सामाजिक विकास सिद्धांत
बाण्डूरा (1977) कनाडा। समाज द्वारा मान्य व्यवहार को स्वीकार कर अमान्य व्यवहार को त्यागना ही सामाजिक विकास कहलाता है। बाण्डूरा के अनुसार बालक दूसरे के द्वारा किये जाने वाले कार्यों को देखकर उनका अनुकरण करना सीखता है। अत: बाण्डूरा के अनुसार बालक सर्वाधिक नकल/अनुकरण के माध्यम से सीखता है। बाण्डूरा ने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन करने हेतु जीवित जोकर व गुड़िया पर प्रयोग किया।
बाण्डूरा ने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन करने हेतु चार सौपान बताये।
- अवधान
- धारण
- पुन: प्रस्तुतिकरण
- पुनर्बलन
- अभिप्रेरणा
- अधिगम के सिद्धांत स्कीनर, हल, गुथरी
- अधिगम के सिद्धांत गैस्टाल्टवाद के अनुसार
- अधिगम का सोपानिकी सिद्धांत
- क्षेत्रवादी के अनुसार अधिगम के सिद्धांत
शैक्षिक महत्व
- दूसरों के व्यवहार को देखकर सीखना सामाजिक अधिगम कहलाता है।
- जिसको देखकर बालक व्यवहार करना सीखता है। उसे प्रतिमान कहते हैं।
- बालक के व्यक्तित्व निर्माण में यह सिद्धांत उपयोगी है।
- छोटे बालकों के समक्ष गलत शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि बालक अनुकरण द्वारा सीखता है।
- बालकों को वीर पुरुषों की जीवनियों का परिचय करवाने में सहायक।
- अपनी सभ्यता संस्कृति का परिचय करवाने में सहायक।
टॉलमेन का चिह्नपूर्णकार सिद्धांत – टॉलमेन
इस सिद्धांत के अनुसार बालक-बालिकाओं की केवल शब्दों के माध्यम से ही नहीं सीखाया जा सकता है। उन्हें चित्र, चिह्न एवं संकेतों के माध्यम से भी सीखाया जा सकता है। टॉलमेन के अनुसार मूक-बधिर बालकों को सीखाने का यह सर्वश्रेष्ठ सिद्धांत है।
अधिगम का अनुभवजन्य सिद्धांत – कॉलरोजर्स
यह सिद्धांत अनुभव करके सीखने पर बल देता है। इस सिद्धांत का मानना है कि – अध्यापकों को बालकों पर क्या पढ़ना है? कैसे पढ़ना है? कितना पढ़ना है आदि बलों को थोपना नहीं चाहिये। बल्कि उन्हें स्वतंत्रता पूर्वक करने देना चाहिये।
शिक्षकों को व्याख्यान विधि जैसी – परम्परागत विधियों के स्थान पर शैक्षणिक भ्रमण परिचर्चायें, सेमीनार, कार्यशाला आदि शिक्षण नीतियों का आयोजन करना चाहिये ताकि बालक स्वयं अनुभव करके सीख सके। क्योंकि बालक द्वारा अनुभव करके सीखा गया ज्ञान स्थायी होता है।
एडगर डेल ने लिखा की प्रत्यक्ष अनुभव द्वारा सीखने का प्रतिशत 70% व शब्दों द्वारा सीखना मात्र 30% होता है।
आवश्यकता का पदानुक्रमिक सिद्धांत
- अब्राहम मेस्लो – 1954
- मेस्लो एक मानवतावादी मनोवैज्ञानिक थे।
- मेस्लो ने अपने सिद्धांत में आवश्यकता पूर्ति पर सर्वाधिक बल दिया।
- स्लो के अनुसार व्यक्ति पाँच आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए अनुक्रियाएँ करता है तथा अनुक्रिया करते हुए अधिगम करता है।
- मेस्लो ने व्यक्ति की मूलभूत आवश्यकताओं को पाँच भागों में विभक्त किया।
अधिगम का तलरूप/क्षेत्रवादी सिद्धांत – कुर्ट लेविन
- कुर्ट लेविन को क्षेत्रवाद का जनक माना जाता है।
- कुर्ट लेविन ने ‘द थ्योरी ऑफ फील्ड साइकोलॉजी’ पुस्तक की रचना की।
- कुर्ट लेविन ने अपने सिद्धांत में अधिगम करने हेतु उच्च अभिप्रेरणा व उच्च वातावरण पर सर्वाधिक बल दिया। लेविन के अनुसार दोनों तत्वों में से किसी एक तत्व की कमी होने पर अधिगम प्रभावी नहीं हो सकता।
- बाल विकास
- बाल विकास वंशक्रम वातावरण
- अभिवृद्धि विकास
- मानसिक व शारीरिक गत्यात्मक विकास
- संवेगात्मक एवं शारीरिक विकास
लेविन ने निम्न सुत्र दिया
- L = F1(P1×E1)
- L = अधिगम
- F1 = अभिप्रेरणा
- P1 = व्यक्ति
- E1 = वातावरण
कुर्ट लेविन ने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन करने हेतु चार सोपान बताये –
- आकर्षक उद्देश्य
- आकांक्षा का सार
- दण्ड एवं पुरुस्कार
- स्मृति एवं गति