जालौर के मंदिर | Jalore Mandir GK

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सिरे मंदिर

जालोर दुर्ग की निकटवर्ती पहाड़ियों में स्थित सिरे मंदिर नाथ सम्प्रदाय के प्रसिद्ध ऋषि जालन्धर नाथ की तपोभूमि के कारण प्रसिद्ध वर्तमान मंदिर का निर्माण मारवाड़ रिसायत के राजा मानसिंह ने करवाया। विपत्ति के दिनों में इन्होंने यहाँ शरण ली थी।

आशापुरी माता का मंदिर

जालोर से 40 किमी. दूर मोदरा स्थित आशापुरी माता का मंदिर महिषासुर मर्दिनी, महोदरी माता एवं मोदरा माता के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ स्थापित मूर्ति लगभग 1000 वर्ष पुरानी है। जालोर के सोनगरा चौहानों की जो शाखा नाडोल से उठकर आयी थी उनकी ये कुलदेवी थी। यहाँ प्रतिवर्ष होली के तीसरे दिन विशाल मेले का आयोजन किया जाता है।

सेवड़ा मंदिर

रानीवाड़ा-सांचोर मार्ग पर अत्यन्त प्राचीन शिव मंदिर अवस्थित है। मंदिर के चारों ओर कलात्मक खुदाई वाले प्रस्तर बिखरे हुए हैं।

जगन्नाथ महादेव

अरावली पर्वतमाला में बना यह आश्रम चारों ओर रेत के टीलों से घिरा हुआ है। यहाँ वर्ष भर झरना बहता है। यहाँ प्राचीन शिवलिंग स्थापित है। यहाँ शिवरात्रि के अवसर पर विशाल मेले का आयाजन किया जाता है।

सुन्धा मंदिर

अरावली पर्वत शृंखला में 1220 मीटर की ऊँचाई के सुन्धा पर्वत पर जसवन्तपुरा पंचायत समिति क्षेत्र में दांतलावास ग्राम के समीप चामुण्डा देवी का प्रख्यात मंदिर स्थित है। यह जालोर का प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ वर्ष भर झरना बहता है। यहाँ माँ अहेटेश्वरी देवी का मंदिर है।

यह श्रीमाली ब्राह्मणों की कुलदेवी है। इस मंदिर में माता के सिर्फ सिर की पूजा की जाती है। यहाँ पर प्रति माह पूर्णिमा को तथा भाद्रपद और वैशाख शुक्ल की तेरस से पूर्णिमा तक विशाल मेला भरता है। सुन्धा पर्वत पर राजस्थान का पहला राेपवे 20 दिसम्बर, 2006 को प्रारम्भ किया गया।

वीर फत्ता जी का मंदिर

साथू गाँव में स्थित मंदिर जहाँ भाद्रपद शुक्ला नवमी को मेला भरता है।

आपेश्वर महादेव

13वीं सदी में बना भगवान अपराजितेश्वर शिव मंदिर आज आपेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। यहाँ स्थापित शिव प्रतिमा 5 फुट ऊँची है। मंदिर के बायीं ओर गोमती कुण्ड नामक बावड़ी है। मंदिर में श्वेत-श्याम वर्ण की दो मूर्तियाँ स्थापित है।

माण्डोली का गुरु मंदिर

गुरुवर शांति सूरिश्वर का यह मंदिर पूरे भारत के जैन मतावलम्बियों के लिए अत्यन्त श्रद्धा एवं विश्वास का केन्द्र है।

नन्दीश्वर दीप तीर्थ

भीनमाल (जालोर) में स्थित मंदिर। यहाँ 52 जिनालय हैं। मंदिर में एक कीर्ति स्तम्भ भी है।

सुभद्रा माता का मंदिर

भाद्राजून (जालौर) में स्थित मंदिर। इस मंदिर को धूमड़ा माता का मंदिर कहा जाता है।

क्षेमकरी / खीमज माता का मंदिर

भीनमाल (जालौर) में स्थित। यह सोलंकियों की कुलदेवी मानी जाती है।

श्री लक्ष्मीवल्लभ पार्श्वनाथ जिनालय

भीनमाल में स्थापित देश का सबसे बड़ा जैन मंदिर। यह मंदिर सर्वतोभद्र श्रीयंत्र रेखा पर बनाया गया है। यह मंदिर लुंकड परिवार द्वारा बनाया गया। यह किसी एक परिवार द्वारा बनाया जाने वाला देश का पहला विशाल तीर्थ है। इस मंदिर में 72 जिनालय हैं।

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