रणथम्भौर दुर्ग
- सवाईमाधोपुर जिले में अरावली पर्वतमालाओं से घिरा हुआ गिरि व वन दुर्ग है।
- निर्माण :- 8वीं शताब्दी में चौहान शासकों द्वारा। ( रणथम्मनदैव चौहान )
- यह दुर्ग विषम आकार वाली सात पहाड़ियों से घिरा हुआ है।
- इस दुर्ग के बारे में अबुल फजल ने लिखा है कि – ‘अन्य सब दुर्ग नंगे हैं, जबकि यह दुर्ग बख्तरबंद है।’
Ranthambore Fort
इस दुर्ग में प्रसिद्ध गणेश जी का मंदिर, पीर सदरुद्दीन की दरगाह, सुपारी महल, जौरां-भौरां (अन्न भंडार), जोगी महल, बादल महल, हम्मीर महल, हम्मीर की कचहरी, रनिहाड़ तालाब प्रमुख है।
- पद्मला तालाब इसी दुर्ग में है।
- राजस्थान का पहला साका 1301 ई. में हम्मीर देव चौहान के समय हुआ था, जब अलाउद्दीन खिलजी द्वारा रणथम्भौर पर आक्रमण किया गया। इस आक्रमण के समय इतिहासकार अमीर खुसराे भी मौजूद था।
दुर्ग से जुड़े विशिष्ट शब्द
- पाशेब :- दुर्ग में विशिष्ट चबूतरे।
- गरगच, मगरबी :- दुर्ग से ज्वलनशील पदार्थ फेंकने के यंत्र।
- अर्शदा :- दुर्ग से पत्थरों की वर्षा करने वाला यंत्र।
- अकबर ने इस दुर्ग में ‘सिक्का ढालने की टकसाल’ स्थापित की।
- दुर्ग की परिधि :- 7 मील
- दुर्ग का वास्तविक नाम :- रन्त:पुर अर्थात् रणकी घाटी में स्थित नगर।
- 32 खम्भों की छतरी इसी दुर्ग में है। (हम्मीर देव द्वारा निर्मित)।
- प्रवेश द्वार :- नौलखा दरवाजा, हाथी पोल, गणेश पोल, सूरज पोल, त्रिपोलिया।
- रणथम्भौर दुर्ग राणा हम्मीर की आन-बान-शान का प्रतीक है।
- अकबर के शासनकाल में रणथम्भौर दुर्ग जगन्नाथ कच्छवाहा की जागीर में रहा। शाहजहां के समय यहाँ का अधिपति विट्ठलदास गौड़ था।
- रणथम्भौर के प्रथम साके के दौरान हम्मीर की पुत्री देवल ने भी जौहर किया था।
- सुपारी महल (रणथम्भौर) में एक ही स्थान पर मन्दिर, मस्जिद और गिरजाघर स्थित है।
- रणथम्भौर दुर्ग का पतन :- 11 जुलाई, 1301 ई.।