mygkbook की इस पोस्ट हम आप को मुगल साम्राज्य ,mughal kal, mughal vansh history in hindi के बारे में विस्तार से बतायगे इस में आप को mugal kal history in hindi में जानकारी देंगे इस पोस्ट में आप को mughal kings बाबर का इतिहास से लेकर औरगजेब के इतिहास के बारे में जानकारी देंगे
बाबर (1526-30)
- बाबर भारत में कब आया था 1494 में ट्रंस आक्सियाना की छोटी सी रियासत फरगना का बाबर उत्तराधिकारी बना।
- मध्य एशिया में कई अन्य आक्रमणकारियों की भांति बाबर भी अपार धनराशि के कारण भारत की ओर आकर्षित हुआ।
- babar history in hindi बाबर अपनी पिता की ओर से तैमूर का तथा अपनी माता की ओर से चंगेज खां का वंशज था।
- बाबर के पिता का नाम उमर शेख मिर्जा था। वह चगताई तुर्क था।
- मध्य एशिया में अपने अनिश्चित स्थिति के कारण उसने सिन्धु नदी को पार कर भारत पर आक्रमण किया था।
- बाबर भारत में कब आया था 1518-1519 में बाबर ने भेरा के शक्तिशाली किले पर आक्रमण किया जो उसका प्रथम भारतीय अभियान था।
- अप्रैल, 1526 को बाबर तथा इब्राहिम लोदी के बीच पानीपत का प्रथम युद्ध हुआ।
- इस युद्ध में बाबर ने अपने 12,000 सैनिकों के साथ 1 लाख सैनिक तथा एक हजार हाथी से युक्त इब्राहिम लोदी की सेना को पराजित कर दिया।
- इस युद्ध में बाबर ने उस्मानी विधि का प्रयोग किया।
- इस युद्ध में इब्राहिम लोदी पराजित हुए तथा दिल्ली एवं आगरा तक के प्रदेश बाबर के अधीन हो गये।
- बाबर अपनी उदारता के कारण ‘कलंदर’ नाम से भी जाना जाता है।
- 27 अप्रैल, 1526 को बाबर ने दिल्ली में मुगल वंश के संस्थापक के रूप में राज्याभिषेक किया।
- बाबर का मकबरा दिसम्बर, 1530 में आगरा में बाबर की मृत्यु व उसे आगरा के नूर अफगान बाग (वर्तमान आराम बाग) में दफनाया गया। बाद में इसे काबुल में दफनाया गया।
खानवा युद्ध
- खानवा का युद्ध तारीख – आगरा से 40 किमी. दूर खानवा की लड़ाई 1527 में बाबर तथा राणा सांगा के बीच लड़ी गयी जिसमें सांगा पराजित हुए।
- युद्ध में विजयी होने के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की।
- खानवा की लड़ाई से दिल्ली – आगरा में बाबर की स्थिति मजबूत हुई और ग्वालियर तथा धौलपुर के किले पर भी अधिकार हो गया।
चंदेरी युद्ध
- चंदेरी की लड़ाई – खानवा के बाद बाबर ने चंदेरी के युद्ध में राजपूत सरदार मेदिनी राय को पराजित कर चंदेरी पर अधिकार कर लिया।
- 1529 में बाबर ने बनारस के निकट गंगा पार करके घाघरा नदी के निकट अफगानों और बंगाल के नुसरतशाह की सेनाओं का सामना किया।
- बाबर की मातृभाषा तूर्की थी।
- उसकी आत्मकथा ‘तुजुक-ए-बाबरी‘ का विश्व साहित्य के क्लासिक ग्रन्थों में स्थान है।
- बाबरनामा (तुर्की भाषा में) का फारसी भाषा में अनुवाद रहीम खान खाना ने किया।
हुमायूं (1530-1556)
- हुमायूं के बारे में – हुमायूं 1530 में 23 वर्ष की आयु में आगरा में गद्दी पर बैठा।
- उसके सामने अनेक समस्याएं थीं-प्रशासन को सुगठित करना, आर्थिक स्थिति ठीक करना, अफगानों को पूरी तरह दबाना तथा पुत्रों में राज्य बांटने की तैमूरी प्रथा।
- humayun का छोटा भाई कामरान काबुल और कंधार का प्रशासक था।
- कामरान ने लाहौर तथा मुल्तान पर आधिपत्य जमा लिया।
- 1531 में कालिंजर अभियान के अंतर्गत हुमायूं ने बुंदेलखंड के कालिंजर दुर्ग पर घेरा डाला।
- हुमायूं तथा महमूद लोदी के बीच दोहरिसा का युद्ध हुआ जिसमें महमूद लोदी पराजित हुआ।
- हुमायूं दिल्ली के निकट दीनपनाह नामक नया शहर बनवाने में व्यस्त रहा जो बहादुरशाह की ओर से आगरे पर खतरा पैदा होने की स्थिति में यह नया शहर इसकी राजधानी के रूप में काम आता।
- इसी बीच बहादुरशाह ने अजमेर, पूर्वी राजस्थान को रौंद डाला।
- चित्तौड़ पर आक्रमण किया तथा इब्राहिम लोदी के चचेरे भाई तातारा खां को सैनिक तथा हथियारों से सहायता दी।
- लेकिन हुमायूं ने जल्द ही तातार खां की चुनौती समाप्त कर दी तथा बहादुरशाह के अंत के लिए मालवा पर आक्रमण कर दिया।
- मांडू किले को पार करने वाला हुमायूं 41वां व्यक्ति था।
- मालवा और गुजरात का समृद्ध क्षेत्र हुमायूं के अधीन आ गया।
- मांडू तथा चम्पानेर के किले पर भी हुमायूं का अधिकार हो गया।
- आगरा से हुमायूं की अनुपस्थिति के दौरान शेर खां ने 1535-37 तक अपनी स्थिति मजबूत बना ली तथा वह बिहार का निर्विरोध स्वामी बन गया।
- शेर खां ने बंगाल के सुल्तान को पराजित किया।
- 1539 में चौसा की लड़ाई में हुमायूं शेर खां से पराजित हुआ।
- मई 1540 में कन्नौज की लड़ाई में अस्करी तथा हिन्दाल कुशलतापूर्वक लड़े लेकिन मुगल पराजित हुए।
- humayun in hindi – अब राज्यविहीन राजकुमार था क्योंकि काबुल और कंधार कामरान के अधीन था।
- अगले ढ़ाई वर्ष तक हुमायूं सिंध तथा पड़ोसी राज्यों में घूमता रहा लेकिन न तो सिंध के शासक और न ही मारवाड़ के शासक मालदेव ही उसकी सहायता के लिए तैयार था।
- अंततः हुमायूं ने ईरानी शासक के दरबार में शरण ली तथा 1545 में उसी की सहायता से काबुल तथा कंधार को प्राप्त किया।
- हुमायूं 1555 में सूर साम्राज्य के पतन के बाद दिल्ली पर पुनः अधिकार करने में सफल हुआ।
- दिल्ली में अपने पुस्तकालय (दीनपनाह भवन) की इमारत की पहली मंजिल से गिर जाने के कारण उसकी मृत्यु हो गई।
- हुमायूं सप्ताह के सात दिन, अलग-अलग रंग के कपड़े पहनता था।
- humayun ka makbara – हुमायूं का मकबरा दिल्ली में हाजी बेगम द्वारा बनवाया इसे ताजमहल का पूर्वगामी भी कहा जाता है।
शेर खां (1540-45)
- sher shah suri in hindi – शेर खां का वास्तविक नाम फरीद था। उसके पिता जौनपुर में जमींदार थे।
- 1544 में अजमेर तथा जोधपुर के बीच सूमेल नामक स्थान पर राजपूत और अफगान सरदारों के बीच संघर्ष हुआ जिसमें राजपूत सेना पराजित हुई।
- शेरशाह/शेर खां का अंतिम अभियान कालिंजर (बुंदेलखण्ड) के किले के विरुद्ध हुआ।
- शेरशाह का उत्तराधिकारी उसका दूसरा पुत्र इस्लामशाह हुआ।
- शेरशाह सूरी और हुमायूं के बीच युद्ध लेकिन हुमायूं ने 1555 में जबरदस्त लड़ाइयों में अफगानों को पराजित कर दिल्ली और आगरा पुनः जीत लिया।
- शेरशाह के शासनकाल में आय का सबसे बड़ा स्रोत भू-राजस्व था।
- रोहतासगढ़ दुर्ग का निर्माण शेरशाह ने करवाया। सड़क-ए-आजम (ग्रांड ट्रंक रोड़) बंगाल में सोनार गाँव से दिल्ली लाहौर होती हुई पंजाब में अटक तक जाती थी।
- भू-राजस्व का निर्धारण भूमि की पैमाइश पर आधारित था।
- राज्य कर का भुगतान नकदी में चाहता था लेकिन यह काश्तकारों पर निर्भर था कि वे कर नकद में दें या अनाज के रूप में।
- शेरशाह ने भूमि की पैमाइश हेतु 32 अंक वाले सिकंदरी गज तथा सन की डंडी का प्रयोग किया।
- मुद्रा सुधार के क्षेत्र में शेरशाह ने 178 ग्रेन का चांदी का रुपया तथा 380 ग्रेन का ताम्बे का दाम चलाया।
- इस्लामशाह ने इस्लामी कानून को लिखित रूप दिया।
- इस्लामशाह ने सैनिकों को नकद वेतन देने की प्रथा चलाई।
- सहसाराम (बिहार) स्थित शेरशाह का मकबरा, जो उसने अपने जीवनकाल में निर्मित करवाया था, स्थापत्य कला की पराकाष्ठा है।
- शेरशाह ने दिल्ली के निकट यमुना के किनारे एक नया शहर बनाया। जिसमें अब केवल पुराना किला तथा उसके अंदर एक मस्जिद सुरक्षित है।
- मलिक मुहम्मद जायसी की श्रेष्ठ रचना पद्मावत शेरशाह के शासनकाल में ही रची गयी।
- हिन्दुओं से जजिया लिया जाता रहा तथा सभी सरदार लगभग अफगान थे।
- घोड़ों को दागने की प्रथा पुनः चलाई गयी।
- मारवाड़ के बारे में शेरशाह का कथन-मैंने मुट्ठीभर बाजरे के लिए दिल्ली के साम्राज्य को लगभग खो दिया था।
- मच्छीवाड़ा (मई 1555) तथा सरहिन्द युद्ध (जून 1555) के बाद हुमायूं ने अपने प्रदेशों को पुनः प्राप्त किया।
अकबर (1556-1605)
- akbar in hindi – हुमायूं जब बीकानेर से लौट रहा था तो अमरकोट के राणा ने उसे सहारा दिया।
- अमरकोट में ही 1542 में अकबर का जन्म हुआ।
- 1556 में कलानौर में अकबर की ताजपोशी 13 वर्ष 4 महीने की अवस्था में हुई।
- बैरम खां को खान-ए-खाना की उपाधि प्रदान की गयी तथा राज्य का वकील बनाया गया।
- 5 नवम्बर, 1556 में हेमू के नेतृत्व में अफगान फौज तथा मुगलों के बीच पानीपत की दूसरी लड़ाई हुई जिसमें अफगान सेना पराजित हुई।
- बैरम खां लगभग 4 वर्ष तक (1556-1560) साम्राज्य का सरगना रहा।
- अकबर की धाय माय माहम अनगा थी।
- बैरम खां की मृत्यु के बाद अकबर को पहली विजय मालवा (1561) थी।
- मालवा का शासक बाज बहादुर संगीत प्रेमी था।
- 1564 ई. में अकबर ने गढकटंगा (गोंडवाना) को विजित किया।
- गढ कटगा की स्थापना अमन दास ने की थी।
- यहाँ का राजा वीर नारायण अल्पायु था, अतः उसकी मां रानी दुर्गावती जो महोबा की चंदेल राजकुमारी थी, गढ़कटंगा की वास्तविक शासिका थी।
- आमेर के राजपूत शासक भारमल अकबर की अधीनता स्वीकार करने वाले प्रथम राजपूत शासक थे।
- अकबर द्वारा 1567-1568 में मेवाड़ अभियान किया गया।
- मेवाड़ का तत्कालीन शासक राणा उदयसिंह ने मालवा के शासक बाज बहादुर को अपने यहाँ शरण देकर अकबर को क्रोधित कर दिया। साथ ही मेवाड़ काफी शक्तिशाली राजपूत राज्य भी था।
- राणा उदयसिंह के छिपने के बाद राजपूत सेना का नेतृत्व जयमल तथा फतेह सिंह (फत्ता) ने संभाला।
- इन दोनों वीरों के मरने के बाद स्त्रियों ने जौहर कर लिया।
- अकबर ने आगरा के मुख्य द्वार पर जयमल तथा फत्ता की प्रतिमाएं लगाने का आदेश दिया।
- आसफ खां को मेवाड़ का सूबेदार नियुक्त किया गया।
- 1569 में अकबर ने रणथम्भौर के राय सुरजन हाड़ा को अधीनता स्वीकार करने के लिए विवश किया।
- 1570 में बीकानेर के शासक राय कल्याण मल, जैसलमेर के शासक रावल हरराय ने अकबर की अधीनता स्वीकार की।
- अकबर द्वारा 1572-73 में गुजरात अभियान किया गया।
- गुजरात का तत्कालीन शासक मुजफरशाह III था।
- गुजरात में ही अकबर सर्वप्रथम पुर्तगालियों से मिला और यही पर उसने पहली बार समुद्र को देखा। अकबर ने लड़के व लड़कियों की विवाह की आयु 16 व 14 वर्ष तय की।
- 1574-76 में अकबर ने बिहार तथा बंगाल को मुगल साम्राज्य में शामिल किया।
- उदयसिंह की मृत्यु के बाद राणा प्रताप मेवाड़ का शासक बना।
- राणा प्रताप का राज्याभिषेक गोगुन्दा में हुआ।
- 18 जून, 1576 को मुगल सेना तथा राणा प्रताप की सेना के बीच हल्दीघाटी का युद्ध हुआ जिसमें राणा पराजित हुआ।
- बीदा झाला ने राणा प्रताप को बचा लिया।
- राणा प्रताप की मृत्यु के बाद अमर सिंह मेवाड़ का शासक बना।
- 1575 में अकबर ने अपनी नयी राजधानी फतेहपुर सीकरी (आगरा) में इबादतखाना यानी प्रार्थना भवन बनाया।
- इबादतखाना में धार्मिक विषयों पर वाद – विवाद होता था।
- 1578 में इबादतखाना को सभी धर्मों के लिए खोल दिया गया।
- 1579 में अकबर ने मुल्लाओं से निपटने के लिए और अपनी स्थिति को और मजबूत बनाने के लिए महजर की घोषणा की।
- महजर की घोषणा के बाद अकबर ने सुल्तान-ए-आदिल की उपाधि धारण की।
- 1582 में इबादतखाना को बंद कर दिया गया।
- बदायूंनी अकबर का घोर आलोचक था।
- 1582 में अकबर ने विभिन्न धर्मों के सार संग्रह के रूप में दीन-ए-इलाही की घोषणा की जो एकेश्वरवाद पर आधारित था।
- 1599 में मानसिंह के नेतृत्व में मुगल सेना ने अमर सिंह को पराजित कर दिया। लेकिन मेवाड़ को पूर्ण रूपेण जीता नहीं जा सका।
- 1585-86 में अकबर द्वारा कश्मीर को जीतने तथा काबुल को मुगल साम्राज्य का अंग बनाने के लिए अभियान किया। युसूफजाई कबीले के विद्रोह को दबाने के क्रम में राजा बीरबल मारे गये। बाद में टोडरमल ने इस विद्रोह को दबाया।
- कश्मीर के तत्कालीन शासक युसूफ खां पराजित हुए।
- 1590 में अकबर ने सिंध विजय किया। इस अभियान का नेतृत्व अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना द्वारा किया गया।
- अकबर प्रथम मुगल शासक था जिसने दक्षिणी राज्यों को अधीन करने के लिए अभियान किया।
- खानदेश अकबर की अधीनता स्वीकार करने वाला प्रथम दक्कनी राज्य था। यहाँ का शासक अली खां था।
- 1601 में असीरगढ़ के किले को विजित किया गया जो कि अकबर का अंतिम सैनिक अभियान था।
- 1602 में सलीम (जहाँगीर) के निर्देश पर ओरछा के बुंदेला सरदार वीरसिंह ने अबुल फजल की हत्या कर दी।
- 1605 में अतिसार रोग से अकबर की मृत्यु हो गयी।
- अकबर का मकबरा आगरा के समीप सिकन्दरा में है।
- अबुल फजल तथा बदायूंनी के तथाकथित नये धर्म के लिए ‘तौहीद-ए-इलाही’ शब्द का प्रयोग किया है।
- दीन-ए-इलाही की स्थापना के पीछे अकबर का उद्देश्य ‘सुलह-ए-कुल’ अथवा सार्वभौमिक सहिष्णुता की भावना का प्रसार करना था।
- बीरबल ने तौहीद-ए-इलाही की दीक्षा ली थी।
- 1562 में अकबर ने युद्ध बंदियों को बलात दास बनाने की प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया।
- 1563 में अकबर ने हिन्दू तीर्थयात्रियों पर से तीर्थयात्रा कर को समाप्त कर दिया।
- अबुल फजल के अनुसार 1564 में गैर-मुसलमानों से वसूल किये जाने वाले जजिया कर को अकबर ने समाप्त कर दिया।
- जबकि बदायूंनी के अनुसार 1599 में जजिया कर समाप्त किया गया।
- 1571 में फतेहपुर सीकरी नगर का निर्माण करवाकर राजधानी आगरा से फतेहपुर स्थानान्तरित की गयी।
- प्रसिद्ध सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के साथ अकबर के घनिष्ठ संबंध थे।
- 1580 में अकबर ने सम्पूर्ण साम्राज्य को 12 प्रान्तों में विभाजित कर दिया।
- टोडरमल राजस्व मामलों का विशेषज्ञ था। उसने जब्ती प्रथा को जन्म दिया।
- अकबर के नवरत्न में बीरबल, अबुल फजल, फैजी, टोडरमल, भगवानदास, तानसेन, मानसिंह, अब्दुर्रहीम खान-ए-खाना आदि शामिल थे।
- महेशदास नामक ब्राह्मण को अकबर ने बीरबल की पदवी दी थी।
- अबुल फजल का भाई फैजी अकबर का राजकवि था।
- अकबर के समय में सिंहासन बतीसी, अथर्ववेद, बाइबल, महाभारत, गीता, रामायण, पंचतंत्र, कुरान आदि का अनुवाद किया गया।
जहांगीर (1605-1627)
- jahangir in hindi – जहांगीर का जन्म फतेहपुर सीकरी में हुआ था।
- अकबर जहांगीर (सलीम) को शेखोबाबा कहकर पुकारता था।
- जहांगीर का राज्याभिषेक आगरा के किले में 1605 में हुआ।
- देश के सामान्य कल्याण तथा उत्तम प्रशासन के लिए बारह आदेशों के प्रवर्तन के साथ उसके शासन का शुभारम्भ हुआ।
- सिखों के पांचवें गुरु अर्जुनदेव के साथ बागी शहजादा खुसरो तनतास में ठहरा था और उनका आशीर्वाद प्राप्त किया था। अतः जहांगीर ने पहले जुर्माना किया लेकिन जुर्माना अदा करने से इनकार करने पर गुरु अर्जुनदेव को फांसी दे दी गयी।
- 1613-1614 में शहजादा खुर्रम के नेतृत्व में किया गया मेवाड़ अभियान सफल रहा तथा राणा ने मुगलों से संधि कर ली।
- जहांगीर के शासनकाल की सबसे बड़ी असफलता फारस द्वारा कंधार पर अधिकार कर लेना था।
- उसी के शासनकाल में न्याय की जंजीर नाम से एक सोने की जंजीर आगरा दुर्ग के शाहबुर्ज तथा यमुना के तट पर एक पत्थर के खम्भे के बीच लगवायी गयी।
- 1611 में मिर्जा गयास बेग की पुत्री मेहरूनिसा के साथ जहांगीर का विवाह हुआ।
- मेहरूनिसा के पति शेर अफगान की हत्या के बाद जहांगीर ने उससे विवाह किया।
- सम्राट ने उसे नूरमहल की उपाधि दी जिसे बाद में बदलकर नूरजहां कर दिया गया। 1613 में बादशाह बेगम की उपाधि भी दी गई।
- नूरजहां के प्रभाव से उसके पिता मिर्जा गयास बेग को एतमाद-उद-दौला की उपाधि मिली।
- नूरजहां गुट में एतमाद-उद-दौला अस्मत बेगम (नूरजहां की मां) आसफ खां तथा शहजादा खुर्रम शामिल था।
- जहांगीर के शासनकाल के प्रथम काल में खुर्रम की अप्रत्याशित उन्नति तथा परवेज का पतन हुआ।
- जबकि दूसरे शासनकाल में नूरजहां का संबंध खुर्रम से अच्छा नहीं रहा क्योंकि नूरजहां खुर्रम (शाहजहां) के बादशाह बनने पर अपनी मर्जी अनुसार शासन नहीं चला पाती।
- 1623 में खुर्रम ने जहांगीर के कंधार जीतने के आदेश को मानने से इंकार कर दिया।
- 1626 में महावत खां ने विद्रोह कर दिया।
- 1617 में दक्कन अभियान की सफलता के बाद खुश होकर जहांगीर ने खुर्रम को शाहजहां की उपाधि प्रदान की।
- जहांगीर का मकबरा रावी नदी के किनारे शाहदरा (लाहौर) में है।
- जहांगीर के शासनकाल में विलियम हॉकिन्स, विलियम फिंच, सर टॉमस रो, एडवर्ड टैरी आदि यूरोपीय यात्री आये।
- नूरजहां की मां अस्मत बेगम को इत्र के आविष्कार की जननी कहा जाता था।
शाहजहां (1628-1658)
- 1627 में जहांगीर की मृत्यु के समय शाहजहां दक्कन में था।
- धरमत (उज्जैन) के मैदान में 25 अप्रैल, 1658 को मुराद और औरंगजेब की संयुक्त सेना का मुकाबला दारा शिकोह की सेना, जिसका नेतृत्व जसवंत सिंह तथा कासिम खां कर रहे थे, इन के मध्य युद्ध हुआ।
- युद्ध का परिणाम औरंगजेब के पक्ष में रहा।
- उत्तराधिकार का एक अन्य युद्ध सामूगढ़ के मैदान में 29 मई, 1658 को हुआ जिसमें दारा एक बार पुनः पराजित हुआ।
- औरंगजेब ने शाहजहां को 1658 में आगरा के किले में कैद रखा।
- शाहजहां के शासनकाल में यूरोपीय यात्री फ्रांसीस बर्नियर ने भारत की यात्रा की।
- शाहजहां के सिंहासन ‘तख्ते ताऊस’ में विश्व का सर्वाधिक महंगा हीरा कोहिनूर लगा था।
- शाहजहां ने तीर्थयात्रा कर पुनः लगाया गया।
- इसी समय इलाही संवत के स्थान पर हिजरी संवत प्रारम्भ हुआ।
- दारा शिकोह कादिरी सम्प्रदाय से सम्बद्ध था।
- दारा ने सफीनत औलिया, सकीनत औलिया, मजम-उल-बहरीन आदि पुस्तकें लिखीं।
- दारा ने अथर्ववेद एवं उपनिषदों का फारसी में अनुवाद कराया।
- सिर्र-ए-अकबर उपनिषदों का फारसी अनुवाद है।
औरंगजेब (1658-1707)
- aurangzeb history in hindi –औरंगजेब का राज्याभिषेक 1658 तथा 1659 में दो बार हुआ था।
- आगरा पर अधिकार के पश्चात् 1658 में उसने आलमगीर की उपाधि धारण की।
- उसने सिक्कों पर कलमा अभिलिखित कराने की प्रथा समाप्त कर दी तथा पारसी नववर्ष नौरोज का आयोजन भी बंद कर दिया गया।
- तुलादान उत्सव तथा झरोखा दर्शन भी बंद हो गया।
- 1668 में हिन्दू त्योहारों के मनाने पर रोक लगा दी।
- 1679 में हिन्दुओं पर जजिया लगाया गया।
- 1669-70 में गोकुल के नेतृत्व में मथुरा क्षेत्र में जाट किसानों, 1672 में पंजाब के सतनामी किसानों तथा बुंदेलखंड में चम्पतराय और छत्रसाल बुंदेला के नेतृत्व में विद्रोह हुआ।
- औरंगजेब मारवाड़ के राजा जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद उसके पुत्र अजीतसिंह की वैद्यता को अस्वीकार कर दिया।
- दुर्गादास के नेतृत्व में मारवाड़ ने औरंगजेब के खिलाफ संघर्ष किया।
- 1686 में बीजापुर को मुगल साम्राज्य में शामिल किया गया। तत्कालीन शासक सिकन्दर आदिलशाह था।
- 1687 में गोलकुंडा का पतन हुआ, यहाँ का शासक अबुल हसन कुतुबशाह था।
- मदना तथा अकन्ना नामक ब्राह्मणों के हाथों में गोलकुंडा के शासन की बागडोर थी।
- 1686 में जाटों ने पुनः राजाराम तथा उसके भतीजे चूड़ामन के नेतृत्व में विद्रोह किया। उन्होंने 1688 में सिकन्दरा स्थित अकबर के कब्र की लूटपाट की।
- 1675 में औरंगजेब ने गुरुतेगबहादुर को प्राणदंड दे दिया।
- तेगबहादुर बाकसाद-ए-बाबा के नाम से भी जाने जाते थे।
- 1681 में शहजादा अकबर ने विद्रोह कर नाड़ौल में अपने को भारत का सम्राट घोषित कर दिया।
- राठौड़ दुर्गादास तथा मराठा शासक शम्भाजी ने शाहजादा अकबर को शरण दिया था। अंततः शहजादा अकबर फारस चला गया।
- औरंगजेब ‘जिन्दापीर’ के नाम से जाना जाता था।
- उसने सती प्रथा को प्रतिबंधित किया तथा मनूची के अनुसार उसने वेश्याओं को शादी कर घर बसाने का आदेश दिया।
- 1669 में बनारस स्थित विश्वनाथ मंदिर तथा मथुरा का केशवराय मंदिर तोड़ा गया।
- औरंगजेब का मकबरा दौलताबाद में स्थित है।