Karauli Mandir GK
श्री महावीर जी (करौली)
गम्भीर नदी के किनारे श्री महावीर जी (पूर्व में चंदनपुर) नामक स्थल पर प्रतिवर्ष (महावीर जयन्ती) चैत्र शुक्ला तेरस से बैशाख कृष्णा प्रतिपदा (मार्च-अप्रैल) तक विशाल लक्खी मेला लगता है।
यह मंदिर करौली के लाल पत्थर और संगमरमर के योग से चतुष्कोण आकार में निर्मित है। दिगम्बर और श्वेताम्बर समान रूप से यहाँ पूजा-अर्चना करते हैं। मेले का मुख्य आकर्षण जिनेद्र रथ यात्रा है जो मुख्य मंदिर से प्रारम्भ होकर गंभीरी नदी के तट तक जाती है।
स्वर्ण आभा से सुशोभित भव्य रथ पर विराजित प्रतिमा का अभिषेक पीतवस्त्रधारी भक्तजन करते हैं, जबकि शासन (राजा) के प्रतिनिधि स्वरूप क्षेत्रीय उपखंड अधिकारी रथ के सारथी बनते हैं।
ज्ञातव्य है कि श्री महावीर जी जैन धर्म के लोगों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। इनके अलावा मीणा एवं गुर्जर समुदाय के लोग भी इनकी पूजा करते हैं।
कैलादेवी मंदिर
करौली से 25 किमी. दूर त्रिकूट पर्वत पर कालीसिल नदी के किनारे स्थित कैलादेवी का श्वेत संगमरमर से बना आकर्षक मंदिर राजपूत वास्तुकला का अनुपम नमूना है।
इसमें कैलादेवी की मूर्ति केदारगिरी द्वारा यहाँ स्थापित (1114) की गई। कालान्तर में खींची राजा मुकुन्ददास, यादव राजा गोपाल सिंह एवं भँवरपाल सिंह द्वारा इस मंदिर में अनेक भवनों का निर्माण करवाया।
इस मंदिर के ठीक सामने ही लांगुरिया भक्त का मंदिर है। लांगुरियों के बारे में कहा जाता है कि यह भैरव का अवतार है और देवी का परम भक्त है। लोकमान्यता है कि लांगुरिया को रिझाए बिना देवी प्रसन्न नहीं होती।
इसलिए करौली क्षेत्र की कुलदेवी कैला देवी की आराधना में लांगुरिया गीत गाते हुए जोगनिया नृत्य कर उसे रिझाने का प्रयास करती है। इस मंदिर के सामने बोहरा भक्त की छतरी है।
यह चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को 84 भोग के दर्शन के निमित्त विशाल मेला लगता है।
मदनमोहन मंदिर (करौली)
1748 ई. में महाराजा गोपालसिंह द्वारा निर्मित मंदिर। इस मंदिर में स्थापित मदनमोहन जी की मूर्ति महाराजा गोपालसिंह जयपुर से लाये थे। यह मंदिर माध्वी गौड़ीय सम्प्रदाय का मंदिर है।
अंजनी माता का मंदिर
यहाँ अंजनी माता की हनुमानजी को स्तनपान कराती हुई भारत की एकमात्र मूर्ति है।