मानसिक व शारीरिक गत्यात्मक विकास

बाल-विकास के प्रकार

मानसिक विकास वह योग्यता है, जिसमें व्यक्ति अपनी समस्याओं का समाधान कर वातावरण का शिकार होने से बचता है।

मानसिक विकास

  • 5 वर्ष के बालकों का मानसिक विकास 90% तक हो जाता है।
  • बालकों का सर्वाधिक व तीव्र गति से मानसिक विकास शैशवावस्था में होता है।
  • 12 वर्ष की आयु में बालकों का भाषाई विकास पूर्ण हो जाता है।
  • 16 वर्ष की आयु मे बालको का मानसिक विकास पूर्ण हो जाता है।

मानसिक विकास की परिभाषा

  • गुडएवक – बालक-बालिकाओं का जितना भी मानसिक विकास होता है उसका आधा विकास प्रांरभिक तीन वर्षों मे हो जाता है।
  • थॉर्नडाइक – 3-6 वर्ष का बालक प्राय: अर्द्धस्वपन की दशा में रहता है।2 से 9 वर्ष तक का बालक किसी वस्तु का पूर्ण रूप देख सकता है।

मानसिक विकास का क्रम

  • 1 माह का बालक –आवश्यकता पूर्ति के लिए आवाज करता है।
  • माह का बालक –ध्वनि/चमकीली वस्तुओं की ओर ध्यान आकर्षित करता है।
  • माह का बालक –अपनी माँ को पहचान ने लगता है।
  • माह का बालक –अपने नाम को समझने लगता है।
  • 6 माह का बालक –अपने परिचितों को देखकर मुस्कुराता है।
  • माह का बालक –अपनी पंसद की वस्तुको जमीन से उठाने लगता है।
  • 10 माह का बालक –अपने परिवार के आसपास का वातावरण समझ ने लगता है।
  • 12 माह का बालक – 12 माह का बालक छोटे छोटे अनुकरण करने लगता हैएवं एक/दो अक्षरों के सार्थक शब्द बोलने लगता हैं।
  • 18 माह का बालक –अपनी पसंद की वस्तुओं को संकेतों से माँगने लगता हैं।
  • 24 माह का बालक –नाम पूछने पर नाम बतानाएवं शरीर के अंगो के नाम बताने लगता है।
  • 36 माह का बालक – 4-5 अक्षरों के खण्ड एवं 1-7 तक गिनती बोलने लगता है।
  • 4 वर्ष का बालक – 1-10 तक की गिनती एवं 5-7अक्षरों के शब्द बोलने लगता है।
  • वर्ष का बालक –इन्द्र धनुष के रंगो के नाम बताने लगता है।
  • वर्ष का बालक –व्याकरण की दृष्टि से शुद्ध शब्द बोलने लगता है।
  • वर्ष का बालक –छोटीछोटी कहानियाँ कविताएँ बोलने लगता है।
  • 8 वर्ष का बालक –अपने जीवन की सामान्य समस्याओं का समाधान स्वयं करने लगता है।
  • वर्ष का बालक –गणित की सरल प्रक्रियाएँ हल करने लगता है।
  • 10 वर्ष का बालक –गणित की जटिल प्रक्रिया हल कर सकता हैं।
  • 12 वर्ष का बालक –भाषा विकास पूर्ण हो जाता है।
  • 16 वर्ष का बालक – 16 वर्ष के बालको का मानसिक विकास पूर्ण हो जाता है।

शारीरिक विकास

मेरीडिथ ने लिखा की – गर्भावस्था के प्रारंभ एवं वृद्धावस्था की समाप्ति के बीच घटने वाली शारीरिक एवं देहिक परिवर्तनों की सम्पूर्ण श्रृखंला- शारीरिक विकास कहलाता है।

शारीरिक विकास की अवस्थाऐं

शैशवावस्था में शारीरिक विकास

  • 280 दिन या 9 माह 11 दिन
  • नवजात शिशु की उम्र 0-30 दिन या 2 सप्ताह
  • नवजात की लम्बाई 19-20 इंच
  • माह के बाल की लम्बाई – 21 इंच
  • वर्ष के बालक की लम्बाई – 101 सेमी/38-40 इंच
  • नवजात का वजन – 3 किलो/ 7-8 पौंड
  • वर्ष के बालक का वजन – 15-16 किलो
  • नवजात के मुँह में दाँतो की संख्या – 20 (आंतरिक)
  • नवजात शिशु में हडि्डयों की संख्या 270
  • नवजात की श्वसन क्रिया – 45/मिनट
  • नवजात के सिर का वजन – 350 ग्राम
  • वर्ष के बालक की हृदय – 100/मिनट
  • वर्ष के बालक की श्वसन क्रिया – 28/ मिनट

बाल्यावस्था में शारीरिक विकास

  • बाल्यावस्था के प्रारंभ व अंत में शरीर की लम्बाई 108-136 सेमी
  • बाल्यावस्था के प्रारंभ व अंत में वजन – 15-16-27-28 किलो
  • बाल्यावस्था के प्रारंभ व अंत में हृदय की धड़कन 100-85/मिनट
  • बाल्यावस्था में हडि्डयों की संख्या – 350 सबसे अधिक
  • बाल्यावस्था में दाँतो की संख्या – 28
  • बाल्यावस्था में सिर का वजन – 950 – 1150 ग्राम

किशोरावस्था में शारीरिक विकास

  • किशोरावस्था के प्रारंभ व अंत में लम्बाई – 138-165 सेमी.
  • किशोरावस्था के प्रारंभ व अंत में वजन – 27-28/47-48
  • किशोरावस्था में हृदय की धड़कन 72 मी.
  • किशोरावस्था में श्वसन क्रिया – 14-16 मी.
  • किशोरावस्था में सिर का वजन – 1350 ग्राम
  • किशोरावस्था में हडि्डयों की संख्या- 206

Motor Development | गत्यात्मक विकास की अवधारणा

गत्यात्मक विकास का शारीरिक विकास के साथ गहरा सबंध होता है। इन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। ये एक-दूसरे के पूरक होता है।

गत्यात्मक विकास का क्रम

  • 1 माह का बालक –अपने सिर को ऊपर उठाने लगता हैं।
  • माह का बालक –सहारे के साथ बैठ सकता हैं।
  • माह का बालक –बिना सहारे के बैठ सकता हैं।
  • माह का बालक –अपने घूटनों के बल चलने लगता हैं।
  • 10 माह का बालकसहारे के साथ खड़ा हो सकता हैं।
  • 12 माह का बालक –बिना सहारे के खड़ा हो सकता हैं।
  • 18 माह का बालक –चलने लगता हैं।
  • 24 माह का बालक –दौड़ने लगता हैं।
  • 36 माह का बालक –अपने स्थान से उछल-कूद कर सकता हैं।
  • 5 वर्ष का बालक –अपने वजन का आधा वजन उठा सकता हैं।
  • 10 वर्ष का बालक –अपने वजन के बराबर का वजन उठा सकता हैं।
  • 18 वर्ष का बालक–अपने वजन का दो गुना वजन उठा सकता हैं।
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