राजस्थान की नदियां का विवरण

rajasthan river in hindi

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Rivers of Rajasthan

  • राजस्थान क्षेत्रफल की दृष्टि से देश का सबसे बड़ा राज्य है तथा जनसंख्या की दृष्टि से 8वां सबसे बड़ा राज्य है।
  • देश की 5.5% प्रतिशत जनसंख्या राजस्थान में निवास करती है किन्तु देश में उपलब्ध जल का मात्र एक प्रतिशत जल ही राजस्थान में उपलब्ध है।
  • राज्य में सबसे अधिक सतही जल चम्बल नदी में उपलब्ध है तथा बनास नदी का जल ग्रहण क्षेत्र सबसे बड़ा है।
  • राज्य की नदियों को 13 जलग्रहण क्षेत्र एवं 59 उपजल ग्रहण क्षेत्रों में विभाजित किया गया है। अरावली पर्वतमाला राज्य में जल विभाजक का कार्य करती है।
  • राजस्थान की अधिकांश नदियाँ अरावली पर्वत माला से निकल कर पश्चिम अथवा पूर्व की ओर बहती है।
  • पश्चिम भाग की नदियाँ अरब सागर की ओर जाने वाले ढलान पर बहती हुई या तो खंभात की खाड़ी में गिरती हैं या विस्तृत मरु प्रदेश में विलीन हो जाती है।
  • पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ एक दूसरे से मिलती हुई अंततः यमुना नदी में मिल जाती हैं।
  • प्रदेश के दक्षिणी-पूर्वी भाग में चम्बल तथा उसकी सहायक नदियाँ मुख्य रूप से प्रवाहित होती हैं। इनमें से अधिकांश नित्य प्रवाही नदियाँ हैं जबकि पश्चिमी राजस्थान में लूनी तथा उसकी सहायक नदियाँ बहती हैं।
  • इनमें से कोई भी नित्य प्रवाही नदी नहीं हैं। चम्बल, लूनी, बनास, माही, घग्घर, सोम तथा जाखम राजस्थान की प्रमुख नदियाँ हैं।
  • राज्य की सर्वाधिक नदियाँ कोटा संभाग में बहती हैं।
  • राजस्थान की अपवाह प्रणाली की मुख्य विशेषता यह है कि राज्य के लगभग 60.02% क्षेत्र में आन्तरित प्रवाह प्रणाली है जिसका समस्त क्षेत्र लगभग अरावली के पश्चिम में स्थित है।

राजस्थान की नदियां

  • विश्व का 4% सतही जल – भारत में।
  • भारत का 1.04% सतही जल – राजस्थान (झीलें + तालाब + सागर + बाँध) में।

बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ

बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ कौन-कौन सी है, बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों के नाम क्या है।

चम्बल नदी | Chambal

  • चम्बल नदी का वैदिक नाम – चर्मण्वती, कामधेनू तथा नित्यवाही नदी।
  • चम्बल नदी का उद्गम – मध्य प्रदेश के इन्दौर जिले के ‘महू‘ कस्बे के पास उत्तर में मध्यप्रदेश जानापाव (विंध्याचल पर्वत) पहाड़ी से है।
  • चम्बल नदी बारहमासी नदी है।
  • राजस्थान में प्रवेश – चौरासीगढ़ के ऐतिहासिक किले के पास से चित्तौड़गढ़ जिले में। 5 किमी. आगे बामनी नदी ( जो हरिपुरा, चित्तौड़गढ़ से निकलती है ) भैंसरोड़गढ़ के पास चम्बल में मिलती है तथा चूलिया जल प्रपात ( राजस्थान का सबसे ऊँचा ) का निर्माण करती है।
  • चूलिया जल प्रपात कहाँ हैचित्तौड़गढ़ में।
  • प्रवाह वाले जिले:
    1. चित्तौड़गढ़,
    2. कोटा,
    3. बून्दी,
    4. सवाई माधोपुर,
    5. करौली,
    6. धौलपुर,
  • समापन – आगरा जनपद के इटावा जिले में मुरादगंज के पास यमुना में।
  • सर्वाधिक बांध चम्बल नदी पर निर्मित है।
  • इस नदी पर मध्यप्रदेशराजस्थान की 50 : 50 (अनुपात में) चम्बल नदी घाटी परियोजना है जिसमें तीन बांध है।
    1. गांधी सागर बांधतहसील – भानपुरा, जिला – मन्दसौर (मध्यप्रदेश),
    2. राणा प्रताप सागर – चित्तौड़गढ़ (राजस्थान का सर्वाधिक जल भण्डारण क्षमता वाला बांध),
    3. जवाहर सागर बांध – कोटा,
    4. बैराज ( सिंचाई बांध ) कोटा सिंचाई बांध,
      • इसमें केवल सिंचाई हेतु नहरे ही निकलती हैं जल विद्युत की बड़ी परियोजना नहीं बनती।
      • यह राजस्थान का सबसे अधिक क्षेत्रफल पर विस्तृत बांध है।
  • यह नदी तीन राज्यों – उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान में बहती है।
  • यह नदी बीहड़ एवं कंदराओं के लिए प्रसिद्ध।
  • सर्वाधिक सतही जल उपलब्ध कराने वाली नदी
  • सर्वाधिक अवनालीका अपरदन करने वाली नदी।
  • कोटा इसी नदी के किनारे स्थित है।
  • डांग क्षेत्र किसे कहते हैं – सवाई माधोपुर, करौली, धौलपुर, टोंक में चम्बल नदी का बहाव क्षेत्र डांग क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।
  • बुंदी के कसोरायपाटन पर चम्बल नदी का पाट चौड़ा तथा गहराई अधिक है।
  • चम्बल नदी पर ईस्टवेस्ट कोरिडोर के अधीन हैंगिंग ब्रिज बनाया जाना प्रस्तावित है।

चम्बल नदी की सहायक नदियाँ

चम्बल नदी की सहायक नदियाँपूर्व तथा दक्षिण की ओर से प्रवाहित होने वाली नदियाँ

कुनु (कुनेर) नदी
  • कुनु नदी का उद्गम – गुना, मध्यप्रदेश
  • कुनु नदी का प्रवाह – बारां, वापस मध्य प्रदेश में चली जाती है।
  • कुनु नदी का समापन – करौली, मध्य प्रदेश सीमा पर चम्बल में मिल जाती है।
पार्वती नदी
  • पार्वती नदी का उद्गम – मध्य प्रदेश में सिहोर से।
  • राजस्थान में प्रवेश-करयाहाट के पास से बारां में प्रवेश
  • बारां से होती हुई कोटा से सवाई माधोपुर पालीघाट में चम्बल से मिल जाती है।
  • पार्वती नदी का प्रवाह – बारां, कोटा, सवाई माधोपुर
  • पार्वती नदी की लम्बाई – राजस्थान में 65 किमी.।
  • पार्वती की सहायक नदियाँ – ल्हासी, बैथली, अंधेरी, विलास, रेतड़ी, डूबराज आदि।
निमाज नदी
  • उद्गम – राजगढ़, मध्यप्रदेश
  • राजस्थान में प्रवेश – कोलू खेड़ी (झालावाड़)।
  • प्रवाह – झालावाड़ व बारां
  • समापन – मवासा (अकलेरा, झालावाड़) में परवन में मिल लाती है।
परवन नदी
  • उद्गम – अनीकपुर, मध्यप्रदेश। प्रवेश – खारी बोर (झालावाड़)
  • प्रवाह – झालावाड़, बारां। समापन – पलायता (बारां) कालीसिंध नदी में।
  • सहायक नदी – निमाज (मवासा), धार, छापी (झालावाड़)।
  • परवन नदी शेरगढ़ अचरोली अभ्यारण्य (बारां) के बीच में से निकलती है। इसके किनारे शेरगढ़ का किला (कोषवर्द्धन), शेरगढ़ किले का निर्माताशेरशाह सूरी
काली सिंध नदी
  • उद्गम – बागली गांव, जिला – देवास (मध्य प्रदेश)
  • राजस्थान में प्रवेश – रायपुर के निकट बिन्दा गांव से (झालावाड़)
  • प्रवाह – झालावाड़, बारां, कोटा
  • समापन – नोनेरा (कोटा) चम्बल में मिल जाती है।
  • सहायक नदियाँ – परवन, आहू , उजाड़, चँवली (चौंली), चन्द्रभागा व आमझर आदि हैं।
  • हरिश्चन्द्र बांध – इस नदी पर बना बांध है।
  • इसकी कुल लम्बाई 278 किमी. है। ( राज. में 145 KM लम्बी )
आहू नदी
  • उद्गम – सुसनेर, मध्य प्रदेश। प्रवेश – नन्दपुर (झालावाड़)।
  • प्रवाह – झालावाड़, कोटा। समापन – गागरोन (झालावाड़) में, काली सिंध में।
  • सहायक नदियाँ – पीपलाज, रेवा
आलनियाँ नदी
  • उद्गम – कोटा की मुकुन्दवाड़ा हिल्स से जवाहर सागर से पहले नोटाना गांव, कोटा में मिल जाती है।
  • प्रवाह – कोटा
  • चम्बल, आलनियाँ, आहू, काली सिंध, परवन, निमाज, पार्वती, कुन्नु यह नदियों का पश्चिम से पूर्व की ओर क्रम है।

पश्चिम की ओर से चम्बल में मिलने वाली नदियाँ

बामनी नदी
  • उद्गम – हरिपुरा (चित्तौड़)। प्रवाह – चित्तौड़
  • समापन – भैसरोड़गढ़ (चित्तौड़) चम्बल में।
मेज नदी
  • उद्गम – माण्डलगढ़ (भीलवाड़ा)। प्रवाह – भीलवाड़ा, बून्दी
  • समापन – कोटा जिले के भैंसलाना के पास चम्बल में
  • सहायक नदियाँ – बाजन, कुराल, मांगली (मंगली) जिस पर भीमलत (बूंदी) जल प्रपात बना है।
चाकण नदी
  • बूँँदी जिले की नैनवा तहसील में इस पर चाकण बांध बनाया गया है।
  • यह नदी बूंदी जिले के कई छोटे मोटे नदी नालों से मिलकर बनी है।
  • सवाईमाधोपुर के करनपुरा गांव में चम्बल से मिल जाती है।
बनास नदी
  • इसे ‘वन की आशा‘ (वर्णाशा) / ‘वशिष्ठी‘ भी कहते हैं।
  • उद्गम – खमनौर (राजसमन्द)।
  • प्रवाह – राजसमन्द, चित्तौड़, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक, सवाई माधोपुर
  • समापन – रामेश्वर घाट (सवाई माधोपुर में) सीप नदी तथा बनास व चम्बल ये तीनों मिलकर त्रिवेणी संगम (सवाई माधोपुर में) बनाती है।
  • राजसमन्द में बहने के पश्चात् यह नदी चित्तौड़गढ़ में बहती हुई भीलवाड़ा के माण्डलगढ़ के बींगोद नामक स्थान पर त्रिवेणी संगम बनाती है।
  • बनास नदी टोंक जिले में सर्पकार के रूप में बहती है।
  • बनास नदी पर टोंक जिले में बीसलपुर बाँधसवाईमाधोपुर में ईसरदा बाँध स्थित है।
  • लम्बाई – 480 किमी.।
  • जल ग्रहण या अपवाह/फैलाव क्षेत्र – सर्वाधिक है।
  • राजस्थान में पूर्णतः बहने वाली सबसे लम्बी नदी।
  • टोड़ारायसिंह (टोंक) में बीसलपुर बांध बनास नदी पर बना है।
  • 13 जून, 2005 को सौहेला पुलिस गोलीकाण्ड हुआ जिससे बीसलपुर बांध चर्चित हुआ। बीसलपुर के जलाधिक्य को टोरड़ीसागर में स्थानान्तरित किया जाए। इसके अन्तर्गत 5 व्यक्ति मारे गए जिसके लिए गोयल आयोग बैठाया गया जिसके अध्यक्ष अनूपचन्द गोयल थे।
  • केवल राजस्थान में बहाव के आधार पर सबसे लम्बी नदी है।
  • सर्वाधिक त्रिवेणी संगम इस नदी पर स्थित है।
बनास नदी की सहायक नदियाँ

पूर्व की तरफ से मिलने वाली नदियाँ

बेड़च नदी
  • इसे आयड़ नदी (आहड़ सभ्यता इसी के किनारे) भी कहते हैं।
  • उद्गम – गोगुंदा की पहाड़ियाँ (उदयपुर)। उद्गम स्थल से लेकर उदयसागर झील तक इसका नाम – ‘आहड़‘ है।
  • उदयसागर झील (1564 – उदयसिंह द्वारा निर्मित) के पश्चात् इस नदी का नाम ‘बेड़च‘ हो जाता है।
  • समापन – बिगोद (भीलवाड़ा) के पास बनास नदी में।
  • त्रिवेणी संगम – बनास, बेड़च, मेनाल (भीलवाड़ा)
  • लम्बाई – 190 किमी.।
  • सहायक नदियाँ – गंभीरी, गुजरी, वागन, औरई आदि।
  • चित्तौड़गढ़ में बेड़च से गंभीरी नदी मिलती है।
  • चित्तौड़गढ़ इसी नदी के किनारे स्थित है।
  • चित्तौड़गढ़ के अप्पावास गांव के निकट इस नदी पर घोसुण्डा बाँध बना हुआ है।

पश्चिम व उत्तर की ओर बहने वाली नदियाँ

कोठारी नदी
  • उद्गम – ‘दिवेर‘ (मेवाड़ का मेराथन कहलाता है) राजसमन्द।
  • प्रवाह – राजसमन्द व भीलवाड़ा
  • समापन – माण्डलगढ़ से 8 किमी. दूर नन्दराय स्थान पर बनास नदी में मिल जाती है। इसी स्थान पर मेजा बांध (कोठारी नदी पर) भीलवाड़ा में बना है।
  • भीलवाड़ा को मेजा बांध द्वारा जलापूर्ति होती है। इसकी ‘पाल‘ को ग्रीन माऊण्ट कहते हैं।
  • इस नदी के किनारे बागौर सभ्यता विकसित हुई।
  • यह भीलवाड़ा जिले में बनास नदी में मिल जाती है।
  • इसकी कुल लम्बाई 145 किमी. है।
खारी नदी
  • उद्गम – देवगढ़ (राजसमन्द)। बिजराल ग्राम की पहाड़ियों
  • प्रवाह – राजसमन्द, भीलवाड़ा, अजमेर, टोंक जिलों में।
  • समापन – देवली के पास (टोंक) बनास में।
  • सहायक नदी – मानसी। (भीलवाड़ा-अजमेर)
माशी नदी
  • उद्गम – किशनगढ़ की पहाड़ियाँ (अजमेर)। प्रवाह – अजमेर, टोंक
  • समापन – टोंक शहर के पास बनास में मिल जाती है।
  • सहायक नदी – सोहदरा, बाण्डी
मोरेल नदी
  • उद्गम – चैनपुरा गांव की पहाड़ियाँ बस्सी, जयपुर।
  • प्रवाह – जयपुर, दौसा, सवाई माधोपुर
  • समापन – हाड़ौती गांव (करौली) से आगे सवाई माधोपुर जिले में बनास में।
  • ढूँढ इसकी मुख्य सहायक नदी है जो जयपुर से निकलती है।
  • मोरेल नदी पर दौसा सवाईमाधोपुर की सीमा पर पीलूखेड़ा (सवाईमाधोपुर) के निकट मोरेल बाँध बनाया गया है।
कालीसिल नदी
  • उद्गम – सपोटरा (करौली)।
  • प्रवाह – करौली, सवाई माधोपुर
  • समापन – हाड़ौती गांव (करौली) से आगे बनास में।
डाई नदी
  • उद्गम – अजमेर के नसीराबाद से।
  • प्रवाह – अजमेर व टोंक में बहती है।
  • समापन – बीसलपुर के पास बनास नदी में मिल जाती है।
  • यह जयपुर जिले में सामोद की पहाड़ियों से निकलकर जयपुर जिले में बहती हुई टोंक में जाकर मासी में मिल जाती है।
ढील नदी
  • बावली गांव (टोंक) से स. माधोपुर में प्रवाहित।
बाणगंगा नदी
  • उद्गम – बैराठ (विराटनगर) के दक्षिण में ‘मैड़गांव‘ की पहाड़ियों से। सहायक नदियां – सूरी नदी व पलोसन नदी
  • उत्तर से दक्षिण की ओर बहने के बाद जयपुर जिले में रामगढ़ के पास इसकी दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर हो जाती है व दौसा में बहते हुए भरतपुर के घना राष्ट्रीय उद्यान में से गुजरते हुए उत्तर प्रदेश में फतेहाबाद के पास यमुना में मिल जाती है।
  • प्रवाह – जयपुर, दौसा, भरतपुर (इस नदी पर रामगढ़ बांध बना हुआ है) इसका निर्माण 1903 में रामसिंह द्वितीय ने करवाया।
  • 1982 में रामगढ़ बांध में एशियाई खेलों की नौकायन प्रतियोगिता सम्पन्न हुई।
  • जयपुर शहर को पेयजल की सुविधा इस नदी से उपलब्ध कराई जाती है।
  • इसकी कुल लम्बाई 380 किमी. है।
  • इसे अर्जुन की गंगा, ताला नदी भी कहा जाता है। इसे रूण्डिता नदी भी कहते हैं।
  • इसी नदी के किनारे राजस्थान की प्राचीन बैराठ सभ्यता विकसित हुई थी।
  • यह राजस्थान की दूसरी ऐसी नदी है जो अपना जल सीधा यमुना को ले जाती है (प्रथम – चम्बल नदी)। गंभीरमैनपुरी स्थान पर यमुना में।
गंभीर नदी
  • उद्गम – करौली जिले से।
  • प्रवाह – सवाई माधोपुर, करौली, भरतपुर, उत्तर प्रदेश में जाकर वापस धौलपुर में आकर राजाखेड़ा तहसील में बहती हुई उत्तर प्रदेश में यमुना में मिल जाती है।
  • समापन – मैनपुरी (उत्तर प्रदेश) यमुना नदी में। खानवा युद्ध के मैदान इस नदी के पास स्थित है।
  • सहायक नदियाँ – पार्वती, सेरनी, मेढ़का, पांचना, खेर, सेसा
  • पार्वती नदी – धौलपुर में ही निकलती है व धौलपुर जिले में ही गंभीरी नदी में मिल जाती है।
  • यह नदी भी राष्ट्रीय उद्यान घना के अन्दर जाती है। पाँचना, सेसा, खेर
  • अजान बांध नवम्बर 2011 से चम्बल नदी से पाइपलाइन से पानी लाकर भरा जा रहा है।
  • इस नदी पर अंगाई बाँध बनाया गया

अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ

कच्छ की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ
लूनी नदी
  • वेदों में इसे लवणवती कहा गया है।
  • उद्गम – नागपहाड़ (अजमेर) से उद्गम स्थल से सागरमती कहलाती है। जब पुष्कर की पहाड़ियों से निकलने वाली सरस्वती नदी गोविन्दगढ़ में सागरमती में मिलती है तो लूनी कहलाती है।
  • प्रवाह – अजमेर, नागौर, पाली, जोधपुर, बाड़मेर व जालौर
  • यह पश्चिमी राजस्थान की मुख्य नदी है।
  • बालोतरा (बाड़मेर) तक इसका पानी मीठा रहता है व इसके बाद खारा हो जाता है।
  • खारेपन का कारण – स्थानीय क्षेत्र की मिट्टी में लवणता की अधिकता।
  • कुल लम्बाई – 495 किलोमीटर व राजस्थान में इसकी कुल लम्बाई – 330 किलोमीटर है।
  • पुष्कर की पहाड़ियों में जब बरसात आती है तो बाढ़ का प्रकोप बालोतरा (बाड़मेर) में देखा जा सकता है।
  • लूनी की सभी सहायक नदियाँ दक्षिण से निकलकर इसमें मिलती है परन्तु जोजड़ी एकमात्र अपवाद के रूप में ऐसी सहायक नदी है जो उत्तर से निकलकर इसमें मिलती है।
  • यह नदी पूर्णतया बरसाती नदी है।
  • लूनी का प्रवाह अधिक वर्षा वाले क्षेत्रों से निम्न वर्षा वाले मरूप्रदेश की ओर है।
  • लूनी नदी पश्चिमी राजस्थान की सबसे लम्बी नदी है जिसे मरूस्थल की गंगा के नाम से भी जाना जाता है।
  • जालौर के दक्षिण भाग में लूनी नदी के अपवाह क्षेत्र को नेहड़ कहा जाता है।
  • लूनी नदी से जोधपुर के जसवंत सागर बांध में पानी की आपूर्ति होती है।
  • जालौर जिले में लूनी के बाद के क्षेत्र को रेल (नेड़ा) कहा जाता है।

लूनी नदी की सहायक नदियाँ

जोजरी नदी
  • एक मात्र नदी जो दाहिनी ओर से आकर मिलती है तथा अरावली पर्वतमाला से नहीं निकलती है जबकि शेष सहायक नदियाँ अरावली पर्वतमाला से निकलती है।
  • उद्गम – पोण्डलू (नागौर) से।
  • प्रवाह – यह जोधपुर शहर के दक्षिण पश्चिम से निकलती है।
  • समापन – जोधपुर के आस-पास लूनी नदी
  • लीलड़ी नदी :
  • उद्गम – ब्यावर की पहाड़ियों से व पाली में इसका लूनी नदी में समापन हो जाता है।
बाण्डी नदी (I)
  • उद्गम – फुलाद गांव (पाली) से निकलती है (पाली शहर बांडी नदी के किनारे बसा है)।
  • पाली शहर के पास से गुजरते हुए लाखर गांव (पाली) में लूनी नदी में इसका समापन हो जाता है।
  • हेमावास (पाली) बांध इसी नदी पर निर्मित।
सूकड़ी नदी
  • उद्गम – देसूरी (पाली)। प्रवाह वाले जिले – पाली, जालौर, बाड़मेर
  • समापन – समदड़ी (बाड़मेर)। जालौर में इसी नदी पर बांकली बांध निर्मित है। हेमावास बांध (पाली) निर्मित।
जवाई नदी
  • पश्चिमी राजस्थान की गंगा
  • उद्गम – गोरिया बाली (पाली)
  • समापन – गुढ़ा (बाड़मेर) के पास।
  • जवाई नदी के ऊपर सुमेरपुर (पाली) के निकट जवाई बांध बना हुआ है।
  • जवाई बांध को मारवाड़ का अमृत सरोवर कहा जाता है।
खारी नदी
  • उद्गम – शेरपुर गांव (सिरोही)
  • समापन – जवाई (सायला – जालौर) नदी में।
  • इस सहायक नदी बाण्डी (II) है।
सागी नदी
  • उद्गम – जसवंतपुरा
  • प्रवाह – जालौर।
  • समापन – लूनी (जालौर) में
पश्चिम बनास नदी
  • लम्बाई 260 KM
  • नया सनावरा (सिरोही)। प्रवाह – सिरोही
  • समापन – कच्छ का रन (कच्छ की खाड़ी) अरब सागर।
  • सहायक नदियाँ – सीपू, सुकेत, सूकली, गोहलन, कूकड़ी, बलराम आदि।
  • गुजरात की ‘डीसा’ शहर इसी नदी पर बसा हुआ है।
सूकली नदी

खम्भात की खाड़ी में गिरने वाली नदियाँ

माही नदी
  • कांठल की गंगा, दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा आदि उपनाम।
  • उद्गम – मेहद झील अममोरू गांव (धार) विंध्याचल की पहाड़ियाँ (मध्यप्रदेश)।
  • राजस्थान में प्रवेश – खांदू गांव (बांसवाड़ा)
  • प्रवाह – बांसवाड़ा, प्रतापगढ़, डूंगरपुर
  • माही नदी कर्क रेखा को दो बार पार करती है।
  • माही बजाज सागर बांध बांसवाड़ा के बोरखेड़ा गांव के पास इसी नदी पर बना है।
  • कुल लम्बाई – 576 किमी., राजस्थान में – 171 किमी. है।
  • सहायक नदियाँ – ईरू, सोम – जाखम, चाप, अनास – हारन, मोरेन
ईरू
  • उद्गम – प्रतापगढ़ जिला, प्रवाह – प्रतापगढ़, बांसवाड़ा
  • माही नदी पर गुजरात में कड़ाना बांध बना हुआ है।
  • माही नदी का प्रवाह क्षेत्र छप्पन का मैदान कहलाता है।
  • डूंगरपुर जिले में बेणेश्वर के निकट माही, सोम एवं जाखम का संगम होता है जिसे त्रिवेणी संगम कहते हैं।
सोम नदी
  • खैरवाड़ा तहसील (उदयपुर), बीछामेड़ा पहाड़ियों से उदयपुर व डूंगरपुर की सीमा बनाती हुई माही में बैणेश्वर (डूंगरपुर) नामक स्थान पर मिल जाती है।
  • सहायक नदियां – जाखम, टीडी, गोमती, सारनी
  • बांध- सोमकागदर (उदयपुर), सोम कमलाअम्बा (डूंगरपुर)

जाखम नदी
  • आदिवासियों की गंगा
  • उद्गम – छोटी सादड़ी (प्रतापगढ़), डूंगरपुर, समापन – बेणेश्वर नामक स्थान पर सोम मिलती है।
  • सहायक नदियाँ – करमोई, सूकली (सीतामाता अभ्यारण्य)
चाप नदी
  • उद्गम – बांसवाड़ा जिले में उद्गम
  • समापन – डूंगरपुर व बांसवाड़ा की सीमा पर।
अनास नदी
  • उदगम् – मध्य प्रदेश में आम्बेर गांव से।
  • प्रवेश – मेलड़ीखेड़ा (बांसवाड़ा) में प्रवेश।
  • समापन – गुजरात, डूंगरपुर सीमा पर गलियाकोट (डूंगरपुर में) माही + अनास।
साबरमती नदी
  • उद्गम – उदयपुर की कोटड़ा तहसील से।
  • प्रवाह जिला – उदयपुर।
  • गुजरात के साबरकांठा जिले में प्रवेश कर सम्पूर्ण गुजरात में बहती हुई खम्भात की खाड़ी में समापन।
  • सहायक नदियाँ- वाकल, मानसी, सेई, हथमती, मेश्वा, वतरक, माजम इत्यादि।
  • गांधीनगर इसी नदी पर बसा हुआ है।

वाकल नदी
  • उद्गम – गोगुंदा की पहाड़ियों से निकलती है।
  • प्रवाह – उदयपुर
  • समापन – उदयपुर, गुजरात की सीमा पर साबरमती नदी में।
मानसी नदी
  • गोगुंदा की पहाड़ियों से उदयपुर में ही निकलती है व वही मिल जाती है।
  • मानसी – वाकल पेयजल परियोजना – प्रथम सुरंग आधारित पेयजल परियोजना जो उदयपुर को पेयजल उपलब्ध कराती है।
  • HZL (Hindustan Zink Limited) व राजस्थान सरकार के सहयोग से 70 : 30 अनुपात में बनी।
सेई नदी
  • उद्गम – कोटड़ी तहसील (उदयपुर)। यह नदी साबरमती में पश्चिम की ओर से आकर मिलती है।
  • सेई नदी पर सेई परियोजना बनाई जा रही है।
  • हथमती, मेश्वा, वतरक व माजम (ये सभी नदियाँ पूर्व से उदयपुर व डूंगरपुर जिलों से निकलती है तथा साबरमती में मिल जाती है)।

आन्तरिक/अन्तवर्ती नदियाँ

घग्घर नदी
  • राजस्थान की आन्तरिक प्रवाह की सबसे लम्बी नदी
  • उद्गम – हिमाचल प्रदेश कालका की पहाड़ियों से (शिवालिक श्रेणियां)।
  • प्रवाह – हिमाचल प्रदेश, पंजाब हरियाणा, राजस्थान
  • राजस्थान में प्रवेश – हनुमानगढ़ जिले के टिब्बी के पास तलवाड़ा गांव में प्रवेश।
  • समापन – सूरतगढ़ (गंगानगर) फिर अनूपगढ़ व यदि आगे बाढ़ का पानी आ जाए तो पाकिस्तान फोर्टअब्बास (बहावलपुर) तक चला जाता है। वहां इस नदी के प्रवाह को ‘हकरा‘ के नाम से जाना जाता है।
  • घग्घर नदी का वैदिक नाम – दृषद्वती।
  • सरस्वती व दृषद्वती प्राचीन कालीन 2 नदियाँ थी। सरस्वती नदी विलुप्त हो चुकी है व दृषद्वती (घग्घर) वर्तमान में बह रही है।
  • वर्तमान में इसका नाम – मृत नदी
  • घग्घर नदी का पाट क्षेत्र ‘नाली‘ कहलाता है।
  • इस नदी में हरियाणा में ओटू झील (सिरसा) है।
  • कालीबंगा सभ्यता का विकास घग्घर नदी के किनारे हुआ।
साबी नदी
  • उद्गम – सेवर (जयपुर) साईवाड़ (त्रिवेणी धाम) की पहाड़ियों से निकलकर सीकर जिले में जाकर वापस जयपुर में N.H. – 8 से होती हुई कोटपुतली, बानसूर, बहरोड़, मंडावर, तिजारा, किशनगढ़ से होती हुई हरियाणा के पटौदी गांव में विलुप्त।
  • प्रवाह – जिले – जयपुर, सीकर, अलवर में। राज्य – राजस्थान व हरियाणा में।
  • सहायक नदी – सोता नाला (कोटपूतली तहसील)।
  • अकबर बांधी न बंधू ना रेवाड़ी जाऊंकोट तळाकर निकळूं साबी नाम कहाऊं।।
  • प्रचलित कहावत है।
कांतली नदी/काटली/मौसमी नदी
  • उद्गम – खण्डेला गांव की पहाड़ियों से सीकर जिले में। यह झुन्झुनूं को दो भागों में काटती है अतः इसे कांटली कहा जाता है।
  • समापन – चुरू – झुन्झुनूं की सीमा पर।
  • प्रवाह – सीकर, झुन्झुनूं
  • प्राचीनकाल में गणेश्वर सभ्यता का विकास इसी नदी के उपात्यक क्षेत्र में हुआ।
  • तोरावाटी -: काँतली नदी का प्रवाह क्षेत्र।
काकनेय/काकनी/मसूरदी
  • उद्गम – जैसलमेर शहर के उत्तर में कोटड़ी गांव से।
  • समापन – बुझ झील (जैसलमेर के दक्षिण में स्थित)।
  • स्थानीय भाषा में इसे मसूरदी नदी भी कहते हैं।
द्रव्यवती नदी
  • उद्गम – जयपुर शहर के नाहरगढ़ की पहाड़ियों में आथूनी कुण्ड से निकलती है।
  • प्रवाह – जयपुर शहर के बीच में बहती है।
  • समापन – कानोता बांध में मिल जाती है।
मेन्था नदी
रूपारैल नदी (वाराह नदी)
  • उद्गम – अलवर, सरिस्का के आगे उदयनाथ की पहाड़ियों के पास से।
  • प्रवाह – अलवर व भरतपुर
  • विलुप्त – कुशलपुर गांव (भरतपुर)
  • प्राचीन रियासती शासन में अलवर, भरतपुर रियासतों में इसी नदी को लेकर विवाद था।
रूपनगढ़ नाला
  • उद्गम – नागपहाड़ (अजमेर)। प्रवाह – अजमेर, जयपुर
  • समापन – साम्भर झील
  • खारी व खण्डेल नदी – जयपुर की आस-पास की पहाड़ियों से निकलती है तथा सांभर झील में आकर इन दोनों का समापन हो जाता है।

नदियों के किनारे नगर

शहर/कस्बानदी
कोटाचम्बल
केशोरायपाटनचम्बल
नाथद्वाराबनास
टोंकबनास
सवाई माधोपुरबनास
विजयनगरखारी
आसीन्दखारी
गुलाबपुराखारी
सुमेरपुरजवाई
जालौरसूकड़ी
अजमेरलूनी
बालोतरालूनी
हनुमानगढ़घग्घर
अनूपगढ़घग्घर
सूरतगढ़घग्घर
पालीबाण्डी
पीलू का पुरागंभीर
जमुवारामगढ़बाणगंगा
गलियाकोट(डूंगरपुर)माही
झालावाड़कालीसिंध
एरनपुराजवाई
बिलाड़ालूनी
मण्डोरनागद्री जलधारा
शिवगंजजवाई
भीलवाड़ाकोठारी
चितौड़गढ़बेड़च
नदियों के किनारे नगर

जलदुर्ग

  • गागरोनकालीसिंध आहू
  • मनोहरथाना – कालीखाड़ – परवन।
  • भैसरोड़गढ़ (राजस्थान का वैल्लोर) – चम्बल – बामनी।
  • वैल्लोर – तमिलनाडु में है।
  • शेरगढ़ – परवन नदी बारां
  • चित्तौड़ का किला (गिरिदुर्ग) – मेसा पठार पर – तलहटी – बेड़च – गंभीरी, संगम।
  • जालौर दुर्ग – सूकड़ी नदी।

प्रमुख नदियों की कुल लम्बाई

नदियाँलम्बाई
चम्बलकुल लम्बाई 966 किमी.(राजस्थान में 135 किमी)
बनास512 किमी.
माही576 किमी., (राजस्थान में 171 किमी.)
बाणगंगा380 किमी.
लूणी330 किमी.
बेड़च190 किमी.
जोजड़ी150 किमी.
कोठारी145 किमी.
कांटली100 किमी.
खारी80 किमी.
लीलड़ी60 किमी.
काकनेय27 किमी.
प्रमुख नदियों की कुल लम्बाई

अन्तर्राज्यीय नदियाँ

तीन राज्यों में बहने वाली नदियाँ

  • चम्बल (मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश)।
  • माही (मध्य प्रदेश, राजस्थान गुजरात)।
  • घग्घर (हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान)

दो राज्यों में बहने वाली नदियाँ (मध्य प्रदेश व राजस्थान में)

  • कुनु (कोनेड़), कालीसिंध, पार्वती, आहू, निमाज, रेवा, परवन, अनास

राजस्थान के प्रमुख जलप्रपात एवं नदियाँ

जलप्रपातस्थाननदी
चूलिया जलप्रपातभैंसरोड़गढ़चम्बल नदी
भीमताल जलप्रपातभीमताल, बून्दीमाँगली नदी
मेनाल जलप्रपातमेनालमैनाल नदी
अरणा जरणाजोधपुरमैनाल नदी
दमोह जल प्रपात बाड़ी,धौलपुरमैनाल नदी
दिर जलप्रपातधौलपुरकांकुड़ नदी
राजस्थान के प्रमुख जलप्रपात एवं नदियाँ

राजस्थान – गुजरात में बहने वाली नदियाँ

  • लूणी, पश्चिम बनास, सूकली, (सीपू), साबरमती, हथमती, वतरक

राजस्थान – उत्तर प्रदेश में बहने वाली नदियाँ

  • बाणगंगा व गंभीर।

राजस्थान की प्रमुख त्रिवेणियाँ (तीन नदियों का संगम स्थल)

संगम/ त्रिवेणीस्थानजिलानदियाँ
त्रिवेणी संगम (तरबिणी)बिगोद कस्बाभीलवाड़ाबनास, बेड़च व मेनाल
त्रिवेणी संगमराजमहल गांवटोंकबनास, डाई और खारी
त्रिवेणी संगमरामेश्वरम घाटसवाईमाधोपुरबनास, चम्बल एवं सीप
त्रिवेणी संगमबेणेश्वरडूंगरपुरसोम, माही एवं जाखम
राजस्थान की प्रमुख त्रावेणियाँ (तीन नदियों का संगम स्थल)
  1. रणकपुर जैन मंदिर मंथाई नदी के तट पर स्थित है।
  2. देव सोमनाथ मंदिर (डूंगरपुर) सोम नदी के किनारे अवस्थित है।
  3. आंतरिक अपवाह तंत्र में शामिल जिले :- जयपुर, नागौर, सीकर, अजमेर
  4. उदयपुर की पिछोला झील को भरने वाली नदी :- सीसारमा व बुझड़ा नदी
  5. राजस्थान में कुल सतही जल की संभाव्यता 15.86 मिलियन एकड़ फुट (MAF) हैं।
  6. लूनी, बनास, चम्बल सर्वाधिक जिलों (6-6-6) में बहने वाली नदियाँ हैं।
  7. चम्बल की सहायक नदियाँ :- बामनी बनास, कालीसिन्ध, गुजाली, पार्वती, कुराल, चाकण व मेज
  8. बनास की सहायक नदियाँ :- कोठारी, खारी, बेड़च, मेनाल, माशी, मोरेल
  9. लूणी की सहायक नदियाँ :- जवाई, सुकड़ी, लीलड़ी, मीठड़ी, जोजड़ी, बांडी, सागी
  10. साबरमती की सहायक नदियाँ :- मेसवा, बेतरक, हथमती, वाकल, जाजम
  11. कालीसिन्ध की सहायक नदियाँ :- आहू, पिपलाज, क्यासरी, रेवा, निवाज, परवन
  12. दिर जलप्रपात :- कांकुड़ नदी पर निर्मित।
  13. सर्वाधिक जलग्रहण क्षमता वाली नदियाँ :- (क) बनास (27.48%) (ख) लूणी (20.21%) (ग) चम्बल (17.18%) (घ) माही (9.46%)
  14. नंद समंद झील को राजसमन्द की जीवनरेखा कहा जाता है।
  15. राजस्थान का सबसे ऊँचा बाँध :- जाखम बाँध
  16. राजस्थान का 60.2% क्षेत्र आन्तरिक प्रवाह प्रणाली का हिस्सा है।
राजस्थान की नदियों के उपनाम
नदीउपनाम
बाणगंगाअर्जुन की गंगा, रुण्डिता नदी, ताला नदी
माहीबागड़ व कांठल की गंगा, दक्षिण राजस्थान की स्वर्ण रेखा
जवाईपश्चिमी राजस्थान की गंगा
जाखमआदिवासियों की गंगा
लूनीलवणवती
चम्बलकामधेनू, चर्मण्वती व नित्यवाही नदी
बनासवन की आशा व वशिष्ठी नदी
काकनेयमसूरदी नदी
घग्घरमृत नदी
राजस्थान की नदियों के उपनाम
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