सोनार किला
- भाटी वंश के शासक राव जैसल द्वारा जैसलमेर में त्रिकूट पहाड़ी पर 1155 ई. में निर्मित दुर्ग।
- आकृति :- त्रिकूटाकृति।
- प्रकार :- धान्वन श्रेणी का दुर्ग।
- इस दुर्ग का निर्माण शालिवाहन द्वितीय ने पूर्ण करवाया।
- इस दुर्ग में 99 बुर्ज हैं। (सर्वाधिक बुर्जों वाला दुर्ग)।
- गहरे पीले पत्थरों से निर्मित।
Sonar Kella GK
- प्रचलित कहावत – ‘घोड़ा कीजे काठ का पग कीजे पाषाण, अख्तर कीजे लोहे का तब पहुँचे जैसाण’। इस दुर्ग के सम्बन्ध में अबुल फजल की उक्ति – ‘यह ऐसा दुर्ग है, जहाँ पहुँचने के लिए पत्थर की टाँगें चाहिए।’
- सोनारगढ़ दुर्ग का निर्माण चूने का प्रयोग किए बिना पत्थरों को जोड़कर किया गया है।
- जैसलमेर दुर्ग विश्व का एकमात्र दुर्ग है जिसकी छत लकड़ी की बनी हुई है।
उपनाम :- सोनगढ़, गौहरारगढ़, त्रिकूटगढ़ एवं ‘उत्तर भड़ किवाड़’।
- राज्य का दूसरा सबसे बड़ा लिविंग फोर्ट। (पहला – चित्तौड़ दुर्ग)
- कमरकोट :- दुर्ग का घाघरानुमा दुहरा परकोटा। इसे स्थानीय लोग ‘पाड़ा’ भी कहते हैं।
- प्रवेश द्वार :- अक्षय पोल (मुख्य प्रवेश द्वार), गणेश पोल, सूरज पोल, हवा पोल।
- शीश महल :- दुर्ग में महारावल अखैसिंह द्वारा निर्मित सर्वोत्तम विलास।
- दुर्ग के भीतर जैसल कुआँ प्राचीन पेयजल स्रोत है।
ढाई साके के लिए प्रसिद्ध
पहला साका :- 1308 से 1312-13 ई. के मध्य अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के समय। उस समय जैसलमेर का शासक मूलराज था।
दूसरा साका :- फिरोज तुगलक व राव दूदा के मध्य युद्ध तथा जिसमें दूदा की हार हुई।
तीसरा अर्द्ध साका :- 1550 ई. में कंधार के अमीर अली के आक्रमण के समय। उस समय जैसलमेर शासक राव लूणकरण थे। इसमें केसरिया हुआ, जौहर नहीं।
- इस दुर्ग में हस्तलिखित ग्रंथों का सबसे बड़ा भंडार ‘जिनभद्र सूरी ग्रंथ भंडार’ अवस्थित है।
- जैसलमेर दुर्ग महलों में पत्थर पर बारीक खुदाई एवं कलात्मक जालियों के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
- इस दुर्ग के भीतर ही घड़सीसर का तालाब है।
- आदिनाथ जैन मंदिर :- इस दुर्ग में स्थित सबसे प्राचीन जैन मंदिर।
- फिल्म निर्देशक सत्यजीत रे द्वारा सोनार किला फिल्म का निर्माण किया गया।
- दूर से देखने पर यह दुर्ग पहाड़ी पर लंगर डाले एक जहाज का आभास कराता है।
- वर्ष 2009 में इस दुर्ग पर 5 रुपये का डाक टिकट जारी किया गया।
- वर्ष 2009 में आए भूकम्प से इसमें दरारें पड़ गई हैं।