अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत
व्यवहारवाद के अनुसार – अधिगम के सिद्धांत
- अनुकूलित अनुक्रिया सिद्धांत (C-R-Theory)
- शास्त्रीय अनुबंधन सिद्धांत
- प्राचीन अनुबंधन सिद्धांत
अनुबंधन सिद्धांत पावलॉव ( रूस ) 1900
अनुकूलित अनुक्रिया से आशय – किसी अस्वाभाविक उद्दीपक द्वारा स्वाभाविक क्रिया का होना।
- पावलॉव के सिद्धांत में घंटी एक अस्वाभाविक उद्दीपक है। अर्थात् जो क्रिया पूर्व में भोजन को देखकर हो रही थी। वही क्रिया घंटी के प्रति भी होने लगी। इसी को हम अनुकूलित अनुक्रिया कहते हैं।
पावलॉव ने अपने सिद्धांत में दो प्रकार की क्रियाएँ बताई-
- स्वाभाविक – अनानुबंधित
- अस्वाभाविक – अनुबंधित
अनुबंधन से आशय – पुनरावृत्ति के आधार पर जो संबंध स्थापित होता है उसे अनुबंधन कहते हैं।
पावलॉव को अनुबंधन का जनक माना जाता है। पावलॉव एक शरीरशास्त्री थे। पावलॉव को इस सिद्धांत के परिणाम स्वरूप 1904 में नोबल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
- विद्यालय की घंटी बजने पर छात्रों द्वारा अपना बस्ता बंद करना।
- मंदिर के सामने से निकलते समय सिर झूकाना।
- आम के पेड़ के नीचे साँप देखने के बाद रस्सी को भी साँप समझना।
- अग्नि से जलने के बाद अग्नि से दूर रहना।
- कक्षा में अध्यापक के आने पर छात्रों द्वारा अभिवादन करना।
विलोपीकरण
लम्बे समय तक अनुक्रिया में स्वाभाविक उद्दीपक प्रस्तुत न करने पर अनुबंधन समाप्त हो जाता है। अत: अनुबंधन समाप्त होने की प्रक्रिया विलोपीकरण कहलाती है।
- भोजन – लार
- घंटी + भोजन – लार
- घंटी – लार
- घंटी – लार
- घंटी – लार नहीं X
उद्दीपक सामान्यीकरण
बालक मिलती-जुलती परिस्थतियों के प्रति वैसा ही व्यवहार करता है। जैसा वह पूर्व में अनुभर में कर चुका है।
- घंटी के साथ-साथ सीटी द्वारा भी लार का आना।
- साँप देखने के बाद रस्सी से भी डरना।
- लाल गुलाब का कांटा चुभने पर लाल वस्तुओं से डरना।
उद्दीपक विभेदीकरण
उद्दीपकों में समानता असमानता का पता लगाना उद्दीपक विभेदीकरण कहलाता है।
- सीटी के द्वारा लार का बंद होना।
- रस्सी से डरना बंद होना।
समय कारक – पावलॉव के अनुसार दो उद्दीपकों के मध्य अनुबंधन करने हेतु दोनों के मध्य अधिकतम 5 सेकण्ड का अंतराल होना चाहिए। इससे अधिक होने पर अनुबंधन नहीं हो सकता।
बुद्धि कारक – पावलॉव के अनुसार मंद बुद्धि बालकों को अधिगम नहीं करवाया जा सकता क्योंकि उनमें अनुबंधन करने की क्षमता नहीं होती।
- प्राणी तभी सीखता है। जब वह सक्रिय रहता है।
- शिक्षण में दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग इसी सिद्धांत पर आधारित है।
- अधिगम का यह सिद्धांत क्रिया की पुनरावृत्ति पर बल देता है।