पाली के मंदिर | Pali Mandir GK

Pali Mandir GK

चामुण्डा मंदिर

राजा भोज द्वारा निमाज कस्बे के निकट स्थापित यह मंदिर लाल पत्थर की मूर्तियों पर बारीक कारीगरी की उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध है।

पार्श्वनाथ मंदिर 

वैश्या का मंदिर, रणकपुर के मंदिर के सामने स्थित इस मंदिर में अश्लील मूर्तियों की अधिकता है।

सोमनाथ मंदिर

पाली शहर के मध्य में स्थित यह मंदिर अपनी शिल्पकला के लिए प्रसिद्ध है। इसका निर्माण गुजरात के राजा कुमारपाल सोलंकी ने वि.स. 1209 में करवाया।

आशापुरा माताजी का मंदिर

नाडोल गाँव के पास स्थित चौहानों की कुलदेवी का यह मंदिर राजेश्वर लाखनसिंह चौहान द्वारा 1009 में निर्मित करवाया गया।

फालना का स्वर्ण मंदिर

बेजोड़ स्थापत्य कला पर सैकड़ों किलो सोने का श्रृंगार समर्पण का वह साक्ष्य है जो केवल पाली जिले के फालना में ही देखने को मिलता है। जोधपुर से 130 किमी. की दूरी पर स्थित फालना के इस जैन मंदिर के गुम्बद पर सोने की परत चढ़ाने में दो महीने का वक्त लगा था।

सदियों पुराने इस जैन मंदिर की स्थापत्य कला पर स्वर्ण श्रृंगार जहाँ बेजोड़ कारीगरी का उदाहरण है, वहीं समाज की महिलाओं द्वारा मंदिर के जीर्णोद्वार व स्वर्ण इकट्ठा करने में दिया सहयोग प्रभु प्रेम के वह उदाहरण हैं जो बिरले ही देखने को मिलते हैं।

फालना के इस स्वर्ण मंदिर को गेटवे ऑफ गोडवाड़ व मिनी मुम्बई के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर त्रिशिखरी है जो प्रसिद्ध जैन तीर्थ रणकपुर और देलवाड़ा मंदिरों की तर्ज पर बना हुआ हे। मंदिर में तीनों शिखर, स्तम्भ प्रांगण को सोने की परतों से सुशोभित किया गया है।

इस मंदिर का निर्माण वि.सं. 1970 में करवाया गया था। जिसमें सर्वप्रथम मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा भट्टारक आचार्य मुनिचन्द्र सूरीश्वर ने की थी। मंदिर में भगवान शंखेश्वर पार्श्वनाथ और जैन तीर्थकरों के साथ धर्मनाथ, केसरियाजी, पदमप्रभु चिन्तामणि पार्श्वनाथ, नाकोड़ा भैरवनाथ, परमावतीदेवी, अम्बिकादेवी, महालक्ष्मीदेवी की मूर्तियाँ शोभायमान हैं।

इन मूर्तियों के मुख मंडल से ही इतना तेज बरसता है कि कोई भी दर्शन मात्र से मनोकामनापूर्ण होने की आशा के साथ आगे बढ़ता है।

निंबों का नाथ मंदिर

पाली में स्थित नाथ महादेव मंदिर के बारे में जनमान्यता है कि इस मंदिर में पाण्डवों की माता कुन्ती शिव पूजा करती थी।

परशुराम महादेव मंदिर

सादड़ी (पाली) से 14 किलोमीटर पूर्व में अरावली पर्वतमाला की गुफा में स्थित शिव मंदिर। इस मंदिर में प्राकृतिक शिवलिंग बना हुआ है जिसकी परशुराम तपस्या करते थे।

मूंछाला महावीर मंदिर

यह मंदिर कुम्भलगढ़ अभयारण्य में घाणेराव के निकट 10वीं सदी का बना है। इस मंदिर में मूंछाला वाले महावीर स्वामी की मूर्ति स्थापित है।

चौमुख जैन मंदिर रणकपुर

पाली की देसूरी तहसील में स्थित यह प्रसिद्ध श्वेताम्बर जैन मंदिर है। इस मंदिर का निर्माण राणा कुम्भा के काल में धरणकशाह द्वारा शिल्पी दापा की देखरेख में 1439 ई. में बनवाया गया। यह मंदिर भगवान आदिनाथ का मंदिर है। यह मंदिर 1444 स्तम्भों पर टिका हैं। इस मंदिर को ‘स्तम्भों का वन’ भी कहते हैं। इस मंदिर को कवि माघ ने ‘त्रिलोक दीपक’ व आचार्य विमल सूरि ने ‘नलिनी गुल्म विमान’ कहा है। इस मंदिर का उपनाम ‘चतुर्मुख जिनप्रासाद’ है।

नारलाई

पाली में स्थित यह स्थान जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। नारलाई में गिरनार तीर्थ, सहसावन तीर्थ एवं भंवर गुफा दर्शनीय है।

वरकाणा

यहाँ पार्श्वनाथ भगवान का प्राचीन जैन मंदिर है।

सिरियारी 

पाली में स्थित यह स्थान श्वेताम्बर तेरापंथी सम्प्रदाय का लोकतीर्थ है।

पाली के पंचतीर्थ 

वरकाणा, नारलाई, नाडोल, मूंछाला महावीर एवं रणकपुर

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