राजस्थान के जैन संत

Rajasthan Ke Jain Sant

आचार्य भिक्षु स्वामी

  • अन्य नाम :- भीखण जी
  • श्वेताम्बर जैन आचार्य।
  • जन्म :- 1726 में कंटालिया (मारवाड़) में।
  • 1760 में जैन श्वेताम्बर के तेरापंथ सम्प्रदाय की स्थापना की। ये इस सम्प्रदाय के प्रथम आचार्य बने।

आचार्य श्री तुलसी

  • जन्म :- 1914 में लाडनूं में।
  • तेरापंथ सम्प्रदाय के आचार्य।
  • ‘अणुव्रत’ का सिद्धान्त दिया।
  • जैन श्वेताम्बर सम्प्रदाय’ के 9वें आचार्य।
  • 1949 को चूरू जिले के सरदारशहर से ‘अणुव्रत आन्दोलन’ प्रारम्भ किया।
  • 1980 में लाडनूं में समण श्रेणी को प्रारम्भ किया।
  • फरवरी 1994 में सुजानगढ़ में मर्यादा महोत्सव का आयोजन करवाया।
  • 23 जून, 1997 को निधन।

आचार्य महाप्रज्ञ

  • जन्म :- 1920 टमकोर (झुंझुनूं) में।
  • 1970 के दशक में ‘प्रेक्षाध्यान’ सिद्धान्त दिया। इस सिद्धान्त के चार चरण हैं – ध्यान, योगासन एवं प्राणायाम, मंत्र एवं थेरेपी
  • सुजानगढ़ से 2001 में ‘अहिंसा यात्रा’ प्रारम्भ की।
  • 1991 में लाडनूं में ‘जैन विश्व भारतीडीम्ड विश्वविद्यालय की स्थापना की।
  • 2003 में जारी सूरत स्प्रिचुअल घोषणा (SSD) के नेतृत्वकर्ता।
  • रचित पुस्तकें :- मंत्र साधना, योग, अनेकांतवाद, Art of thinking Positive, Mistries of Mind, Morror of World.
  • 9 मई, 2010 को देहावसान।

आचार्य श्री महाश्रमण

  • 13 मई, 1962 को सरदार शहर में जन्म।
  • मूल नाम :- मोहन दूगड़
  • रचित पुस्तकें :- आओ हम जीना सीखें, दु:ख मुक्ति का मार्ग, संवाद भगवान से, ‘महात्मा महाप्रज्ञ’ आदि।

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