my gk book की पिछले पोस्ट में आप को हमने आप को बागोर सभ्यता के बारे में विस्तार से जानकारी दी थी। इस पोस्ट में हम आप को राजस्थान में स्थित बालाथल सभ्यता के बारे में विस्तार से जानकरी प्रदान करगे।
बालाथल सभ्यता
बालाथल सभ्यता उदयपुर जिले में बालाथल गाँव के पास बेड़च नदी के निकट एक टीले के उत्खनन से यहाँ ताम्र-पाषाणकालीन सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए थे।
- बालाथल सभ्यता की खोज 1962-63 में डाॅ. वी. एन. मिश्र द्वारा की गई।
- बालाथल सभ्यता डॉ. वी. एस. शिंदे, आर. के. मोहन्ते, डॉ. देव कोठारी एवं डॉ. ललित पाण्डे का सम्बन्ध इसी सभ्यता से माना जाता है। इन्होंने 1993 में इस सभ्यता का उत्खनन किया था।
- बालाथल सभ्यता में उत्खनन से एक 11 कमरों के विशाल भवन के अवशेष मिले है।
- बालाथल सभ्यता के लोग बर्तन बनाने तथा कपड़ा बुनने के बारे में जानकारी रखते थे।
- बालाथल सभ्यता से लौहा गलाने की 5 भटि्टयाँ प्राप्त हुई हैं।
- बालाथल सभ्यता से कपड़े का टुकड़ा प्राप्त हुआ है।
- बालाथल सभ्यता के उत्खनन में मिट्टी से बनी सांड की आकृतियाँ मिली हैं।
- बालाथल सभ्यता के निवासी माँसाहारी भी थे।
- बालाथल सभ्यता से 4000 वर्ष पुराना कंकाल मिला है जिसको भारत में कुष्ठ रोग का सबसे पुराना प्रमाण माना जाता है।
- बालाथल सभ्यता से योगी मुद्रा में शवाधान का प्रमाण प्राप्त है।
- बालाथल सभ्यता में अधिकांश उपकरण तांबे के बने प्राप्त हुए हैं।
- बालाथल सभ्यता से तांबे के बने आभूषण भी प्राप्त हुए है।
- बालाथल सभ्यता के लोग कृषि, शिकार तथा पशुपालन आदि से परिचित थे।
- बालाथल सभ्यता से प्राप्त बैल व कुत्ते की मृण्मूर्तियां विशेष उल्लेखनीय है।