तारागढ़ दुर्ग बूँदी
- गिरि दुर्ग।
- यह दुर्ग धरती से आकाश के तारे के समान दिखलाई पड़ता है।
- निर्माण :- राव बरसिंह द्वारा 1354 ई. में।
- लगभग 1426 फीट ऊँचे पर्वत शिखर पर निर्मित।
किले के बाहरी दीवार का निर्माण 18वीं सदी में फौजदार दलील ने करवाया था। ‘वीर विनोद’ के अनुसार महाराणा क्षेत्रसिंह बूँदी विजय करने के प्रयास में मारे गए थे। गर्भ गुजन तोप इसी दुर्ग में है।
Taragarh Fort Bundi
- कर्नल जेम्स टॉड ने बूँदी के राजमहलों को राजस्थान के सभी राजप्रासादों में सर्वश्रेष्ठ बताया है।
- दुर्ग में स्थित महल :- छत्र-महल, अनिरुद्ध महल, रतन-महल, बादल-महल, फूल महल।
- प्रवेश द्वार :- हाथी पोल, गणेश पोल, हजारी पोल, पाटन पोल, भैरव पोल एवं शकल बारी दरवाजा।
- मेवाड़ महाराणा राणा लाखा ने इस दुर्ग को जीतने की प्रतिज्ञा पूर्ण न करने पर मिट्टी का नकली दुर्ग बनाकर उसे ध्वस्त करके अपनी कसम पूरी की।
हाड़ा राजपूतों के शौर्य एवं वीरता की प्रतीक। यहाँ 84 खम्भों की छतरी, शिकार बुर्ज, फूलसागर, जैतसागर और नवलसागर सरोवर बूँदी के वैभव को दर्शाते हैं। महाराव उम्मेदसिंह के काल में निर्मित चित्रशाला (रंगविलास) बूँदी चित्रशैली का उत्कृष्ट उदाहरण है। बूँदी दुर्ग की प्राचीर (शहरपनाह) का निर्माण राव बुद्धसिंह ने सन् 1700 ई. के लगभग करवाया।