अभिवृद्धि का अर्थ – शारीरिक अंगों के आकार-प्रकार भार, ऊँचाई आदि में आयु के अनुसार बढ़ोतरी को अभिवृद्धि कहते है।
अभिवृद्धि-विकास | विकास के नियम
बालक-बालिकाओं की शारीरिक संरचना में होने वाला बाह्य परिवर्तन जिसका मापन संभव हो, अभिवृद्धि कहलाता है।
जैसे–लम्बाई, वजन का बढ़ना, पैर की हड्डी का बढ़ना, सिर के आकार में परिवर्तन
फ्रेंक:- गर्भावस्था में भ्रूण निर्माण के पश्चात जन्म होने तक उसमें जो प्रगतिशील परिवर्तन होते है, अभिवृद्धि कहलाती है।
- अभिवृद्धि की निश्चित दिशा व क्रम होता है।
- अभिवृद्धि का मापन संभव होता है, अत: यह एक मात्रात्मक प्रक्रिया है।
- अभिवृद्धि पर वंशक्रम का सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है।
सोरेन्सन– बालक-बालिकाओं की शारीरिक संरचनाओं में होने वाला बाह्य परिवर्तन जिसका मापन संभव हो अभिवृद्धि कहलाती है।
जॉन D.V. – अभिवृद्धि स्वयं होती है, उसे बाहर से लाया नहीं जा सकता है।
हरलॉक – लम्बाई, वजन का बढ़ना, सिर के आकार में परिवर्तन वृद्धि है। परन्तु इनका संगठित रूप विकास कहलाता है।
- अभिप्रेरणा
- अधिगम के सिद्धांत स्कीनर, हल, गुथरी
- अधिगम के सिद्धांत गैस्टाल्टवाद के अनुसार
- अधिगम का सोपानिकी सिद्धांत
- क्षेत्रवादी के अनुसार अधिगम के सिद्धांत
विकास
जब एक बगीचे का माली यह कहता है कि आम के पेड़ की वृद्धि हुई लेकिन विकास नहीं हुआ तो इसका अर्थ है कि आम के पेड़ की लम्बाई, चौड़ाई, पत्तियों, डालियों में वृद्धि हो गयी- लेकिन फल-फूल नहीं लगे,ठीक उसी प्रकार मनुष्य की लम्बाई, चौड़ाई भार में वृद्धि अभिवृद्धि है। लेकिन उसमें परिपक्वता आवे तो विकास कहा जायेगा।
विकास के अंगों में शक्ति आती है, वे संगठित होते है तथा परिपक्व होते है। अंगों की कार्य क्षमता बढ़ती है।
बालक-बालिकाओं की शारीरिक संरचनाओं में होने वाला बाह्य एवं आंतरिक परिवर्तन जिसका मापन संभव न हो विकास कहलाता है।
जैसे – बुद्धि, अनुभव, ताकत, आयु का बढ़ना, विकास एक गुणात्मक व आर्थिक मात्रात्मक प्रक्रिया है, इसकी निश्चित दिशा व क्रम नहीं होता। इसका मापन संभव नहीं होता।
- जॉन D.V. – शरीर के किसी अंग में होने वाला परिवर्तन अभिवृद्धि व समय के प्रभाव से होने वाला परिवर्तन विकास कहलाता है।
- हरलॉक – विकास के फलस्वरूप व्यक्ति नवीन योग्यताऐं एवं विशेषताऐं प्रकट करता है।
- मूनरो – विकास गर्भावस्था से परिपक्वता की ओर अनुसार करने वाली प्रक्रिया है।
- जीन पियाजे/ब्रूनर- बालक-बालिकाओं को विकास की किसी भी अवस्था में कुछ भी सीखाया जा सकता है।
- मेरीडिथ– अभिवृद्धि का प्रयोग केवल आकार में वृद्धि के लिए ओर विकास का प्रयोग विशिष्टीकरण के अर्थ में किया जाता है।
Note:- अभिवृद्धि और विकास एक दूसरे के पूरक माने जाते है।
अभिवृद्धि विकास में अंतर
अभिवृद्धि | विकास |
सकींर्ण अवधारणा | व्यापक अवधारणा |
अभिवृद्धि में प्राणी विशेष में कुछ निश्चित परिवर्तन होते है। | सभी क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन होते है। |
मापन संभव | मापन असंभव |
अभिवृद्धि विकास की प्रक्रिया | विकास में अभिवृद्धि निहित |
आकार में परिवर्तन ही अभिवृद्धि | विशिष्टीकरण की प्रक्रिया |
एक कोषीय प्रक्रिया | बहुकोषीय प्रक्रिया |
मात्रात्मक | गुणात्मक व मात्रात्मक |
वंशक्रम का प्रभाव | वंशक्रम वातावरण का प्रभाव |
स्वाभाविक प्रक्रिया | जटिल प्रक्रिया |
निश्चित दिशा व क्रम | निश्चित दिशा व क्रम नहीं |
विकास में होने वाले परिवर्तन
- आकार में परिवर्तन।
- अनुपात में परिवर्तन।
- पुरानी आकृतियों का लोप।
- नवीन आकृतियों की प्राप्ति।
विकास के प्रमुख नियम
- विकास की निरन्तरता का नियम।
- विकास की समानता का नियम।
- विकास के परस्पर संबंध का नियम।
- विकास के व्यक्तिगत भिन्नता का नियम।
- एकीकृत/केन्द्रीकरण का नियम।
- मस्तबोध का नियम।
- सामान्य से विशिष्टता का नियम।
- विकास की भविष्यवाणी का नियम।
- विकास की दिशा का नियम।
- विकास पूर्वानुमेय होता है।