राजस्थान के प्रमुख मेले

राजस्थान के प्रमुख मेले (हिन्दू माह अनुसार)

Table of Contents

चैत्र मास

मेलास्थानतिथिविशेष तथ्य
बादशाह मेलाब्यावर (अजमेर)चैत्र कृष्णा प्रतिपदा
फूलडोल मेलारामद्वारा (शाहपुरा, भीलवाड़ा)चैत्र कृष्णा प्रतिपदा से पंचमी तकरामस्नेही संप्रदाय से संबंधित
धनोप माता का मेलाधनोप गाँव (भीलवाड़ा)चैत्र कृष्णा एकम् से दशमी तक
शीतला माता का मेलाशील डूँगरी (चाकसू, जयपुर)चैत्र कृष्णा अष्टमी
ऋषभदेव मेला (केसरिया नाथ जी मेला)ऋषभदेव (धुलेव, उदयपुर)चैत्र कृष्णा अष्टमी- नवमी
जौहर मेलाचित्तौड़गढ़ दुर्ग (चित्तौड़गढ़)चैत्र कृष्णा एकादशी
मल्लीनाथ पशु मेलातिलवाड़ा (बाड़मेर)चैत्र कृष्णा एकादशी से चैत्र शुक्ला एकादशी तक
घोटिया अम्बा मेलाबाँसवाड़ाचैत्र अमावस्या
विक्रमादित्य मेलाउदयपुरचैत्र अमावस्या
कैलादेवी मेलाकैलादेवी (करौली)चैत्र शुक्ला एकम् से दशमी (प्रमुख रूप से अष्टमी को)कैलादेवी मेले में भक्तों द्वारा ‘लांगुरिया’ भक्ति गीत गाये जाते हैं।
गणगौरजयपुर व उदयपुरचैत्र शुक्ला तृतीयागुलाबी गणगौर के लिए नाथद्वारा प्रसिद्ध।
घुड़ला का मेलामारवाड़ (जोधपुर)चैत्र शुक्ला तृतीयामारवाड़ शासक राव सातलदेव की याद में आयोजित मेला।
गुलाबी गणगौरनाथद्वाराचैत्र शुक्ला पंचमीनाथद्वारा वल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है।
श्री महावीरजी मेलामहावीरजी (करौली)चैत्र शुक्ला त्रयोदशी से वैशाख कृष्णा द्वितीया तकजैन धर्म का सबसे बड़ा मेला। जिनेन्द्र रथ यात्रा मुख्य आकर्षण
सालासर हनुमान मेलासालासर (सुजानगढ़, चूरू)चैत्र पूर्णिमाहनुमान जयंती
बीजासणी माता का मेलालालसोट (दौसा)चैत्र पूर्णिमा
वैशाख मास
धींगागवर बेंतमार मेलाजोधपुरवैशाख कृष्णा तृतीया
गोर मेलासियावा (आबूरोड, सिरोही)वैशाख शुक्ला चतुर्थी
नारायणी माता का मेलासरिस्का (अलवर)वैशाख शुक्ला एकादशी
बाणगंगा मेलाविराटनगर (जयपुर)वैशाख पूर्णिमा
मातृकुण्डिया मेलाराशमी (हरनाथपुरा, चित्तौड़गढ़)वैशाख पूर्णिमा
ज्येष्ठ मास –
सीतामाता मेलासीतामाता (प्रतापगढ़)ज्येष्ठ अमावस्या
सीताबाड़ी का मेलासीताबाड़ी केलवाड़ा (बाराँ)ज्येष्ठ अमावस्यासहरिया जनजाति का कुंभ। हाड़ौती अंचल का सबसे बड़ा मेला।
श्रावण मास
कल्पवृक्ष मेलामांगलियावास, अजमेरहरियाली अमावस्या
गुरुद्वारा बुड्‌ढ़ा जोहड़ मेलागंगानगरश्रावण अमावस्या
लोटियों का मेलामण्डौर (जोधपुर)श्रावण शुक्ला पंचमी
परशुराम महादेव मेलासादड़ी (पाली)श्रावण शुक्ला सप्तमी
वीरपुरी मेलामंडोर (जोधपुर)श्रावण का अंतिम सोमवार
भाद्रपद मास
कजली तीजबूँदीभाद्रपद कृष्णा तृतीया
जन्माष्टमीनाथद्वारा (राजसमंद)भाद्रपद कृष्णा अष्टमी
गोगानवमीगोगामेड़ी (हनुमानगढ़)भाद्रपद कृष्णा नवमी
राणी सती का मेलाझुंझुनूंभाद्रपद अमावस्या
रामदेवरा का मेलारामदेवरा (रूणेचा) (पोकरण, जैसलमेर)भाद्रपद शुक्ला द्वितीय से एकादशी तकसाम्प्रदायिक सद‌्भाव का सबसे बड़ा मेला
गणेशजी का मेलारणथम्भौर (सवाईमाधोपुर)भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी
हनुमानजी का मेलापांडुपोल (अलवर)भाद्रपद शुक्ला चतुर्थी व पंचमी
भोजन थाली मेलाकामां (भरतपुर)भाद्रपद शुक्ला पंचमी
सवाई भोज मेलाआसींद, (भीलवाड़ा)भाद्रपद शुक्ला अष्टमी
भर्तृहरि मेलाभर्तृहरि (अलवर)भाद्रपद शुक्ला अष्टमी
खेजड़ली शहीदी मेलाखेजड़ली (जोधपुर)भाद्रपद शुक्ला दशमीएकमात्र वृक्ष मेला
तेजाजी का मेलापरबतसर (नागौर)भाद्रपद शुक्ला दशमी
कल्याणघणी का मेलाडिग्गी (टोंक)भाद्रपद शुक्ला एकादशी
देवझूलनी मेला (चारभुजा मेला)चारभुजा (राजसमंद)भाद्रपद शुक्ला एकादशी (जलझूलनी एकादशी)
बाबू महाराज का मेलाबाड़ी (धौलपुर)भाद्रपद शुक्ला एकादशी
चारभुजा मेलाचारभुजा (उदयपुर)भाद्रपद शुक्ला एकादशी
आश्विन मास
बजरंग पशु मेलाउच्चैन (भरतपुर)आश्विन कृष्णा द्वितीया से अष्टमी
जसवंत पशु मेलाभरतपुरआश्विन शुक्ला पंचमी से पूर्णिमा
दशहरा मेलाकोटाआश्विन शुक्ला दशमी
मीरां महोत्सवचित्तौड़गढ़आश्विन पूर्णिमा (शरद पूर्णिमा)
कार्तिक मास
अन्नकूट मेलानाथद्वारा (राजसमंद)कार्तिक शुक्ला एकम्
गरुड़ मेलाबंशी पहाड़पुर (भरतपुर)कार्तिक शुक्ला तृतीया
पुष्कर मेलापुष्कर (अजमेर)कार्तिक शुक्ला एकादशी से पूर्णिमाअंतर्राष्ट्रीय स्तर का मेला व राजस्थान का सबसे रंगीन मेला
कपिल धारा का मेलाबाराँकार्तिक पूर्णिमायह मेला सहरिया जनजाति से संबंधित है।
चंद्रभागा मेलाझालरापाटन (झालावाड़)कार्तिक पूर्णिमा
साहवा सिक्ख मेलासाहवा (चूरू)कार्तिक पूर्णिमाराज्य का सबसे बड़ा सिक्ख मेला
कपिल मुनि का मेलाकोलायत (बीकानेर)कार्तिक पूर्णिमाजांगल प्रदेश का सबसे बड़ा मेला
मार्गशीर्ष मास
मानगढ़ धाम मेला (आदिवासी मेला)मानगढ़ धाम (बाँसवाड़ा)मार्गशीर्ष पूर्णिमाआदिवासियों का कुम्भ
पौष मास
नाकोड़ा जी का मेलानाकोड़ा तीर्थ (मेवानगर, बाड़मेर)पौष कृष्णा दशमी
माघ मास
श्री चौथमाता का मेलाचौथ का बरवाड़ा (सवाईमाधोपुर)माघ कृष्णा चतुर्थी
पर्यटन मरु मेलाजैसलमेर सम (जैसलमेर)माघ शुक्ला त्रयोदशी से माघ अमावस्या तक
बेणेश्वर मेलानवाटापुरा, (बेणेश्वर, डूँगरपुर)माघ पूर्णिमायह मेला सोममाहीजाखम नदियों के संगम पर भरता है। इसे आदिवासियों के कुंभ के नाम से जाना जाता है।
फाल्गुन मास
शिवरात्रि मेलाशिवाड़ (सवाईमाधोपुर)फाल्गुन कृष्णा त्रयोदशी
चनणी चेरी मेलादेशनोक (बीकानेर)फाल्गुन शुक्ला सप्तमी
चन्द्रप्रभू का मेलातिजारा (अलवर)फाल्गुन शुक्ला सप्तमीजैन धर्म से संबंधित
डाडा पम्पाराम का मेलापम्पाराम का डेरा विजयनगर (गंगानगर)फाल्गुन माह
वे मेले जो वर्ष में एक बार से ज्यादा भरते हैं
वीरातारा माता का मेलावीरातारा, बाड़मेरचैत्र, भाद्रपद व माघ शुक्ला चौदस
त्रिपुरा सुंदरी मेलातलवाड़ा (बाँसवाड़ा)नवरात्रा
करणी माता का मेलादेशनोक, बीकानेरनवरात्रा (चैत्र व आश्विन)
जीणमाता का मेलारैवासा ग्राम (सीकर)नवरात्रा (चैत्र व आश्विन)
दधिमति माता का मेलागोठ मांगलोद (नागौर)शुक्ला अष्टमी (चैत्र व आश्विन)
मनसा माता का मेलाझुंझुनूंचैत्र बदी अष्टमी व आश्विन सुदी अष्टमी
इंद्रगढ़/बीजासन माता का मेलाइंद्रगढ़ (बूँदी)चैत्र व आश्विन नवरात्रा तथा वैशाख पूर्णिमा
हीरामन बाबा का मेलानगला जहाजपुर (भरतपुर)भाद्रपद चतुर्थी, वैशाख चतुर्थी
मारकण्डेश्वर मेलाअंजारी गाँव (सिरोही)भाद्रपद शुक्ला ग्यारस एवं वैशाख पूर्णिमायह मेला गरासिया समुदाय का प्रसिद्ध मेला है।
चंद्रप्रभु मेलातिजारा (अलवर)फाल्गुन शुक्ला सप्तमी व श्रावण शुक्ला दशमी
सैपऊ महादेवसैपऊ (धौलपुर)फाल्गुन व श्रावण मास की चतुर्दशी को
रामदेवरा मेला कब है

राजस्थान के विभिन्न उर्स

उर्सस्थानतिथि
ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती का उर्सअजमेररज्जब माह की 1 से 6 तारीख तक
गागरोन उर्सगागरोन, झालावाड़ज्येष्ठ शुक्ल एकम् (चाँद से)
नरहड़ पीर जी का मेलानरहड़, झुंझुनूंकृष्ण जन्माष्टमी
गलियाकोट का उर्सगलियाकोट, डूँगरपुरमुहर्रम-27

पर्यटन विभाग (राजस्थान) द्वारा आयोजित किये जाने वाले मेले एवं उत्सव

मेले एवं उत्सवस्थानमाह
ऊँट महोत्सवबीकानेरजनवरी
मरु महोत्सवजैसलमेरजनवरी-फरवरी
हाथी महोत्सवजयपुरमार्च
मत्स्य उत्सवअलवरसितम्बर-अक्टूबर
ग्रीष्म महोत्सव (समर फेस्टीवल)माउन्ट आबू एवं जयपुरमई-जून
मारवाड़ महोत्सवजोधपुरअक्टूबर
वागड़ मेलाडूँगरपुरनवम्बर
शरद महोत्सवमाउन्ट आबूदिसम्बर
बेणेश्वर मेलाडूँगरपुरफरवरी
कजली तीजबूँदीअगस्त
चन्द्रभागा मेलाझालरपाटन (झालावाड़)अक्टूबर-नवम्बर
डीग महोत्सवडीग (भरतपुर)जन्माष्टमी
थार महोत्सवबाड़मेर
मीरा महोत्सवचित्तौड़गढ़अक्टूबर
गणगौर मेलाजयपुरमार्च
पर्यटन विभाग (राजस्थान) द्वारा आयोजित किये जाने वाले मेले एवं उत्सव

राज्यस्तरीय पशु मेले

पशु मेलास्थानगौवंशमाह
श्री मल्लीनाथ पशु मेलातिलवाड़ा, (बाड़मेर) यह मेला लूनी नदी के किनारे भरता है।थारपारकर, कॉकरेजचैत्र कृष्णा 11 से चैत्र शुक्ला 11 (अप्रैल)
श्री बलदेव पशु मेलामेड़ता (नागौर)नागौरीचैत्र शुक्ला 1 से पूर्णिमा तक (अप्रैल)
श्री तेजाजी पशु मेलापरबतसर (नागौर)नागौरीश्रावण पूर्णिमा से भाद्रपद अमावस्या (अगस्त)
श्री गोमतीसागर पशु मेलाझालरापाटन (झालावाड़)मालवीवैशाख सुदी 13 से ज्येष्ठ बुदी 5 तक (मई)
चन्द्रभागा पशु मेलाझालरापाटन (झालावाड़)मालवीकार्तिक शुक्ला 11 से मार्गशीर्ष कृष्णा 5 तक (नवम्बर)
जसवंत पशु मेलाभरतपुरहरियाणवीआश्विन शुक्ला 5 से 14 तक (अक्टूबर)
कार्तिक पशु मेलापुष्कर (अजमेर)गीरकार्तिक शुक्ला 8 से मार्गशीर्ष 2 तक (नवम्बर)
शिवरात्रि पशु मेलाकरौलीहरियाणवीफाल्गुन कृष्णा 13 से प्रारंभ (मार्च)
सेवाड़िया पशु मेलाजालौरकाँकरेज
राज्यस्तरीय पशु मेले

Rajasthan ke Pramukh Mele

मेले एवं त्यौहार

जोधपुर का धींगागवर

जोधपुर नगर में प्रतिवर्ष होली के एक पखवाड़े बाद चैत्र शुक्ला तृतीया को गणगौर का विसर्जन करने के बाद वैशाख कृष्णा पक्ष की तृतीया तक धींगागवर की पूजा होती है। इस अवसर पर महिलाएँ बेंतमार मेला आयोजित करती हैं।

गणगौर की सवारी, जैसलमेर

जैसलमेर की शाही गणगौर दुनिया की निराली गणगौर है। यहाँ गणगौर की सवारी चैत्र शुक्ला तृतीया के स्थान पर चैत्र शुक्ला चतुर्थी को निकाली जाती है।

मलूका मेला

नृसिंह जयंती पर पाली में मलूका मेला लगता है।

दशहरा मेला, कोटा

कोटा का दशहरा मेला देश भर में प्रसिद्ध है। सन् 1579 में कोटा के प्रथम शासक राव माधोसिंह द्वारा स्थापित परंपरा 400 वर्षों के बाद आज भी चली आ रही है।

सांगोद का न्हाण, कोटा

कोटा जिले में ही ‘सांगोद का न्हाण’ भी प्रसिद्ध है। न्हाण का प्रचलन नवीं शताब्दी से माना जाता है। होली के अवसर पर मनाये जाने वाले इस उत्सव में ग्रामवासी विचित्र वेशभूषा में सज कर अखाड़े निकालते हैं। सांगोद के न्हाण का प्रचलन वीरवर सांगा गुर्जर की पुण्य स्मृति में 9वीं शताब्दी से माना जाता है।

गौतमेश्वर का मेला, सिरोही

सिरोही जिले में पोसालिया नदी के तट पर गौतमेश्वर में प्रतिवर्ष चैत्र शुक्ला एकादशी से पूर्णिमा तक यह मेला लगता है। यह मीणा समाज का मेला है, जिसमें मीणा समाज अपने कुल देवता गौतमगुआ की पूजा करते हैं।

घोटिया अम्बा मेला, बाँसवाड़ा

यह बाँसवाड़ा जिले का सबसे बड़ा मेला है। यह प्रतिवर्ष चैत्र माह की अमावस्या को भरता है जिसमें राजस्थान, गुजरात तथा मध्यप्रदेश आदि प्रांतों से आदिवासी आते हैं।

फूलडोल उत्सव, शाहपुरा

भीलवाड़ा स्थित ‘शाहपुरा’ नगर अंतर्राष्ट्रीय रामस्नेही संप्रदाय के अनुयायियों का पीठ स्थल है। शाहपुरा में होली के दूसरे दिन प्रसिद्ध वार्षिक फूलडोल का मेला लगता है।

भर्तृहरि

भर्तृहरि के स्थान पर वर्ष में दो बार लक्खी मेला आयोजित होता है।

रानी सती का मेला, झुंझुनूं

झुंझुनूं में रानी सती के प्रसिद्ध मंदिर में प्रतिवर्ष भाद्रपद मास में मेला भरता है। 1988 के बाद से सती निषेध कानून के तहत इस पर रोक लगा दी है।

मारगपाली की सवारी

जयपुर में अन्नकूट यानी कार्तिक शुक्ला प्रतिपदा के दिन यह सवारी निकलती थी।

सिंजारा

गणगौर यानी चैत्र शुक्ला तृतीय के एक दिन पहले, चैत्र शुक्ला द्वितीया को सिंजारा होता है। उस दिन नववधुओं तथा बहन-बेटियों के लिए सुन्दर परिधान (विशेषत: लहरिया) तथा घेवर आदि मिष्ठान उपहारस्वरूप भेजे जाते हैं।

धींगा गणगौर

वैशाख कृष्णा तृतीया को उदयपुर में ‘धींगा गणगौर’ का त्यौहार मनाया जाता है। उदयपुर के महाराणा राजसिंह ने (सन् 1629-1680) अपनी छोटी महारानी के प्रीत्यर्थ यह त्यौहार प्रचलित किया था।

वरकाणा का मेला

पाली जिले में रानी के पास वरकाणा जैन तीर्थस्थल पर प्रतिवर्ष पौष शुक्ला दशमी को यह मेला भरता है।

गोरिया गणगौर का मेला

आदिवासियों का यह गणगौर मेला बाली तहसील के गोरिया ग्राम में प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ला सप्तमी को भरता है।

चमत्कारजी का मेला

आलनपुर (सवाईमाधोपुर) में श्री चमत्कारजी (ऋषभदेवजी) जैन मंदिर में प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा को यह प्रसिद्ध मेला लगता है।

हुरंगा

भरतपुर जिले के डांग व आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों में होली के बाद चैत्र कृष्णा पंचमी से अष्टमी तक ‘हुरंगा’ आयोजित होता है जिसमें पुरुष एवं महिलाएँ बम ढोल तथा मांट की ताल पर सामूहिक रूप से विभिन्न प्रकार के स्वांग भरकर नृत्य करते हैं।

डिग्गी श्री कल्याणजी का मेला

डिग्गी (टोंक) कस्बे में श्रावणी अमावस्या, भाद्रपद शुक्ला एकादशी व वैशाख पूर्णिमा को लगता है।

बाराँ जिले की सहरिया जनजाति का कुंभ कहा जाने वाला सीताबाड़ी मेला केलवाड़ा के निकट सीताबाड़ी में भरता है।

खेजड़ली मेला

विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला है।

मातृकुण्डियाँ मेला

चित्तौड़गढ़ जिले के राश्मी पंचायत समिति क्षेत्र में स्थित हरनाथपुरा गाँव में प्रतिवर्ष बैसाख पूर्णिमा को यह मेला भरता है।

हेड़े की (छठ की) परिक्रमा

जयपुर में प्रतिवर्ष भाद्रमास में परिक्रमाएँ आयोजित होती हैं। हेड़े की छह कोसी परिक्रमा पुराने घाट से प्रारम्भ होकर गोपाल जी के रास्ते में गोपाल जी के मंदिर में विसर्जित होती है।

सलक

दशहरे के अगले दिन जयपुर में होने वाला विशिष्ट समारोह।

खंग स्थापन

आश्विन शुक्ला प्रतिपदा को मेवाड़ में मनाया जाने वाला सामरिक समारोह।

चूरू जिले में साहब का गुरुद्वारा है जिसके साथ सिक्ख धर्म के प्रवर्तक गुरु नानक देव एवं अंतिम गुरु ‘गुरु गोविन्द सिंह’ के आने एवं रहने की स्मृतियाँ जुड़ी हुई हैं।

राज्य की सबसे ऊँची पर्वत चोटी गुरु शिखर (माउण्ट आबू-सिरोही) पर भगवान विष्णु के अवतार गुरु दत्तात्रेय का मंदिर स्थित है एवं यहाँ प्रसिद्ध धर्म सुधारक रामानन्द के चरण चिह्न भी स्थापित है।

Pushkar Mela Kahan Lagta hai

पुष्कर मेलापुष्कर (अजमेर)कार्तिक शुक्ला एकादशी से पूर्णिमाअंतर्राष्ट्रीय स्तर का मेला व राजस्थान का सबसे रंगीन मेला
Pushkar Mela Kahan Lagta hai
  • छीछ माता का मेला :- बाँसवाड़ा में।
  • डोल मेला :- बारां में।
  • चुंघी तीर्थ मेला :- जैसलमेर में।
  • तीर्थराज मेला :- मचकुण्ड (धौलपुर) में।
  • चारभुजा का मेला :- राजसमन्द में। (भाद्रपद शुक्ल एकादशी)।
  • श्री जगदीश महाराज का मेला :- गोनेर (जयपुर)।
  • ख्वाजा नजमुद्दीनशाह का उर्स :- फतेहपुर (सीकर)।
  • भद्रकाली मेला, पल्लू मेला :- हनुमानगढ़ में।

जैसलमेर में गणगौर पर केवल गवर की पूजा की जाती है, ईसर की नहीं।

मुगधणा

भोजन पकाने के लिए लकड़ियाँ, जो विनायक स्थापना के पश्चात लाई जाती है। गणगौर त्यौहार 18 दिन की अवधि तक मनाया जाता है। सोमवती अमावस्या पौष अमावस्या को मनायी जाती है तथा इस दिन पीपल वृक्ष की पूजा की जाती है। वरकाणा का मेला जैन धर्म से सम्बन्धित है।

  • धींगा गवर बेंतमार मेला – वैशाख कृष्णा तृतीया।
  • सारणेश्वर मेला :- सिरोही में (भाद्रपद शुक्ला 11-12)
  • कपिल धारा मेला सहरिया जनजाति से संबंधित है।
  • बैलून महोत्सव :- बाड़मेर में।
  • गरुड़ मेला :- बंशी जहाजपुर (भरतपुर) – कार्तिक माह में।
  • राष्ट्रीय जनजाति मेला :- डूंगरपुर में।
  • देव सोमनाथ मेला :- डूंगरपुर में।
  • गधों का मेला :- भावगढ़ बंध्या (लूणियावास, जयपुर)
  • प्रताप जयन्ती :- ज्येष्ठ शुक्ला तृतीया।
  • हिण्डोला उत्सव :- रंगजी के मंदिर (पुष्कर) में श्रावण मास में छोटी तीज से बड़ी तीज तक आयोजित उत्सव।
  • बदराना पशु मेला :- शेखावटी का प्रसिद्ध पशु मेला, जो नवलगढ़ (झुंझुनूं) में आयोजित होता है। राजस्थान में 10 राज्य स्तरीय पशु मेले आयोजित किये जाते हैं।
  • तेरूंदा :- मकर संक्रांति के अवसर पर 13 वस्तुएं दान में देने का रिवाज।
  • वैशाख कृष्णा तृतीया के दिन उदयपुर में ‘धींगा गणगौर’ महाराणा राजसिंह के काल में मनाना शुरू किया गया।
  • ढूँढ :- शिशु के जन्म के बाद होली से पहले वाली ग्यारस को होने वाला पूजन।
  • षट्‌तिला एकादशी को भगवान विष्णु की पूजा की जाती है।
  • साँझी त्यौहार ‘कुँवारी कन्याओं से’ संबंधित है।
  • शेखावटी में उब छठ को चाना छठ कहा जाता है।
  • बादशाह मृखशाह का संबंध सिंधी समाज से है।
  • राजस्थान में 6वीं शताब्दी में सूर्य की पूजा लोकप्रिय थी।
  • सुइयाँ मेला पोष अमावस्या को बाड़मेर में आयोजित होता है।
  • फुलेरा दूज :- फाल्गुन शुक्ला द्वितीया।
  • भलका चौथ :- चैत्र शुक्ल चतुर्थी को मेवाड़ में मनाई जाती है।
  • राजस्थान में सांझी बनाने की परम्परा वृन्दावन से आई।
  • वोळावणी :- गणगौर त्यौहार का अन्तिम दिन।
  • राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में दीपावली के अवसर पर हीड़ पूजन की प्रथा है। हीड़ का अर्थ होता है – प्रकाश।
  • गीता जयन्ती :- मार्गशीर्ष शुक्ला एकादशी।
  • शीतला माता मेले को ‘बेलगाड़ी मेला’ भी कहा जाता है।
  • डोलचीमार होली :- बीकानेर में।
  • 12 भाईयों का मेला :- बाड़ी (धौलपुर) में।
  • नीलापानी का मेला :- हाथोड़ (डूंगरपुर) में।
  • राज्य में सर्वाधिक मेले :- डूंगरपुर में (21 मेले)।
  • राज्य में सर्वाधिक पशु मेले :- नागौर में।
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