जैसलमेर के मंदिर | Jaisalmer Mandir GK

Jaisalmer Mandir GK

भटियाणी का मंदिर

जैसलमेर शहर के निकट स्थित प्रसिद्ध सतीमाता का मंदिर। यहाँ स्थित भव्य चिन्तामणि पार्श्वनाथ जैन मंदिर (इसका निर्माण थारूशाह भंसाली ने करवाया), हिंगलाज माता का मंदिर दर्शनीय है।

रामदेवरा

जैसलमेरबीकानेर मार्ग पर जैसलमेर से 125 किमी. दूर स्थित गाँव जिसे रूणेचा भी कहा जाता है। यहाँ लोकदेवता बाबा रामदेवजी का प्रसिद्ध मंदिर, परचा बावड़ी, रामदेवजी की शिष्या डालीबाई की समाधि दर्शनीय है।

इस मंदिर में भाद्रपद माह में विशाल मेला भरता है जिसमें आने वाले तीर्थयात्रियों को ‘जातरु’ कहा जाता है। यह मेला राष्ट्रीय एकता एवं साम्प्रदायिक सद्‌भाव का मुख्य केन्द्र है। इस मंदिर के पुजारी तंवर जाति के राजपूत होते हैं।

स्वांगिया जी के मंदिर

स्वांगियाजी जैसलमेर के भाटियों की कुलदेवी है। स्वांगिया देवी का प्रतीक त्रिशूल है। जैसलमेर में स्वांगियाजी के सात मंदिर हैं

तनोटराय मंदिर

भाटी तणु राव द्वारा तनोट में निर्मित मंदिर। वर्तमान में इस मंदिर में पूजा का कार्य सीमा सुरक्षा बल के भारतीय सैनिकों द्वारा सम्पादित किया जाता है।

तनोटराय मंदिर के सामने ही 1965 के भारत-पाक युद्ध में भारत की विजय का प्रसिद्ध स्मारक विजय स्तम्भ स्थित है। तनोट देवी को ‘थार का वैष्णो देवी’ कहा जाता है।

तेमडीराय का मंदिर

जैसलमेर के गरलाउणे नामक पहाड़ की गुफा में निर्मित मंदिर। यहाँ पर श्रद्धालु भक्तों को देवी के दर्शन छछुन्दरी के रूप में होते हैं।

सुग्गा माता का मंदिर

जैसलमेर के भादरिया गाँव में स्थित मंदिर। इस मंदिर का निर्माण महारावल गजसिंह ने करवाया। इस मंदिर को आधुनिक रूप संत हरवंश सिंह निर्मल ने दिया। इस मंदिर को भादरियाराय का मंदिर भी कहा जाता है।

काला डूँगरराय का मंदिर

जैसलमेर में महारावल जवाहरसिंह द्वारा निर्मित मंदिर

घंटियाली राय का मंदिर

यह मंदिर तनोट से 5 किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण पूर्व मेंं स्थित है।

देगराय का मंदिर

जैसलमेर के पूर्व में देगराय जलाशय पर निर्मित मंदिर।

गजरूप सागर मंदिर

महारावल गजसिंह द्वारा निर्मित मंदिर।

भगवान लक्ष्मीनाथ का मंदिर

जैसलमेर दुर्ग में 1437 ई. में रावल लक्ष्मणसिंह के राज्यकाल में निर्मित मंदिर। इसमें लक्ष्मी व विष्णु की युगल प्रतिमा है।

इस मंदिर के निर्माण में शासक के अलावा सात जातियों द्वारा निर्माण कार्य में सहयोग प्रदान करने के कारण यह ‘जन-जन का मंदिर’ कहलाता है।

पार्श्वनाथ मंदिर

जैसलमेर दुर्ग में स्थित इस मंदिर का निर्माण शिल्पकार ‘घन्ना’ ने विक्रम संवत् 1473 में महारावल लक्ष्मणसिंह के समय किया। वृदिरत्न माला के अनुसार इस मंदिर में 1235 मूर्तियाँ हैं।

संभवनाथ मंदिर

विक्रम संवत् 1497 में महारावल बैर सिंह के समय श्वेताम्बर पंथी जैन परिवार द्वारा निर्मित मंदिर। इस मंदिर के भूगर्भ में बने कक्ष में दुर्लभ पुस्तकों का भण्डार ‘जिनदत्त सूरी ज्ञान भंडार’ स्थित है।

चंद्रप्रभु मंदिर

12वीं सदी में निर्मित तीन मंजिला विशाल जैन मंदिर, जो जैन तीर्थंकर चंद्रप्रभु को समर्पित है। अलाउद्दीन खिलजी ने जैसलमेर पर आक्रमण के समय इस मंदिर को ध्वंस कर दिया था।

लोद्रवा जैन मंदिर

इस मंदिर का निर्माण विक्रम संवत् 1675 में थारूशाह नामक श्रेष्ठी ने करवाया। मंदिर के गर्भगृह में सहस्रफण पार्श्वनाथ की श्याम प्रतिमा प्रतिष्ठित है।

वैशाखी हिन्दू महातीर्थ

यहाँ वैशाख पूर्णिमा को विशाल मेला भरता है। जहाँ तीर्थ यात्री वैशाखी के कुण्डों में स्नान करते हैं।

चुन्धी गणेश मंदिर

यह मंदिर मुख्यत: घर की मन्नत पूर्ण करने के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ गंगा सप्तमी एवं गणेश चतुर्थी को मेला भरता है।

खींवज माता का मंदिर

पोकरण (जैसलमेर) में स्थित मंदिर।

अषृपाद मंदिर

जैसलमेर में स्थित है।

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