Koto Mandir GK
मथुराधीश मंदिर
पाटनपोल स्थित इस मंदिर का शुमार वल्लभ सम्प्रदाय की प्रमुख सात पीठों में से एक पीठ में होता है। इस मंदिर का निर्माता राजा शिवगण था। विक्रम संवत 1801 में कोटा नरेश दुर्जनशाल हाड़ा मथुराधीश की प्रतिमा को कोटा लाये। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है।
रंगबाड़ी
यहाँ महावीरजी का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है।
जगमंदिर
महारानी बृज कँवर द्वारा 1740 में किशोर सागर झील में निर्मित मंदिर।
बूढ़ादीत का सूर्य मंदिर
दीगोद से 14 किमी. दूर स्थित पंचायतन शैली का मंदिर जो 9वीं शताब्दी का माना जाता है।
कंसुआ शिव मंदिर
8वीं सदी का शिव मंदिर जिसके गर्भगृह में काले पत्थर का चतुर्भुज शिवलिंग है। यहाँ स्थित मंदिर में भैरव की आदमकद मूर्ति विराजमान है। यहाँ 8वीं शताब्दी की कुटिल लिपि में शिवगण मौर्य का शिलालेख है।
गेपरनाथ महादेव मंदिर
रथकांकरा में जमीन की सतह से लगभग 300 फुट नीचे गर्भ में स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि मंदिर में स्थित शिवलिंग पर सदैव एक जलधारा बहती रहती है।
विभीषण मंदिर
कैथून (कोटा) में स्थित यह मंदिर भारत का एकमात्र विभीषण मंदिर है। इसका निर्माण तीसरी सदी से पाँचवी सदी के मध्य माना जाता है। इस मंदिर के गर्भगृह में स्थापित मूर्ति की विशेषता यह है कि इस मूर्ति का धड़ नहीं है।
चार चौमा शिवालय
कोटा में स्थित यह शिवालय गुप्तकालीन शिव मंदिर है। यह कोटा राज्य का सबसे प्राचीन शिवालय माना जाता है। (चौथी-पाँचवी सदी में निर्मित)
खटुम्बरा शिव मंदिर
कोटा में स्थित यह मंदिर उड़ीसा के मंदिरों से साम्यता रखता है।
भीमचौरी का मंदिर
दर्रा (कोटा) में स्थित यह मंदिर राजस्थान में ज्ञात गुप्तकालीन मंदिरों में प्राचीनतम है।
करणेश्वर महादेव मंदिर
कनवास (सांगोद, कोटा) में स्थित।