Rajsamand Mandir GK
द्वारकाधीश मंदिर
कांकरोली (राजसमंद) में पुष्टिमार्गी वल्लभ सम्प्रदाय का सुप्रसिद्ध मंदिर है। सन् 1669 में औरंगजेब के आतंक से भयभीत वल्लभ सम्प्रदाय के पुजारियों द्वारा मथुरा से यह प्रतिमा लायी गयी।
चारभुजानाथ मंदिर
राणा मोकल द्वारा निर्मितगढ़बोर (राजसमंद) में स्थित भव्य मंदिर है। इसकी गिनती मेवाड़ के चार प्रमुख धामों (केसरिया जी, कैलाशपुरी, नाथद्वारा एवं चारभुजा नाथजी) में की जाती है। यहाँ वर्ष में दो बार होली तथा देवझुलनी एकादशी पर मेले भरते हैं। इसी मंदिर के पास गोमती नदी बहती है।
कुन्तेश्वर महादेव
राजसमंद से 12 किमी. दूर फरारा गाँव में कुन्तेश्वर महादेव का भव्य शिव मंदिर है। जनश्रुति के अनुसार इसकी स्थापना महाभारत काल में पाण्डवों की माता कुन्ती ने की।
श्रीनाथजी का मंदिर
राजसमंद जिले में सीहाड़ गाँव में स्थित ‘नाथद्वारा’ वल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख तीर्थ है। यहाँ बनास नदी पर श्रीनाथजी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है जिसमें श्रीकृष्णजी की काले संगमरमर की प्रतिमा है। मंदिर में स्थित प्रतिमा श्रीनाथ जी की मूर्ति औरंगजेब के समय वृन्दावन से यहाँ पर 1718 में लाई गई थी।
यहाँ भगवान कृष्ण के विविध स्वरूपों की सेवा की जाती है। इस सेवा पद्धति में सात प्रकार के दर्शन होते हैं- मंगला, ग्वाल, राजभोग, उत्थापन, भोग, आरती एवं शयन रूप में ऐसी ही सतरंगी ध्वजायें हैं। श्रीनाथ जी का मंदिर विशाल एवं भव्य रूप से निर्मित है।
जिस स्थान पर श्री विग्रह विराजित है उसकी छत खपरैल की बनी हुई है। इसके ऊपर श्री सुदर्शनचक्रराज सुशोभित है और सात ध्वज लहराती रहती है। श्रीनाथ जी को सात ध्वजा का नाथ/स्वामी कहा जाता है।
श्रीनाथजी के साथ नाथद्वारा आये इनकी गौत्र के ठाकुर नवनीत प्रियाजी को श्रीलालन कहते हैं। गोवर्धन से जब कृष्ण स्वरूप श्रीनाथजी को तिलकायत दामोदर मुगलों से बचाते-बचाते नाथद्वारा आये थे तो श्रीलालन भी उनके साथ आये थे।
ये श्रीनाथजी के गौत्र के ठाकुर है। श्रीनाथजी को अचल स्वरूप माना जाता है। अतः श्रीलालन उनका प्रतिनिधित्व करते हैं। श्रीनाथजी के दर्शन के पश्चात् श्रीलालन के दर्शन करना फलदायी माना जाता है। ज्ञातव्य है कि 2006 में श्रीलालन को पहली बार ब्रज की परिक्रमा करवायी गयी। श्रीनाथजी का मंदिर ‘हवेली संगीत’ का मुख्य केन्द्र है।
‘पिछवाई’ नाथद्वारा की प्रसिद्ध चित्रकारी है। यहाँ कृष्ण जन्माष्टमी, फूलडोल तथा दीपावली का अन्नकूट महोत्सव का आयोजन किया जाता है।
राजसमन्द के अन्य मंदिरों में कुन्तेश्वर महादेव मंदिर (फरारा गाँव), रोकड़िया हनुमान मंदिर, परशुराम महादेव, आमज माता का मंदिर (रीछेड़), पीपलाद माता का मंदिर (उनवास) आदि प्रमुख हैं।