टोंक के मंदिर | Tonk Mandir GK

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डिग्गी कल्याणजी

टोंक जिले में मालपुरा तहसील में डिग्गी नामक स्थान पर डिग्गी कल्याणजी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है। जिसका निर्माण मेवाड़ के राणा संग्राम सिंह के राज्यकाल में संवत् 1584 के ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष में हुआ। यहाँ विष्णु की चतुर्भुज प्रतिमा है। मुस्लिम इसे कलंह पीर के नाम पुकारते हैं।

डिग्गी के बैशाख की पूर्णिमा, भाद्रपद शुक्ला की एकादशी तथा श्रावण की अमावस्या को विशाल मेला लगता है। डिग्गी के भगवान कल्याणजी विष्णु के अवतार माने जाते हैं। कुष्ठ रोग से छुटकारा पाने के लिए इनकी विशेष मान्यता है। जयपुर के ताड़केश्वर मंदिर से प्रतिवर्ष लक्खी पद यात्रा डिग्गी कल्याणजी के मंदिर तक जाती है। ध्यातव्य है कि कल्याणजी का एक मंदिर जयपुर में भी बना हुआ है।

देवधाम, जोधपुरिया

गुर्जर समाज का सबसे बड़ा यह पौराणिक तीर्थस्थल मासी, बांडी एवं खोराक्सी तीन नदियों के संगम पर स्थित है। यहाँ भगवान देवनारायण का मंदिर भी स्थित है। मंदिर के मुख्य गर्भगृह में भगवान देवनारायण की प्रतिमा नीले घोड़े पर सवार है। इसके दक्षिण में इनकी माता सेडू का मंदिर है।

यहाँ भाद्रपद शुक्ला षष्ठी एवं माघ शुक्ला सप्तमी में मेले आयोजित किये जाते हैं। इस मेले में श्रद्धालु विशेषतः भगवान श्री देवनारायण के दर्शन करने व मंदिर के भोपे द्वारा नृतक मुद्रा में हाथ में थाली पर बनाये जाने वाले कमल पुष्प आकृति मंचन को देखने आते हैं।

अन्नपूर्णा डूँगरी

टोंक से 3 किमी. दूरी पर 400 फीट ऊंची पहाड़ी पर भगवान श्री गणेश का विख्यात मंदिर है। प्राचीनकाल में इसी पहाड़ी पर फाँसी घर भी था।

गुणाद माता

मालपुरा के पास स्थित धोली का खेड़ा ग्राम से 1 किमी. दूर स्थित पहाड़ी की तलहटी में यह रमणीय स्थान लोक आस्था का केन्द्र है।

दाताजी मंदिर

टोडारायसिंह के पास दाताजी ग्राम में स्थित भगवान देवनारायण का मंदिर जन मन की आस्था का केन्द्र ही नहीं है, अपितु ऐतिहासिक व सर्वधर्म समभाव की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। ये भडाना गौत्र के गुर्जरों के द्वारा पूजा जाता है।

टोंक के अन्य मंदिरों में कंकाली मंदिर, तेलियों का मंदिर, महिषासुर मर्दिनी का मंदिर, माण्डकला के 16 प्राचीन मंदिर प्रमुख हैं।

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