आधुनिक साहित्यकार
यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ | उपन्यास- हूँ गोरी किण पीवरी,खम्मा अन्नदाता, मिट्टी का कलंक,जमानी ड्योढ़ी हजार घोड़ों का सवार। तासरो घर (नाटक), जमारो (कहानी)। |
रांगेय राघव | उपन्यास- घरौंदे, मुर्द़ों का टीला,कब तक पुकारुँ, आज की आवाज। |
मणि मधुकर | उपन्यास- पगफैरों, सुधि सपनों के तीर।रसगंधर्व (नाटक)। खेला पालेमपुर (नाटक) |
विजयदान देथा (बिज्जी) | उपन्यास- तीड़ो राव, मां रौ बादलौ।कहानियाँ अलेखूँ, हिटलर, बाताँ री फुलवारी। |
शिवचन्द्र भरतिया | कनक सुंदर (राजस्थानी का प्रथम उपन्यास),केसरविलास (राजस्थानी का प्रथम नाटक)। |
स्व.नारायणसिंह भाटी | कविता संग्रह साँझ, दुर्गादास, परमवीर,ओलूँ, मीरा। बरसां रा डिगोड़ा डूँगर लांघिया। |
श्रीलाल नथमल जोशी | उपन्यास- आभैपटकी, एक बीनणी दो बींद। |
स्व. हमीदुल्ला नाटक | दरिन्दे, ख्याल भारमली। इनकानवम्बर, 2001 में निधन हो गया। |
भरत व्यास | रंगीलो मारवाड़। |
जबरनाथ पुरोहित | रेंगती हैं चींटियाँ (काव्य कृतियाँ)। |
लक्ष्मी कुमारी चूँडावत | कहानियाँ मँझली रात, मूमल,बाघो भारमली। |
चन्द्रप्रकाश देवल | पागी, बोलो माधवी। |
सत्यप्रकाश जोशी | बोल भारमली (कविता)। |
कन्हैयालाल सेठिया | बोल भारमली (कविता)। पातळ एवं पीथळ,धरती धोरां री, लीलटांस ये चूरू निवासी थे। |
राजस्थानी साहित्य
रचनाकार | |
सेनाणी | मेघराज मुकुल |
राधा (युद्ध विरोधी काव्य) | सत्यप्रकाश जोशी (1960 में प्रकाशित) |
बोल भारमली | सत्यप्रकाश जोशी |
मींझर | कन्हैयालाल सेठिया |
बोलै सरणाटौ, हूणियै रा सोरठा, बातां में ‘भूगोल’ | हरीश भदाणी |
अमोलक वातां, कै रे चकवा बात, मांझल रात, लव स्टोरीज ऑफ राजस्थान | लक्ष्मी कुमारी चुंडावत |
मैकती काया : मुलकती धरती,आँधी अर आस्था, मेवै रा रुख,अचूक इलाज | अन्नाराम सुदामा |
परण्योड़ी – कंवारी, धौरां रौ धोरी | श्रीलाल नथमल जोशी |
आदमी रौ सींग, माटी री महक,मंत्री री बेटी, बड़ी बहन जी | करणीदान बारहठ |
बादली, लू | चन्द्रसिंह बिरकाली |
गुण हरिरस, देवियाणा, वैराट, आपण, गुण-भगवन्त हंस | भक्त कवि ईसरदास |
बुद्धि सागर, कायम खां रासो, विरह शतक, भावशतक, मदन विनोद | जान कवि |
चंद्रकुंवरी री वात | प्रतापसिंह |
चंदन मलयागिरि की वात | भद्रसेन |
चाचा | श्री नारायण अग्रवाल (राजस्थान का द्वितीय उपन्यास) |
सागर पाखी | कुंदन माली |
ध्रुवतारा, तिरंगा झंडा, आधीरात, पतित का स्वर्ग, विष का प्याला | जर्नादन राय |
रणखार | जितेन्द्र कुमार सोनी |
अरावली री आत्मा, मेघदूत, गीत कथा | डॉ. मनोहर शर्मा |
राठौड़ रतनसिंह री वेलि | दूदा विसराल |
गजगुणरुपक बंध, विवेकवार्ता | केशवदास गाडण |
भूरजाल भूषण, मानजसोमण्डन, दातार बावनी, कुकविबतीसी, नीति मंजरी | बाँकीदास |
सूरज प्रकाश | करणीदान |
एकलिंग महात्म्य | कान्हा व्यास |
हम्मीर हठ, सुर्जन चरित | चन्द्रशेखर |
रुक्मणि हरण, नागदमण | कवि सायांजी |
राजिये रा सोरठा | कृपाराम खिड़िया। (यह सीकर के राव राजा लक्ष्मणसिंह के आश्रित कवि थे) |
पिंगल शिरोमणि, ढोला मारवणी री चौपाई | कुशल लाभ |
गजउद्धार, गुणसार, भावविरही, दुर्गाभाषा पाठ | महाराजा अजीतसिंह (जोधपुर) |
भाषा भूषण, आनन्द विलास, सिद्धान्त बोध, चन्द्र प्रबोध, नायिका भेद | महाराजा जसवंत सिंह प्रथम (जोधपुर) |
खुमाण रासौ | दलपत विजय (पिंगल भाषा में रचित) |
ब्रजनिधि ग्रंथावली | सवाई प्रतापसिंह (जयपुर) |
नेहतरंग | राजा बुधसिंह (बँूदी) |
वंश समुच्चय, यशवंत यशोभूषण | कविराजा मुरारीदान |
भाखर भूषण, महिषी पच्चीसी | मोडजी आशिया |
नाथ चरित्र, कृष्ण विलास, जलंधर चरित्र, तेजमंजरी, सेवासागर | महाराजा मानसिंह |
रामरासौ | माधोदास दधवाड़िया |
‘वृन्द सतसई’, ‘यमक सतसई’, ‘भावपंचाशिका’, ‘सत्यस्वरूप’ | कवि वृन्द |
राजरुपक, एकाक्षरी नाममाला, भागवत प्रकाश | वीरभाण रतनू |
हम्मीर नाममाला, लखपत पिंगल, भरतरी शतक, भागवत दर्पण | हम्मीरदान रत्नू |
अजितोदय | जगजीवन भट्ट (संस्कृत में) |
सगती सुजस, देस दर्पण, साकेत सतर्क, भागीरथी महिमा, वखतरों बायरो | शंकरदान सामौर |
भारतीय प्राचीन लिपिमाला | डॉ. गौरीशंकर हीराचन्द औझा |
लिंग्विस्टिक सर्वे ऑफ इण्डिया | जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन |
वीर विनोद | श्यामलदास (चार खण्डों में रचित) |
प्रकाश पथ, खुले पंख | इकराम राजस्थानी |
पाबूजी रा सोरठा, द्रोपदी विनय, करुण बहत्तरी | रामनाथ कविया |
चौबोली, हरजस बावनी, राजस्थानी कहावतें | कन्हैयालाल सहल |
केहर प्रकाश | राव बख्तावर |
गाँधीशतक, हाड़ी शतक, चूंड़ा शतक | नाथूसिंह महियारिया |
धूणी तपे तीर, हां चाँद मेरा है | हरिराम मीणा |
धरती रा गीत, चेत मानखा उछालो | रेवंतदान चारण |
ए प्रिन्सेज रिमेम्बर्स | गायत्री देवी |
अवतार चरित्र | नरहरिदास |
जगत विलास | नेकराम (उदयपुर महाराणा जगतसिंह द्वितीय के दरबारी कवि) |
विश्व वल्लभ | मिश्र चक्रपाणि |
राज रत्नाकर | सदाशिव नागर |
प्रताप प्रकाश | कृष्णदत्त |
राग चन्द्रोदय, राग मंजरी, नर्तन निर्णय | पुण्डरीक विट्ठल |
उमादे भटियाणी रा कवित्त | आशा बारहठ |
गोरा बादल री चौपाई | हेम रतन सूरि |
वाणी, सरवंगी | संत रज्जब जी |
अणभैवाणी | संत रामचरण जी |
हम्मीरायण | पद्मनाभ |
शत्रुशाल रासौ | डूंगरजी |
वास्तुमंजरी | नाथा |
प्रबन्ध चिंतामणि | मेरुतुंग |
राणा रासौ | दयाराम |
राजवल्लभ | मण्डन |
महादेव पार्वती री वैलि | कवि सायां झूला |
गुण भाषा | हेम कवि |
ढोला-मारु-री-वात | खुशालचन्द्र |
रसराज | मतिराम |
रसिकप्रिया, सूडप्रबन्ध, नृत्य रत्नकोष, संगीतराज | महाराणा कुम्भा |
रघुनाथ रुपक | मंछाराम सेवग |
हम्मीरायण | भाण्डऊ व्यास |
रागचन्द्रिका | द्वारका प्रसाद भट्ट |
आमार जीबन | रस सुन्दरी देवी |
स्वतंत्रता संग्राम से संबंधित पुस्तकें
मेवाड़ राज्य का वर्तमान शासन, पछीड़ा | माणिक्यलाल वर्मा |
जैसलमेर का गुण्डाराज, आजादी के दीवाने | सागरमल गोपा |
प्रत्यक्ष जीवनशास्त्र (आत्मकथा),प्रलय-प्रतीक्षा नमो-नमो | पण्डित हीरालाल शास्त्री |
प्रताप चरित्र, दुर्गादास चरित्र, रुठी रानी, चेतावणी रा चूंग्ट्या | केसरीसिंह बारहठ |
भारत में अंग्रेजी राज | पण्डित सुन्दरलाल |
शुद्र मुक्ति, स्त्री मुक्ति, महेन्द्र कुमार | अर्जुनलाल सेठी |
राजस्थान रोल इन द स्ट्रगल 1857 | नाथूलाल खड़गावत |
कर्नल जेम्स टॉड
इंग्लैंड निवासी जेम्स टॉड सन् 1800 में पश्चिमी एवं मध्य भारत के राजपूत राज्यों के पॉलिटिकल एजेंट बनकर भारत आये थे। 1817 में वे राजस्थान की कुछ रियासतों के Political Agent बनकर उदयपुर आये।
उन्होंने 5 वर्ष के सेवाकाल में राज्य की विभिन्न रियासतों में घूम-घूमकर इतिहास विषयक सामग्री एकत्रित की एवं इंग्लैण्ड जाकर 1829 ई. ‘Annals and antiquities of Rajasthan’ (Central and Western Rajpoot States of India) ग्रन्थ लिखा तथा 1839 ई. में ‘Travels in Western India’ (पश्चिमी राजस्थान की यात्रा) की रचना की। इन्हें राजस्थान के इतिहास लेखन का ‘पितामह’ कहा जाता है।
सूर्यमल्ल मिश्रण
संवत् 1815 में चारण कुल में जन्मे श्री सूर्यमल्ल मिश्रण बूँदी के महाराव रामसिंह के दरबारी कवि थे। इन्होंने वंशभास्कर, वीर सतसई, बलवन्त विलास एवं छंद मयूख ग्रंथों की रचना की। इन्हें आधुनिक राजस्थानी काव्य के नवजागरण का पुरोधा कवि माना जाता है।
उन्होंने अंग्रेजी शासन से मुक्ति प्राप्त करने हेतु उसके विरुद्ध जनमानस को उद्वैलित करने के लिए अपने काव्य में समयोचित रचनाएँ की है। अपने अपूर्व ग्रन्थ वीर-सतसई के प्रथम दोहे में ही वे ‘समय पल्टी सीस’ की उद्घोषणा के साथ ही अंग्रेजी दासता के विरुद्ध बिगुल बजाते हुए प्रतीत होते हैं।
उनके एक-एक दोहे में राजस्थान की भूमि के लिए मर-मिटने वाले रणबाँकुरों के लिए ललकार दिखाई देती है। सूर्यमल्ल मिश्रण डिंगल भाषा के अंतिम महान कवि थे। डॉ. सुनीति कुमार चटर्जी के अनुसार ‘सूर्यमल्ल’ अपने काव्य और कविता को ‘Lay of the last minstral’ बना गए और वे स्वयं बने “Last of the Giants’
डॉ. जयसिंह नीरज
राजस्थान के अलवर जिले के एक छोटे से ग्राम तोलावास में 11 फरवरी, 1929 को साधारण राजपूत परिवार में जन्मे डॉ. जयसिंह नीरज बचपन से ही विद्यानुरागी थे। उन्होंने एक ओर अपने सृजनात्मक लेखन से हिन्दी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान बनाया वहीं दूसरी ओर राजस्थान की संस्कृति, चित्रकला संगीत और पुरातत्व आदि को अपनी अद्भुत मेधा का संस्पर्श देकर नये आयाम प्रस्तुत किये।
उन्हें के.के. बिड़ला फाउण्डेशन द्वारा 25 अप्रैल, 1992 को प्रथम बिहारी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। ‘Splendour of Rajasthan Paining’, राजस्थानी चित्रकला, राजस्थान की सांस्कृतिक परम्परा आदि उनके द्वारा रचित प्रमुख ग्रंथ है। 2 मार्च, 2002 को इनका निधन हो गया।
गौरीशंकर हीराचन्द ओझा
डॉ. ओझा का जन्म 14 सितम्बर, 1863 को सिरोही जिले के रोहिड़ा गाँव में हुआ था। उन्होंने राजस्थान के इतिहास के अलावा राजस्थान के प्रथम इतिहास ग्रंथ ‘मुहणोत नैणसी री ख्यात’ का सम्पादन किया।
हिन्दी में पहली बार भारतीय लिपि का शास्त्र लेखन कर अपना नाम गिनीज वर्ल्ड बुक में अंकित किया। कर्नल जेम्स टॉड की ‘एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान’ नामक बहुप्रसिद्ध कृति का हिन्दी में अनुवाद किया और उसमें रह गई त्रुटियों का परिशोधन किया।
डॉ. एल.पी. टैस्सीटोरी
इटली के एक छौटे से गाँव उदिने में 13 दिसम्बर, 1887 को जन्मे टैस्सीटोरी 8 अप्रैल, 1914 को मुम्बई (भारत) आए व जुलाई, 1914 में (जयपुर, राजस्थान) पहुँचे। बीकानेर उनकी कर्मस्थली रहा। बीकानेर का प्रसिद्ध व दर्शनीय म्यूजियम डॉ. टैस्सीटोरी की ही देन है। उनकी मृत्यु 22 नवम्बर, 1919 को बीकानेर में हुई।
उनका कब्र स्थल बीकानेर में ही है। बीकानेर महाराजा गंगासिंह जी ने उन्हें राजस्थान के चारण साहित्य के सर्वेक्षण एवं संग्रह का कार्य सौंपा था जिसे पूर्ण कर उन्होंने पर रिपोर्ट दी तथा ‘राजस्थानी चारण साहित्य एवं ऐतिहासिक सर्वे’ तथा ‘पश्चिमी राजस्थान का व्याकरण’ नामक पुस्तकें लिखी थी।
इन्होंने रामचरित मानस, रामायण व ऐतिहासिक सर्वे’ तथा ‘पश्चिमी राजस्थानी का व्याकरण’ नामक पुस्तकें लिखी थी। इन्होंने रामचरित मानस, रामायण व कई भारतीय ग्रन्थों का इटेलियन भाषा में अनुवाद किया था। ‘बेलि किसन रूकमणी री’ और ‘छंद जैतसी रो’ डिंगल भाषा के इन दोनों ग्रंथों को संपादित करने का श्रेय उन्हें ही जाता है।
सरस्वती और द्वषद्वती की सूखी घाटी में कालीबंगा के हड़प्पा पूर्व के प्रसिद्ध केन्द्र की खोज करने का सर्वप्रथम श्रेय डॉ. टैस्सीटोरी को ही जाता है। डॉ. टैस्सीटोरी ने पल्लू, बड़ोपल, रंगमहल, रतनगढ़, सूरतगढ़ तथा भटनेर आदि क्षेत्रों सहित लगभग आधे बीकानेर क्षेत्र की खोज की।