Baran Mandir GK
लक्ष्मीनारायण का मंदिर (तेली का मंदिर)
मांगरोल तहसील के श्रीनाल गाँव में स्थित प्रसिद्ध मंदिर। इस शिखर बंध मंदिर के तोरण द्वार पर हाथी बने हुए है।
ब्रह्माणी माता का मंदिर
बारां से लगभग 20 किमी. दूर सोरसण गाँव के समीप स्थित एक प्राचीन मंदिर। यह एकमात्र मंदिर है जिसमें देवी की पीठ का शृंगार तथा पूजा की जाती है।
इस मंदिर में विगत 400 वर्ष़ों से अखण्ड ज्योति जल रही है। चारों ओर ऊंचे परकोटे से घिरे इस मन्दिर को शैलाश्रय मन्दिर गुफा या मंदिर भी कहा जाता है।
यहाँ माघ शुक्ला सप्तमी को लगने वाला ब्रह्माणी माता का मेला हाड़ौती क्षेत्र का एकमात्र गधों का मेला है।
भंडदेवरा शिव मंदिर
खजुराहो शैली में 10वीं सदी में मेदवंशीय राजा मलय वर्मा द्वारा निर्मित शिव मंदिर। इस मंदिर का जीर्णोद्धार राजा त्रिशावर्मन द्वारा करवाया गया। यह मंदिर पंचायतन शैली का उत्कृष्ट नमूना है। इसे हाड़ौती का खजुराहो एवं राजस्थान का मिनी खजुराहो भी कहा जाता है।
काकूनी मंदिर समूह
बारां जिले की छीपाबड़ौद तहसील में मुकुन्दरा की पहाड़ियों में परवन नदी के किनारे स्थित 108 मंदिरों की शृंखला। यह शैव, वैष्णव एवं जैन मंदिर 8वीं सदी के बने हुए हैं।
फूल देवरा का शिवालय
अटरू (बारां) में स्थित शिवालय। इस शिवालय के निर्माण में चूने का प्रयोग नहीं किया गया है। इस मंदिर को मामा-भान्जा का मंदिर भी कहा जाता है।
गड़गच्च देवालय
अटरू (बारां) में 10वीं सदी में निर्मित शिव मंदिर। इस मंदिर को मुगल शासक औरंगजेब ने तोपों से तुड़वा दिया।
श्री कल्याणजी का मंदिर
इसे श्रीजी का मंदिर भी कहा जाता है। इस मंदिर का निर्माण बूँदी की राजमाता राजकुंवर बाई ने करवाया था।
जोड़ला मंदिर
बारां में स्थित है।