बांसवाड़ा के गुहिल वंश

हमारी पिछली पोस्ट हमने आप को राजस्थान में डुंगरपुर का इतिहास के बारे जानकारी प्रदान की थी इस पोस्ट में हम आप को बांसवाड़ा के गुहिल वंश का इतिहास, बांसवाड़ा की स्थापना किसने की थी, के बारे में जानकारी प्रदान करगे।

बांसवाड़ा के गुहिल वंश का इतिहास

  • महारावल उदयसिंह के पुत्र जगमाल ने बांसवाड़ा में गुहिल वंश के स्वतंत्र राज्य की स्थापना की।
  • 11 वीं शताब्दी में यहाँ पर परमारों का शासन था जिनकी राजधानी आर्थुणा थी।
  • महरावल जगमाल ने यहाँ भीलेश्वर महादेव मंदिर तथा बाई का तालाब का निर्माण करवाया।
  • यहाँ के महारावल प्रतापसिंह ने अकबर की अधीनता स्वीकार की।
  • महारावल मानसिंह की नि:संतान मृत्यु हाेने पर मानसिंह चौहान ने बांसवाड़ा पर अधिकार कर लिया।
  • डूंगरपुर के महारावल सहसमल ने मानसिंह चौहान पर आक्रमण किया लेकिन पराजित हुआ।
  • महारावल कुशलसिंह के समय औरंगजेब ने बांसवाड़ा का फरमान इनके नाम कर दिया जो पूर्व में मेवाड़ महाराणा राजसिंह के नाम पर था।

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    • महारावल विष्णु सिंह के समय मेवाड़ महाराणा संग्राम सिंह II ने डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा को अपने अधीन करने का प्रयत्न किया जिस कारण विष्णुसिंह ने मराठों से संधि कर खिराज देना स्वीकार किया।
    • महारावल पृथ्वीसिंह ने बांसवाड़ा के चाराें ओर परकोटे का निर्माण करवाया। इनकी रानी अनोप कुंवरी ने लक्ष्मीनारायण मंदिर का निर्माण करवाया।
    • बांसवाड़ा महारावल उम्मेदसिंह के समय 1818 ई. में राज्य की अंग्रेजों से सहायक संधि सम्पन्न हुई।
    • महारावल लक्ष्मणसिंह के राज्याभिषेक के समय इनके अल्पवयस्क होने के कारण मुंशी शहामत अली खाँ को इनका संरक्षक नियुक्त किया गया।
    • इनके समय ही राजस्थान में 1857 का स्वतंत्रता संग्राम हुआ। ये एक शिल्प प्रेमी शासक थे जिन्होंने राज्य में कई महलों का निर्माण करवाया तथा राजराजेश्वर नामक शिव मंदिर बनवाया। इन्होंने एक सांकेतिक लिपि भी बनवाई जो राजराजेश्वरी लिपि कहलाती थी।
    • इनके समय बांसवाड़ा में कलदार सिक्कों का प्रचलन आरंभ हुआ।

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    • महारावल शंभूसिंह के समय शासनकार्य चलाने के लिए एक पाँच सदस्यीय कौंसिल की स्थापना की गई।
    • महारावल चंद्रवीर सिंह के समय 25 मार्च, 1948 को बांसवाड़ा का विलय राजस्थान में किया गया।
    • महारावल चंद्रवीर सिंह ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि ‘मैं अपने डेथ वॉरंट पर हस्ताक्षर कर रहा हूूँ’।
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