राजस्थानी खान-पान

  • सिरावण :– ग्रामीण क्षेत्र में सुबह का भोजन। सुबह के भोजन को कलेवा भी कहा जाता है।  
  • भात/रोट :– दोपहर का भोजन जिसमें जौ, मक्का एवं बाजरे की रोटी तथा मिर्ची, छाछ, दही व हरी सब्जियां होती है।
  • ब्यालू :– शाम का भोजन।
  • सोगरा :– बाजरे के आटे से बनी मोटी रोटी जो आकरी सेकी जाती है।
  • खीच :– बाजरी व मोठ की दाल के संयोग से बना एक प्रकार का  दलिया।  
  • टिक्कड़ :– गेहूँ/मक्के के आटे से बनी मोटी रोटी जो आकरी सेकी जाती है।
  • राब/राबड़ी :– मक्के या बाजरे के आटे में छाछ मिलाकर बनाये जाने वाला पेय पदार्थ। यह गर्मी की ऋतु का भोजन है।
  • घाट :– मक्का या बाजरे का मोटा आटा जो पानी या छाछ में पकाया जाता है।
  • चीलड़ा :– मोठ के आटे में नमक, मिर्च, जीरा, धनिया आदि मिलाकर बनाया गया रोटीनुमा व्यंजन।
  • खाटा :– बेसन को छाछ में मिलाकर बनाई गई सब्जी। इसे कड़ी भी कहा जाता है।
  • सीरा या लापसी :– गेहूँ के आटे को घी में भूनकर व गुड़ या चीनी मिलाकर बनाया गया व्यंजन।    
  • सांगरी :– खेजड़ी की फली से बनी हुई सब्जी।
  • खोखा :– जब सांगरियां पेड़ पर ही पक जाती है और सूखकर पीली पड़ जाती है। उसे खोखा कहा जाता है।     
  • केरिया :– केर की सब्जी।
  • खींफोली :– खींप की सब्जी।
  • नुक्ति :– बेसन के छोटे-छोटे दानों को चीनी की चासनी पिलाकर बनाये गए दाने।
  • पंचकुटा :– केर, काचरी आदि पाँच अलग-अलग फलों का मिश्रण कर बनायी गई स्वादिष्ट सब्जी।
  • बटल्या :– गेहूं के आटे के लोए बनाकर प्राय: सर्दियों में दाल के साथ उबाले जाते हैं।
  • खाखरे :– पतली चपातियों को सुखाकर खाखरे बनाये जाते हैं।
  • फोफलिया :– टिण्डसियों को दो भागों में काटकर सुखाकर बनी हुई सब्जी।
  • काँगिया :– आदिवासियों का मृत्युभोज जिसमें दलिया एवं माँस खिलाया जाता है।
  • हीरावणी :– विवाह के समय नववधू को दिया जाने वाला कलेवा।
  • काँज्या :– गाजर के छोटे-छोटे टुकड़ों को उबालकर नमक, मिर्च व मसाले लगाकर बनायी गई सब्जी।
  • पुए/गुलगुले :– गेहूँ के आटे में चीनी या गुड़ मिलाकर गाढ़ा पतला घाेल करके तेल में तलकर बनाये गए छोटे-छोटे अनियमित गोल से आकार के टुकड़े।
  • दाल बाटी चुरमा :– राजस्थान का प्रसिद्ध भोजन। यह प्राय: सवामणियों के आयोजन के दौरान बनाया जाता है।
  • सिराड़िया/चिराड़िया :– छोटे काचर।
  • कोकला :– पक्के हुए काचरे को सीधे काटकर बनायी जाने वाली सब्जी।
  • गोटका :– पक्के हुए काचरे को सीधे काटकर सुखाने के पश्चात बनायी जाने वाली सब्जी।   
  • दुनी :– मेदा का हलवा जिसमें मेदा की तुलना में दुगुना घी डाला जाता है।
  • पंजीरी :– धनिये को पीसकर उसमें बूरे (पीसी हुई चीनी) को मिलाकर  बनाया हुआ स्वादिष्ट मिश्रण। यह राजस्थान में प्राय: कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर प्रसाद के रूप में बाँटी जाती है।   
  • लपटा/मीठी राब :– गेहूँ या बाजरे के आटे को घी में सेककर पानी में गुड़ के साथ उबालकर बनाया गया पेय। इसे ‘गलवान्या’ भी कहा जाता है। किसान वर्षा होने के बाद जब पहली बार हल जोतता है तब मीठी राब बनायी जाती है।
  • धानी :– मिट्‌टी को गर्म करके उसमें सिके हुए जौ के दाने।
  • भूंगड़ा :– गर्म मिट्‌टी में सिके हुए चने।
  • सत्तु :– ग्रामीण क्षेत्रों में धानी के आटे को सुबह के समय पानी में चीनी के साथ मिलाकर बनाया गया पेय पदार्थ।
  • शक्करपारे :– गेहूँ के आटे में चीनी या गुड़ मिलाकर तिकोने चतुर्भुजाकार टुकड़े जिन्हें तेल में तलकर बनाया जाता है।
  • चक्की :– बेसन के आटे से बनी बर्फी जिसे ग्रामीण क्षेत्र में चक्की के नाम से जाना जाता है।
  • घुघरी :– चने व गेहूँ को पानी में उबालकर बनाया गया व्यंजन। ये प्राय: ग्रामीण क्षेत्रों मंे लड़की के पैदा हाेने पर बनायी जाती है।
  • खीचिया :– यह एक प्रकार का पापड़ जो गेहूँ, चावल, मक्का के आटे से आते हैं।
  • लोथरे :– जब काचरियों की फांके काटकर सुखायी जाती है तब लोथरे के नाम से जानी जाती है।
  • चापटिया :– कुमट पेड़ से प्राप्त फल।
  • बरिया :– मोठ या चने को पानी में उबालकर नमक-मिर्च व मसाले मिलाकर बनाया गया व्यंजन।
  • कैर के वृक्षों के फलों को मारवाड़ में ‘कैर’ ब्रजक्षेत्र में ‘टेंटी’ तथा पंजाबी क्षेत्र में ‘डेले’ के नाम से जानते हैं।
  • पटोलिया :– आटे व नमक का काफी पतला हलवा।
  • गूंजा :– पाली की प्रसिद्ध मिठाई।

राजस्थानी खान-पान

व्यंजनस्थान
कचोरानसीराबाद
कचौरीकोटा
मक्खन बड़ादौसा
चमचमबीकानेर
कलाकंदजयपुर
पेडेसरदार शहर
सोहन पपड़ीअजमेर
रसगुल्लेबीकानेर
फीणीसांभर
गुड़धानीजयपुर
दूधपेड़ेमेड़ता
मिर्चीबड़ाजोधपुर
दूध के लड्‌डूजोधपुर
मावा बाटीबाँसवाड़ा
भुजिया/नमकीनबीकानेर
केर सांगरी सब्जीशेखावटी क्षेत्र
मालपुएब्यावर, पुष्कर
मोटमांजैसलमेर
मावे की मिठाईअलवर
मावे की कचौरीजोधपुर
जलेबीअजमेर
कत-बाफलाहाड़ौती
घेवरजयपुर
लम्बे गुलाब जामुनशाहपुरा (भीलवाड़ा)
बाजरी की रोटीनागौर
तिलपट्‌टीब्यावर
सत्तूखाटू श्याम जी (सीकर)
मावे के मालपूएपुष्कर (अजमेर)
खीर-मालपुआगोनेर (जयपुर)
राजस्थानी खान-पान

Spread the love

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!