बाल-विकास के सिद्धांत
भाषाई विकास सिद्धांत
नाम चामोत्स्की को भाषाई विकास का जनक माना जाता है। चामोस्त्की का मानना था कि बालक में भाषा ग्रहण करने की जन्मजात प्रवृत्ति होती है जिसे भाषा अर्जन तंत्र (LAD) कहते हैं। चामोत्स्की एक भाषाविद् थे।
चामोत्स्की के अनुसार – बालक-बालिकाओं को भाषाई ज्ञान सिखाया नहीं जा सकता क्योंकि बालक जिस भाषा को सुनता है। व्याकरण की दृष्टि से उन्हें सीख लेता है। इस कारण इसे Generative grammer thory भी कहते हैं।
चामोत्स्की के अनुसार बालक निश्चित संख्या से कुछ निश्चित नियमों का अनुकरण करते हुए कई वाक्यों का निर्माण करते हैं।
चामोत्स्की ने भाषा विकास की निम्न अवस्थाएँ बताई
- अभिप्रेरणा
- अधिगम के सिद्धांत स्कीनर, हल, गुथरी
- अधिगम के सिद्धांत गैस्टाल्टवाद के अनुसार
- अधिगम का सोपानिकी सिद्धांत
- क्षेत्रवादी के अनुसार अधिगम के सिद्धांत
भाषा विकास का प्रारंभिक रुप
वास्तविक भाषा अभिव्यक्ति से पहले बालक को कई स्थितियों से गुजरना पड़ता है।
क्रन्दन – रोना बच्चे की पहली आवाज है जब तक बालक की आँखों में आँसू नहीं आते तब तक की प्रक्रिया क्रन्दन कहलाती है।
वाटसन के अनुसार शिशुओं के रोने का कारण भूख, भय, थकान होता है।
कोहलर के अनुसार बच्चों के रोने का कारण उच्च स्वर, तीव्र प्रकाश, शारीरिक कष्ट, थकान, निद्रा में बाधा, भूख, तंग क्रयर्ड, भय, खिलौने छिनना होता है।
बबलाना – यह अवस्था 3-8 माह तक देखी जाती है। इस अवस्था में बालक रोचक व विचित्र ध्वनियाँ निकालता है। इनका कोई अर्थ नहीं निकलता है, यह ध्वनियाँ माता-पिता को आनंद देती हैं।
हरलॉक ने बबलाने वाले बच्चों के मनोभावों को स्पष्ट करते हुए लिखा की जब दूसरे बात कर रहे होते हैं। उस समय बबलाना यह प्रदर्शित करता है कि बच्चा उसी समूह से संबंध रखता है। वह कोई बाहरी नहीं है।
बबलाने में स्वर अ, आ, ई, ऐ, ऊ, अं, ओ तथा 8 मास में – या, मा, पा, ना व्यंजन बोलता है।
हाव-भाव/संकेत – इसमें बालक अपने परिचितों को देखकर उनके पास पहुँचने की कोशिश करता है।
वास्तविक भाषा की अभिव्यक्ति – भाषा उसे कहा जाता है जिसे बोलने पर दूसरे उसका अर्थ सही-सही समझ ले। इसी को वास्तविक भाषा कहते हैं।
आकलन – इस अवस्था में बालक को यह ज्ञान हो जाता है कि किसी के पास जाना है या नहीं उसका उसे आभास हो जाता है।
चामोत्स्की ने बालकों का शब्द कोश निम्न बताया
आयु | शब्द भण्डार |
18 माह | 10 शब्द |
2 वर्ष | 272 शब्द |
2 वर्ष | 450 शब्द |
3 वर्ष | 1000 शब्द |
3 वर्ष | 1200 शब्द |
4 वर्ष | 1600 शब्द |
5 वर्ष | 1900 शब्द |
10 वर्ष | 5000 शब्द |
12 वर्ष | 80,000 शब्द |
चामोत्स्की के अनुसार बालक जितने नवीन शब्द सुनता है। उसके अनुभवों में उतनी ही वृद्धि होती है।
मनोवैज्ञानिक अध्ययनों से यह ज्ञात होता है कि लड़कों की अपेक्षा लड़कियों का शब्द भण्डार अधिक होता है।