राजस्थान में साहित्यिक विकास हेतु संस्थाएँ

राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर

राजस्थान में साहित्य की प्रोन्नति तथा साहित्यिक संचेतना के प्रचार-प्रसार हेतु 28 जनवरी 1958 को स्थापित। अकादमी द्वारा राजस्थानी क्षेत्र में दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार मीरा-पुरस्कार है। संस्थान की पत्रिका-मधुमति।

राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर

संस्कृत भाषा को लोकप्रिय बनाने, संस्कृत मौलिक लेखन को प्रोत्साहन देने, संस्कृत साहित्य को प्रकाशित करने तथा नवोदित प्रतिभाओं को प्रकाश में लाने हेतु वर्ष 1980 में राजस्थान संस्कृत अकादमी की स्थापना की गई। माघ पुरस्कार इस अकादमी द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार है। पत्रिका –स्वर मंगला

राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर

ब्रजभाषा के सम्यक प्रचार-प्रसार एवं विकास हेतु वर्ष 1985-86 में स्थापित।

राजस्थान सिंधी अकादमी, जयपुर

सिंधी साहित्य के प्रचार-प्रसार एवं विकास हेतु इस अकादमी की स्थापना की गई।

राजस्थान उर्दू अकादमी, जयपुर

उर्दू भाषा एवं साहित्यिक कार्यकलापों को प्रोत्साहित करने हेतु सन् 1979 में स्थापित। पत्रिका – नखलिस्तान

राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर

हिन्दी में विश्वविद्यालय स्तरीय मानक पाठ्य पुस्तकों एवं संदर्भ ग्रंथों के निर्माण, प्रकाशन तथा हिन्दी भाषा के उन्नयन हेतु 15 जुलाई, 1969 को स्थापित।

राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर

जनवरी, 1983 में राजस्थानी भाषा एवं साहित्य के विकास हेतु इस अकादमी की स्थापना बीकानेर में की गई।  पत्रिका – जागती जोत, पुरस्कार – सूर्यमल्ल मिश्रण शिखर पुरस्कार।

मौलाना अबुल कलाम आजाद अरबी-फारसी शोध संस्थान, टोंक

अरबी-फारसी भाषा एवं साहित्य के शोध एवं विकास हेतु 4 दिसम्बर, 1978 को अरबी-फारसी शोध संस्थान की स्थापना टोंक में की गई। इसके भवन का नाम ‘कसरे इल्म’ है।

राजस्थान का साहित्य

राजस्थान का संस्कृत साहित्य

पुस्तकलेखकविशेष विवरण
पृथ्वीराज विजय         जयानकदिल्लीअजमेर के चौहान शासकोंका राजनीतिक व सांस्कृतिक इतिहास
हम्मीर महाकाव्य         नयनचन्द्र सूरीरणथम्भौर के चौहानोंअलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण की जानकारी
राज वल्लभ  मण्डन  15वीं सदी की स्थापत्य कला
राज विनोद    सदाशिव भट्ट16वीं सदी के समाज का रहन-सहन
एकलिंग महात्म्यकान्ह व्यास व कुम्भागुहिल वंश की जानकारी
अमरसार      पं.जीवाधरमहाराणा प्रतापअमरसिंह के बारे में जानकारी
राज रत्नाकर  सदाशिव भट्टराजसिंह (उदयपुर) के बारे में
अमरकाव्य    रणछोड़ भट्टमेवाड़ का सामाजिक व धार्मिक जीवन वंशावली
अजीतोदय    जगजीवन भट्टमारवाड़ के जसवन्त सिंहअजीत सिंह के बारे में
राजस्थान का संस्कृत साहित्य

राजस्थान का राजस्थानी साहित्य

पुस्तकलेखकविवरण
पृथ्वीराज रासो          चन्दवरदाईपृथ्वीराज चौहान तृतीय के विषय में
बीसलदेव रासोनरपति नाल्ह     विग्रहराज चतुर्थ (बीसलदेव) के विषय
हम्मीर रासो   सारंगधर  (जोधराज)        हम्मीर (रणथम्भौर)के विषय में
खुमाण रासो   दलपति विजय 
वंश भास्कर   सूर्यमल्ल मिश्रण बूँदी के राजाओं का वंशा क्रमानुसार इतिहास
सूरज प्रकाशकरणीदानअभयसिंह (जोधपुर)के विषय में
वीर सतसई   सूर्यमल्ल मिश्रण 
वीर विनोद    श्यामल दास 
राज रूपक    वीरभाण 
गुण रूपक   केशवदास 
गुण भाष्य    हेमकवि 
कान्हड़दे प्रबंध          पद्मनाभअलाउद्दीन खिलजी के जालौर आक्रमण के विषय में
अचलदास खींची री वचनिकाशिवदास गाडण    
वेलि क्रिसन रुकमणि री       पृथ्वीराज राठौड़ 
राम रासो    माधोदास 
मुहता नेणसीरी ख्यातमुहणोत नेणसी 
राजिये रा सोरठा         कृपाराम 
चेतावनी राचुंगट्याकेसरी सिंह बारहठ 
राजस्थान का राजस्थानी साहित्य

राजस्थानी साहित्य के विकास में संवत् 15वीं से 17वीं सदी के समय को उत्कर्षकाल तथा सन् 17वीं से 19वीं सदी तक के समय को ‘राजस्थानी साहित्य का स्वर्णकाल’ कहा गया।

कुवलयमाला :- उद्योतन सूरि (जालौर) की काव्य-रचना। गवरीबाई को ‘बागड़ की मीरां’ कहा जाता है।

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