- यह जनजाति मूलत: महाराष्ट्र की है।
- विस्तार – उदयपुर जिले की कोटड़ा, झाड़ोल एवं सराड़ा पंचायत समिति।
- जनसंख्या – 4833
कथौड़ी जनजाति | Kathodi Janjati
- ये राज्य में बिखरी हुई अवस्था में निवास करती हैं।
- मुख्य व्यवसाय – खेर के जंगलों के पेड़ों से कत्था तैयार करना।
कथौड़ी जनजाति एकमात्र ऐसी जनजाति है जिसे मनरेगा में 200 दिवस का रोजगार प्रदान किया जाता है।
- खोलरा – कथौड़ी जनजाति की घास-फूस से बनी झोंपड़ियाँ।
- नायक – कथौड़ी जनजाति का मुखिया।
- नृत्य – लावणी नृत्य, मावलिया नृत्य (नवरात्रा) एवं होली नृत्य।
- आराध्य देवी – कंसारी देवी एवं भारी माता।
- आराध्य देव – डूंगरदेव एवं वांध देव।
- कथौड़ी जनजाति की भाषा में गुजराती एवं बागड़ी का मिश्रण है।
- कथौड़ी जनजाति में स्त्रियाँ पुरुषों के साथ शराब का सेवन करती हैं।
- कथौड़ी जनजाति पेय पदार्थों में दूध का प्रयोग बिल्कुल नहीं करती है।
- स्त्री एवं पुरुष में गोदने गुदवाने का रिवाज है।
- इस जनजाति में आभूषण पहनने का रिवाज नहीं है।
- कथौड़ी जनजाति का बंदर का माँस अत्यधिक प्रिय है।
- यह जनजाति प्रकृति पर आश्रित है।
- यह जनजाति पुनर्जन्म में विश्वास करती है।
- इस जनजाति में दापा प्रथा एवं विधवा पुनर्विवाह का प्रचलन है।
- इस जनजाति में मृत्यु भोज प्रथा का प्रचलन भी है।
- कथौड़ी स्त्रियाँ मराठी अंदाज में साड़ी पहनती हैं जिसे ‘फड़का’ कहते हैं।
- जनजाति के प्रमुख वाद्य – तारणी, घोरिया, पावरी, टापरा एवं थालीसर।