gk book की पिछली पोस्ट में हमने आप को राजस्थान में सुनारी सभ्यता के बारे में बताया था। इस पोस्ट में हम आप को राजस्थान में रैढ़ सभ्यता ( raidh sabhyta ) के बारे में बतायगे जो राजस्थान के टोंक जिले में है।
रैढ़ सभ्यता
रैढ़ सभ्यता राजस्थान के टोंक जिले की निवाई तहसील में ढील नदी के किनारे स्थित पुरातात्विक स्थल है।
- रैढ़ सभ्यता एक लौह युगीन सभ्यता है।
- रैढ़ सभ्यता पर उत्खनन कार्य 1938-39 में दयाराम साहनी के नेत्तृत्व में तथा अंतिम रूप में उत्खनन कार्य डाॅ. केदारनाथ पूरी के द्वारा करवाया गया था ।
- रैढ़ सभ्यता के उत्खनन से बड़ी मात्रा में मिलने वाले लौह उपकरणों तथा मुद्राओं के कारण इसे प्राचीन भारत का टाटानगर कहा जाता है।
- टाटानगर एक धातु केंद्र था जहाँ पर औद्योगिक कार्य एवं निर्यात हेतु उपकरण एवं औजार बनाए जाते थे।
- रैढ़ सभ्यता में उत्खनन से 3075 आहत मुद्राएं तथा 300 मालव जनपद के सिक्के प्राप्त हुए है।
- रैढ़ सभ्यता से यूनानी शासक अपोलोडोट्स का एक खण्डित सिक्का भी प्राप्त हुआ है।
- रैढ़ सभ्यता में उत्खनन से हल्के गुलाबी रंग से मिट्टी का बना एक संकीर्ण गर्दन वाला फूलदान प्राप्त हुआ है।
- रैढ़ सभ्यता से प्राप्त मृदभांड चक्र से निर्मित है तथा यहाँ से विभिन्न प्रकार के मिट्टी के बर्तन प्राप्त हुए हैं।
- रैढ़ सभ्यता के मृद्भांडो में गोल ‘रिंग वेल्स’ एक दूसरे पर लगा दिए जाते थे।
- रैढ़ सभ्यता में पकाई गई मातृ देवी व शक्ति के विभिन्न रूपों की मूर्तियां प्राप्त हुई है।
- रैढ़ सभ्यता से कर्णफूल, गले का हार, चूिड़यां, पायजेब आदि आभूषणों के प्रमाण प्राप्त हुए हैं।
- रैढ़ सभ्यता से आलीशान इमारतों के अवशेष भी प्राप्त हुए हैं।
- रैढ़ सभ्यता से मृतिका से बनी यक्षिणी की प्रतिमा प्राप्त हुई है जो संभवत: शुंग काल की मानी जाती है।
- रैढ़ सभ्यता से मालव जनपद के 14 सिक्के, 6 सेनापति सिक्के एवं 7 वपू के सिक्के प्राप्त हुए हैं।
- रैढ़ सभ्यता से एशिया का अब तक का सबसे बड़ा सिक्काें का भण्डार मिला है।
- रैढ़ सभ्यता से जस्ते को साफ करने के प्रमाण मिले है।
- रैढ़ सभ्यता के निवासी मोटा एवं बारीक कपड़ा बनाने में सिद्धहस्त थे।