अम्ल का पाचन
  6. न्युक्लियोटाइडेज – न्युक्लियोटाइड का पाचन करता है।
  7. सुक्रेज – सुक्रोज का पाचन करता है।
  8. लेक्टेज – लेक्टोज का पाचन करता है।
  9. माल्टेज – माल्टोज का पाचन करता है।
  10. इरेप्सिन – पॉलीपेप्टोइडों को अमिनो अल्मों में बदलता है।
  11. आर्जिनेस – यह आर्जिनीन अमीनों अम्ल को यूरिया में बदलता है।

पितरस

  • पितरस का निर्माण यकृत में होता है तथा इनका भण्डारण पिताशय में होता है।
  • पितरस में कोई एन्जाइम नहीं पाया जाता है।
  • भोजन को क्षारीय माध्यम देता है।
  • पिताश्य में पित लवण के जमाव से, पित रस का भण्डारण नहीं होता है।

पायसीकरण – वसा के बड़े-बड़े अणुओं को छोटे-छोटे अणुओं में तोड़ने की प्रक्रिया पायसीकरण कहलाती है।

पीलिया

  • विषाक्त पदार्थों के सेवन से बिलरूबिन व बिलवरडिन की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे आँख, त्वचा व नाखून पीले पड़ जाते हैं।
  • पीलिया रोग में यकृत सर्वाधिक प्रभावित होता है।

 एपेन्डिक्स

  • यह बड़ी आँत के प्रारंभिक भाग में पाया जाता है।
  • वर्तमान में यह मानव का अवशेषी अंग है।
  • खरगोश के एपेन्डिक्स में E-Coli नामक सूक्ष्म जीव पाया जाता है, जो सेल्युलोज का पाचन करता है।
  • कई बार भोजन का टुकड़ा एपेन्डिक्स में चला जाता है। यह भोजन एपेन्डिक्स में सड़ जाता है। जिससे विषैली गैसों का निर्माण होता है एवं इन विषैली गैसों के दबाव के कारण एपेन्डिक्स का आकार बढ़ जाता है फिर इसे डॉक्टर की सहायता से हटा दिया जाता है।
  • Note : छोटी आँत में ब्रुनर ग्रंथियाँ पायी जाती है।
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