Ajmer Mandir GK
ब्रह्माजी का मंदिर
चतुर्मुखी मूर्ति जिसमें ब्रह्माजी पालती मारकर विराजमान है। केन्द्र सरकार के भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने जगत पिता ब्रह्मा मंदिर को राष्ट्रीय महत्व का स्मारक घोषित किया है। इस मंदिर को वर्तमान स्वरूप गोकलचन्द पारीक द्वारा 1809 ई. में दिया गया।
सावित्री का मंदिर
ब्रह्मा जी की पत्नी सावित्री जी का यह मंदिर सम्पूर्ण भारत में एकमात्र इसी स्थान पर स्थित है। यहाँ सावित्री जी के चरण और उनकी पुत्री सरस्वती जी की मूर्ति प्रतिष्ठित है। इसका निर्माण गोकलचन्द पारीक द्वारा किया गया।
रंगनाथजी
दक्षिण भारतीय शैली में बना राजस्थान का सबसे बड़ा विष्णु मंदिर। यह मंदिर भगवान विष्णु, लक्ष्मी एवं नृसिंह की मूर्तियों से मंडित है। इस मंदिर का निर्माण 1844 ई. में सेठ पूरणमल ने करवाया।
वराह मंदिर
इसका निर्माण अर्णोराज ने (1123-50) करवाया। इस मंदिर का जीर्णोद्धार महाराणा प्रताप के भाई सागर ने करवाया।
- नवग्रह मंदिर – किशनगढ़ (अजमेर) में स्थित।
- सलेमाबाद – निम्बार्क सम्प्रदाय की प्रधान पीठ।
- रमा बैकुण्ठ मन्दिर – पुष्कर झील के निकट स्थित रामानुज सम्प्रदाय का विशाल मंदिर है।
- कल्पवृक्ष मंदिर – मांगलियावास (अजमेर)।
- आनंडी माता का मंदिर – नोसल (किशनगढ़) में स्थित।
- पीपलाज माता का मंदि – ब्यावर (अजमेर) में स्थित।
- पातालेश्वर महादेव मंदिर – पुष्कर (अजमेर) में स्थित।
काचरिया मंदिर
किशनगढ़ (अजमेर) में स्थित इस मंदिर में राधाकृष्ण का स्वरूप विराजमान है। कृष्ण का विग्रह अष्ट धातु निर्मित घनश्याम वर्ण का है। वहीं राधारानी का विग्रह पीतल का है। मंदिर में भगवान की सेवा निम्बार्क पद्धति से की जाती है।
सोनीजी की नसियाँ
सेठ मूलचंदजी सोनी द्वारा 1864 ई. में इसका निर्माण प्रारम्भ किया गया, जो सेठ टीकमचंद सोनी के समय बनकर तैयार हुआ। यह जैन सम्प्रदाय का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसमें प्रथम जैन तीर्थंकर आदिनाथ की मूर्ति है। इसे सिद्धकूट चैत्यालय भी कहा जाता है। यह लाल मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
नारेली तीर्थ
अजमेर में मदार के पास स्थित दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र।