राजस्थान में बकरी की प्रमुख नस्लें

अलवरी, परबतसरी, मारवाड़ी (लोही), सिरोही, जमनापरी, बरबरी, शेखावाटी

  • बकरी विकास एवं चारा उत्पादन परियोजना जो स्विट्जरलैण्ड सरकार के वित्तीय सहयोग से राजस्थान में 1981-82 में प्रारम्भ की गई।
  • बकरी सर्वाधिक -: बाड़मेर, जोधपुर। न्यूनतम-: धौलपुर। 
  • बकरी को गरीब की गाय कहा जाता है।
  • बीतल बकरी की नस्ल हैं।

अलवरी

  • मूलतः उत्पत्ति गांव-झखराणा (बहरोड़-नारनौल मार्ग पर) है। झखराणा गांव पहलवानों के लिए प्रसिद्ध है। आकार में बड़ी व काले रंग।
  • विशेषताएँ- दूध के लिए प्रसिद्ध, कान बहुत लम्बे, जन्म के डेढ़ माह बाद काट देते हैं।

परबतसरी

  • बकरी प्रजनन एवं चारा अनुसंधान केन्द्र रामसर (अजमेर) में स्विटजरलैण्ड की नस्ल बीटल व भारतीय नस्ल सिरोही के संकरण से इसे उत्पन्न किया गया है। दूध के लिए अच्छी है।

मारवाड़ी (लोही)

  • सबसे अधिक क्षेत्र में सर्वाधिक संख्या में पाई जाती है। यह मांस व दूध दोनों के लिए उपयुक्त है। जोधपुर, बाड़मेर, जालौर, पाली इत्यादि जिलों में पाई जाती है।

सिरोही

  • सिरोही व उदयपुर में उपस्थित। मांस के लिए उपयुक्त।
  • आकार – मध्यम व शरीर गठीला।

जमनापरी

  • साधारण नस्ल।
  • कोटा, बूंदी, झालावाड़। मांस व अधिक दूग्ध उत्पादन के लिए प्रसिद्ध।

बरबरी

  • भरतपुर संभाग, दूध के लिए उपयुक्त।

शेखावाटी

  • CAZRI के द्वारा विकसित। बिना सींग की नस्ल। दूध अच्छा देती है।
  • नागौर का ‘वरूण‘ गांव बकरियों के लिए प्रसिद्ध।
  • बकरी के मांस को चेवण कहते हैं।
  • सीकर जिले का बलेखण गांव भी बकरियों के लिए प्रसिद्ध है।
  • बकरी के बालों से बनायी जाने वाली रस्सी (जेवड़ी) को जटपट्टी कहा जाता है। जो जसोल, बाड़मेर की प्रसिद्ध है।
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