अधिगम के सिद्धांत गैस्टाल्टवाद के अनुसार

अन्तदृष्टि/सुझ का सिद्धांत/गेस्टाल्ट सिद्धांत

  • गेस्टाल्ट जर्मन भाषा का शब्द है, जिसका शाब्दिक अर्थ समग्रकार/पूर्णाकार होता है।
  • जर्मनी में 1920 में गेस्टाल्ट सम्प्रदाय का उदय हुआ।
  • गेस्टाल्टवाद के जनक – वर्डीमर को माना जाता है।
  • वर्डीमर की विचारधारा को कोहलर ने विकसित किया जिसे अन्तदृष्टि कहा गया।
  • अन्तदृष्टि/सुझ से आशय – विभिन्न नवीन परिस्थितियों में समस्या समाधान की मानसिक प्रक्रिया अन्तदृष्टि/सुझ कहलाती है।

कोहलर के अनुसार जब व्यक्ति के सम्मुख नवीन समस्या प्रस्तुत होती है तो वह समस्या समाधान का प्रयास करने लगता है। परन्तु असफल रहता है। लेकिन अपने आस-पास की परिस्थितियों का अवलोकन कर पुन: प्रयास करने पर अचानक समस्या से संबंधित समाधान व्यक्ति की मानसिकता में उत्पन्न हो जाता है जिसे अन्तदृष्टि/सुझ कहते हैं।

कोहलर के अनुसार अंतदृष्टि/सुझ तत्काल उत्पन्न होने वाली मानसिक प्रक्रिया है। कोहलर ने अपने सिद्धांत का प्रतिपादन करने हेतु सुल्तान चिम्पैंजी पर प्रयोग किया।

शैक्षिक महत्व

  1. प्रतिभाशाली बालकों को सीखाने में सहायक
  2. पाठ्यक्रम का पूर्ण निर्माण इसी सिद्धांत पर आधारित है।
  3. पूर्ण से अंश की ओर शिक्षण सुझ इसी पर आधारित है।
  4. इससे बालकों की विचार शक्ति, कल्पना शक्ति, निरीक्षण शक्ति का विकास होता है।
  5. गणित, विज्ञान, व्याकरण जैसे जटिल विषयों को सीखाने में सहायक।
  6. अनुसंधान के क्षेत्र में उपयोगी।
  7. यह सिद्धांत बालकों की यांत्रिक तरीके से सीखाने का खण्डन करता है।

अधिगम को प्रभावित करने वाले कारक

शिक्षार्थी से संबंधित कारक

  1. सीखने की इच्छा शक्ति व तत्परता
  2. शैक्षिक पृष्टभूमि
  3. शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य
  4. सीखने का समय व अवधि
  5. थकान
  6. सीखने की अभिवृत्ति
  7. अभिप्रेरणा
  8. अभ्यास
  9. परिपक्वता + आयु
  10. बुद्धि

शिक्षक से संबंधित

  1. विषय का पूर्ण ज्ञान
  2. प्रस्तुतीकरण
  3. अनुभव
  4. शिक्षण विधि
  5. शिक्षक का व्यवहार
  6. मनोविज्ञान का ज्ञान
  7. शिक्षक का व्यक्तित्व
  8. समय सारणी
  9. पाठ्यक्रम सहगायी क्रियाओं का आयोजन
  10. बाल केन्द्रित शिक्षा

विषयवस्तु से संबंधित कारक

  1. विषयवस्तु का स्वरूप
  2. विषयवस्तु का आकार
  3. विषयवस्तु का क्रम
  4. विषयवस्तु की भाषा
  5. विषयवस्तु की उद्देश्यता
  6. विषयवस्तु का रूचिकर होना
  7. प्रस्तुतीकरण

अधिगम स्थानान्तरण के सिद्धांत

मानिसक शक्तियों का सिद्धांत/औपचारिक अनुशासन का सिद्धांत

यह अधिगम स्थानान्तरण का सबसे पुराना सिद्धांत है। यह मान्य नहीं हुआ – सर्वप्रथम इसकी आलोचना वि. जेम्स द्वारा की गई।

समान/समरूप अवयवों का सिद्धांत – थॉर्नडाइक

इस सिद्धांत के अनुसार जब दो विषयों में समानता होती है तो एक विषय का ज्ञान दूसरे विषय के ज्ञान में सहायक होता है।

सामान्यीकरण का सिद्धांत – चर्ल्स जड

एक स्थिति में अर्जित ज्ञान का सामान्यीकरण कर उसका प्रयोग किसी दूसरी स्थिति में करना।

  • आदर्शों एवं मुल्यों का सिद्धांत :- बागले
  • दो तत्वों का सिद्धांत :- स्पीयरमेन
  • मनोविज्ञान के सम्प्रदाय

संरचनावादी सम्प्रदाय :- वि. पुण्ट, टिचनर

यह एक पुरातन सम्प्रदाय है। इसका प्रतिपादन जर्मनी के विलियम पुण्ट द्वारा किया गया तथा इनके समर्थक टिचनर थे। वि. पुण्ट ने अन्तप्रदर्शन पद्धति को आधार मानकर मस्तिष्क की व्यवस्थिति संरचना के अध्ययन पर बल दिया।

कार्यात्मवादी सम्प्रदाय

इस सम्प्रदाय का प्रतिपादन अमेरिका के विलियम जेम्स द्वारा किया गया था। इसके समर्थक जॉन डी.वी. जेम्स ऐंजल, केटल थे। यह सम्प्रदाय मस्तिष्क के क्रियाकलापों का अध्ययन करता है।

व्यवहारवादी सम्प्रदाय

व्यवहारवाद की स्थापना वाटसन के द्वारा की गई। इसलिए वाटसन को व्यवहारवाद का जनक माना जाता है। सहयोगी – थॉर्नडाइक, पावलॉव, स्कीनर, हल आदि। व्यवहारवादी आनुवांशिकता को गौण तथा वातावरण को मुख्य स्थान देते हैं। इस प्रकार सभी प्रकार के व्यवहार को सीखा जा सकता है तथा सभी प्रकार का व्यवहार किसी न किसी उद्दीपक की अनुक्रिया से होता है।

व्यवहारवादी वातावरण को अधिक महत्व देवे, शिक्षा के क्षेत्र में व्यवहारवादियों की प्रमुख देन तथ्यात्मकता/वस्तुनिष्ठता को माना जाता है।

वाटसन ने मानव व्यवहार का अध्ययन करने हेतु बर्हिदर्शन विधि का प्रयोग किया।

  • गेस्टाल्टवाद – मेक्स वर्दीमर
  • मनोविश्लेषणवादी सम्प्रदाय – सिग्मण्ड फ्रायर्ड
  • प्रेरकीय सम्प्रदाय – विलियम मेक्डूगल
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