यहाँ के शासक रामावत राठौड़ थे जिनकी उपाधि ‘राव’ थी।
यहाँ के शासक राव हम्मीर सिंह तथा महारावल लक्ष्मणसिंह के मध्य विवाद हुआ तथा हम्मीर सिंह ने स्वयं को बांसवाड़ा से स्वतंत्र शासक घोषित किया।
राव हम्मीरसिंह के पुत्र राव जोरावर सिंह के काल में 1868 ई. में अंग्रेजी सरकार ने कुशलगढ़ ठिकानाको स्वतंत्र ठिकाना घोषित कर दिया।
25 मार्च, 1948 को कुशलगढ़ ठिकाने का विलय राजस्थान संघ में कर दिया गया।
शाहपुरा रियासत | शाहपुरा के गुहिल
शाहपुरा रियासत के गुहिल 1631 ई. में मेवाड़ महाराणा अमरसिंह के पौत्र सुजानसिंह ने शाहपुरा रियासत में गुहिल वंश की स्थापना की तथा इसे अपनी राजधानी बनाया।
यहाँ के शासक भरतसिंह को मेवाड़ महाराणा संग्रामसिंह द्वितीय ने जहाजपुर परगना इस शर्त पर देना स्वीकार किया कि शाहपुरा रियासत के शासकमेवाड़ महाराणा की सेवा में उपस्थित हो, लेकिन भरतसिंह ने इसे स्वीकार नहीं किया।
मुगल शासक औरंगजेब ने भरतसिंह को शाहपुरा रियासत में सिक्के ढलवाने की स्वीकृति प्रदान की।
19वीं सदी के प्रारंभ में यहाँ के शासकों ने अपने राज्य को सुरक्षित रखने के लिए अंग्रेजों से संधि कर ली।
1938 में शाहपुरा प्रजामण्डल की स्थापना रमेश चन्द्र ओझा, अभयसिंह तथा लादूराम व्यास द्वारा की गई।
kushalgarh rajasthan
1946 ई. में महाराजा सुदर्शन देव ने गोकुल लाल असावा के नेतृत्व में संविधान निर्मात्री समिति का गठन किया।
महाराजा सुदर्शन देव ने 14 अगस्त 1947 को गोकुल लाल असावा के प्रधानमंत्रित्व में शाहपुरा में पूर्ण उत्तरदायी सरकार का गठन किया गया।
महाराजा सुदर्शन देव ने शाहपुरा में स्वतंत्रता के पूर्व ही पूर्ण उत्तरदायी सरकार का गठन किया था जो राज्य की पहली लोकप्रिय सरकार थी।
25 मार्च, 1948 को शाहपुरा रियासत का विलय राजस्थान संघ में कर दिया गया।
इस संघ का प्रधानमंत्री गोकुल लाल असावा को बनाया गया।