राजस्थान का इतिहास में जैन साहित्य

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MY GK BOOK rajasthan history hindi की पिछली पोस्ट में हमने आप को बताया था की राजस्थान के इतिहास में साहित्य स्रोत कोनसे है, हमारे पिछले पोस्ट आप या GK BOOK पर क्लिक करके पढ़ सकते है MY GK BOOK की इस पोस्ट में हमे आप राजस्थान के इतिहास को जानने के लिए जैन साहित्य का क्या योग दान हे तथा इसकी क्या भमिका है इसके अलावा इस पोस्ट में हम आप को राजस्थान के इतिहास में फ़ारसी साहित्य का योगदान के बारे में जानकारी प्राप्त करगे।

राजस्थान के इतिहास में जैन साहित्य

राजस्थान में विभिन्न जैन भण्डारों में जो साहित्य संग्रहित हैं वह इस प्रदेश की ऐतिहासक जानकारी का महत्वपूर्ण स्रोत है। जो राजस्थान में जैसलमेर, बीकानेर, सोजत, चित्तौड़, सादड़ी आदि स्थानों पर जैन भण्डार है। इस साहित्य से मध्यकालीन राजस्थान के धार्मिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक इतिहास के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। अधिकांश जैन साहित्य राजस्थानी अथवा संस्कृत भाषा में लिखा हुआ है जो रासो, बात, दोहा, चौपाई, चरित्र, गाथा आदि के रूप में वर्णित किया गया है। 

नाभिनन्दन जिनोधार प्रबंध

इस साहित्यिक रचना का रचनाकार कक्कड़ सूरी ने ‘नाभिनन्दन जिनोधार प्रबंध’ नामक पद्य काव्य 14वीं सदी में संस्कृत में लिखा जो पाँच अध्यायों में विभाजित हैं। इस साहित्य का मूल कथानक धर्मावलम्बी समरसेन था। इसमें उकेशपुर (वर्तमान में ओसियां) एवं कीरातबपुर (वर्तमान में किराड़) के मध्यकालीन नगरों के धार्मिक एवं आर्थिक जीवन का वर्णन मिलता है।

गोराबादल री चौपाई

इस साहित्यिक रचना का रचनाकार हेमरत्न सूरी द्वारा रचित गोराबादल री चौपाई ग्रंथ में राजपूत काल की युद्ध प्रणाली के बारे में जानकारी मिलती है। 

पद्‌मिनी चरित्र चौपाई

इस साहित्यिक रचना का रचनाकार लम्योदय उपाध्याय द्वारा रचित पद्‌मिनी चरित्र चौपाई से 17वीं सदी की सामाजिक व्यवस्था की जानकारी मिलती है।  

सौभाग्य महाकाव्य

इस साहित्यिक रचना का रचनाकार सोमसूरी द्वारा 15वीं सदी में रचित ग्रंथ ‘सौभाग्य महाकाव्य’ से तत्कालीन शिक्षा प्रणाली की जानकारी मिलती है। 

सिंहल सूत्र एवं वल्कल चिरी

इस साहित्यिक रचना का रचनाकार सोमसुन्दर द्वारा रचित सिंहल सूत्र एवं वल्कल चिरी नामक ग्रंथ से 16वीं सदी की सामाजिक स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है। 

हम्मीर महाकाव्य

इस साहित्यिक रचना का रचनाकार नयनचन्द्र सूरी द्वारा 14 सर्गों में लिखी हम्मीर महाकाव्य ग्रंथ में रणथम्भौर के चौहान शाखा के राजपूत राजाओं का लिपिबद्ध वर्णन मिलता है। 

  • मेरुतुंग का प्रबंध चिंतामणि,
  • हेमरत्न सूरि का यमकुमार चौपाई,
  • भाहुक का हरिमेखला,
  • श्रीधर व्यास का पार्श्वनाथ चरित,
  • हरिभद्र सूरि का समराइच्छकथा,
  • धुर्ताख्यान, यशोधर चरित,
  • राजशेखर का प्रबंधकोष,
  • उद्योत्तन सूरि का कुवलयमाला,
  • हेमचन्द्र सूरि का देशीनाममाला,
  • जयसिंह सूरि का कुमारपाल चरित,
  • धर्मोदेशमाला,

राजस्थान के इतिहास में फारसी साहित्य

  • तबकाते नासिरी – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार काजी मिनहाज-उस-सिराज हैं। इस पुस्तक में जालौर एवं नागौर में मुस्लिम शासन के बारे में जानकारी प्रदान करती हैं।
  • ताज-उल-मासिर – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार हसन निजामी हैं। इस पुस्तक से अजमेर नगर की समृद्धि एवं मुस्लिम आक्रमण से होने वाली बर्बादी के बारे में जानकारी मिलती है।
  • तारीखे-ए-फिरोजशाही – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार जियाउद्दीन बरनी हैं। इस पुस्तक से हमें रणथम्भौर एवं उस पर होने वाले आक्रमण की जानकारी मिलती है।
  • खजाईनुल-फुतूह –  इस साहित्यिक रचना का रचनाकार अमीर खुसरो हैं। इस पुस्तक से अलाउद्दीन खिलजी के चित्तौड़ व रणथम्भौर आक्रमण की जानकारी मिलती है। (i) मुरात-उल-कमाल – (ii) देवल रानी
  • तारीख-ए-मुबारकशाही – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार याहया-बिन-अहमद-अब्दुलशाह-सर हिन्दी हैं।
  • तुजुक-ए-बाबरी (बाबरनामा) इस पुस्तक से हम बाबर की आत्मकथा के बारे में जानकारी मिलती है। इस पुस्तक को तुर्की भाषा में लिखा गया है। इसमें पानीपत के प्रथम युद्ध एवं खानवा युद्ध की जानकारी मिलती है।
  • हुमायूंनामा – गुलबदन बेगम ( हुमायूं की बहन ) इस ग्रंथ से हुमायूं के मेवाड़ एवं मारवाड़ शासकों के साथ संबंधों एवं शेरशाह सूरी से परास्त होने की जानकारी मिलती है।
  • अकबरनामा अबुल फजल – इस पुस्तक से हम राजस्थान के मेवाड़, कोटा, जयपुर, सांभर, अजमेर आदि नगरों में अकबर द्वारा करवाये गये कार्य एवं अकबर के साथ राजपूत राजकुमारियों के विवाह की जानकारी मिलती है।
  • आईन-ए-अकबरी – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार अबुल फजल इस ग्रंथ से राजस्थानी वेशभूषा एवं वस्त्रों के नाम एवं राजस्थान में मनाये जाने वाले त्योहारों एवं मुद्राओं के बारे में जानकारी मिलती है।
  • मुन्तखब-उत-तवारीख – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार अब्दुल कादिर बदाँयूनी इस ग्रंथ में हल्दीघाटी युद्ध का सजीव वर्णन मिलता है। इस ग्रंथ से हमें हरकू बाई का विवाह अकबर के साथ होने का, जौहर प्रथा एवं रक्षाबंधन पर्व का वर्णन मिलता है।
  • तारीख-ए-शेरशाही – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार अब्बास खाँ सरवानी इस ग्रंथ में मालदेव एवं शेरशाह के मध्य हुए गिरि-सुमेल युद्ध में लेखक स्वयं मौजूद था।
  • इकबालनामा – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार मोतमिद खाँ है। इस ग्रंथ में शाहजहाँ द्वारा मेवाड़ में की गई हत्याओं एवं आर्थिक बर्बादी की जानकारी मिलती है।
  • शाहजहाँ नामा – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार इनायत खाँ है। इस ग्रंथ में मुगल मेवाड़ संधि की जानकारी मिलती है।
  • तारीख-ए-राजस्थान – इस साहित्यिक रचना का रचनाकारकालीराम कायस्थ (अजमेर) है। इस ग्रंथ को ‘नसबुल अनसाब’ के नाम से भी जाना जाता है।
  • तबकात-ए-अकबरी- र निजामुद्दीन अहमद है। यह ग्रंथ शेरशाह की सेना के टुकड़ी के नागौर पहुँचने की जानकारी प्रदान करता है।
  • फतूहात-ए-आलमगीरी -इस साहित्यिक रचना का रचनाकार ईसरदास नागर है। इस ग्रंथ से दुर्गादास राठौड़ की कूटनीतिज्ञता का पता चलता है।
  • तुजुक-ए-जहाँगीरी -इस साहित्यिक रचना का रचनाकार जहाँगीर है। यह जहाँगीर की आत्मकथा है जिसमें आमेर के राजा भगवंतदास का नाम भगवानदास लिखा है।
  • तजकिरात-उल-वाकेयात – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार जौहर आफतावची है।
  • तारीख-ए-रशीदी – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार मिर्जा हैदर दौगलत है।
  • पादशाहनामा – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार अब्दुल हमीद लाहौरी है।
  • आलमगीरनामा – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार मोहम्मद काजिम है।
  • मुनव्वर-ए-कलाम – इस साहित्यिक रचना का रचनाकार शिवदास है।

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