mygkbook की पिछली पोस्ट हमने आप को कालीबंगा सभ्यता के बारे विस्तार से जानकारी दी थी जिसमे हमने आप को बताया की कालीबंगा सभ्यता किस प्रकार की सभ्यता है और इस की क्या क्या विशेषता हे। इस पोस्ट को शुरू करने से आप को इस पोस्ट के बारे में बताता हु इस पोस्ट में हम आप को आहड़ सभ्यता के बारे जानकारी देंगे।
आहड़ सभ्यता
आहड़ सभ्यता (उदयपुर शहर के पास) – आहड़ नदी के तट पर (जो बनास की सहायक नदी है।)
- आहड़ सभ्यता का प्राचीन नाम – ताम्रवती नगरी/तांबावली के नाम से जाना जाता था।
- आहड़ सभ्यता का 10-11वीं सदी में नाम – आघाटपुर या आघाट दुर्ग के नाम से जाना जाती थी।
- आहड़ सभ्यता का स्थानीय नाम – धूलकोट था।
- आहड़ सभ्यता लगभग 2000 ई. पू. से 1200 ई.पू. की ताम्रयुगीन सभ्यता है।
- आहड़ सभ्यता उत्खननकर्ता – सर्वप्रथम 1953 ई. – अक्षय कीर्ति व्यास ने किया था ।
- आहड़ सभ्यता का दूसरी बार उत्खननकर्ता 1956 ई.में रतनचन्द्र अग्रवाल, 1961 ई.- एच.डी. सांकलिया द्वारा किया गया था।
- आहड़ सभ्यता का प्रमुख उद्योग ताँबा गलाना एवं उसके उपकरण बनाना था, जिसका प्रमाण यहाँ प्राप्त हुए ताम्र कुल्हाड़े व अस्त्र तथा एक घर में तांबा गलाने की भट्टी से प्राप्त होते है
- आहड़ सभ्यता के पास में ही ताँबे की खदानें थी।
- आहड़ सभ्यता की खुदाई में 6 तांबे की मुद्राएं और 3 मुहरें मिली हैं। मुद्रा पर एक ओर त्रिशुल तथा दूसरी ओर अपोलो है।
- आहड़ सभ्यता में ताम्बे के बर्तन, कुल्हाड़ी तथा उपकरण भी मिले हैं।
- आहड़ में माप-तौल के बाट मिले हैं जिससे इनके व्यापार वाणिज्य के बारे में पता चलता है।
- आहड़ में मकान पक्की ईंटों के मिले हैं।
- आहड़ सभ्यता के लोग मृतकों के साथ आभुषण भी दफनाते थे।
- आहड़ सभ्यता लाल व काले मृद्भाण्ड वाली संस्कृति का प्रमुख केन्द्र था।
- आहड़ सभ्यता में मृद्भाण्ड उल्टी तिपाई विधि से पकाए जाते थे।
- आहड़ सभ्यता में अनाज रखने के बड़े मृद्भाण्ड मिले हैं जिन्हें स्थानीय भाषा में गोरे व कोट कहा जाता था।
- आहड़ सभ्यता से प्राप्त एक मुद्रा पर अपोलो खड़ा दिखाया गया है व इस पर यूनानी भाषा में लेख भी है।
- आहड़ सभ्यता में शरीर से मेल छुड़ाने का झावा भी मिला है।
Nice topic
Best news