महाजनपद काल

mygkbook की पिछली पोस्ट में हम आप को भारत के इतिहास में वैदिक सभ्यता के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की थी। भारत में महाजनपद काल ( mahajanpad kal ) के बारे जानकारी प्रदान करगे।

महाजनपद काल के जनपदीय राज्य

महाजनपद काल ( mahajanpad kal ) के जनपदीय राज्य में ई.पू. छठी शताब्दी में भारत में अनेक शक्तिशाली राज्यों का विकास हुआ। बौद्ध ग्रंथअंगुत्तरनिकाय‘ तथा जैन गंथभगवतीसूत्र‘ में इस समय के 16 महाजनपद की सूची मिलती है। 16 महाजनपद में वज्जि और मल्ल गणतंत्र थे शेष सभी राजतंत्रात्मक राज्य थे।

मगध महाजनपद काल

क्या आप जानते है क्या मगध साम्राज्य ( magadh samrajya ) की मगध साम्राज्य की स्थापना, मगध साम्राज्य का संस्थापक कौन था, मगध साम्राज्य का अंतिम शासक कौन था? मगध साम्राज्य का प्रथम शासक कौन था? इस सभी प्रश्नों के उतर आप को इस पोस्ट में दिए जायगे।

हर्यंक वंश (545-412 ई.पू.)

बिम्बिसार (543-492 ई.पू.)

क्या आप जानते है बिम्बिसार मगध का शासक कब बना? बिम्बिसार के पिता कौन थे? बिंबिसार का जन्म कब हुआ था? हर्यक वंश की स्थापना कब हुई? बिम्बिसार की रानी कौन थी। इन सभी प्रश्नो के उतर आप के इस पोस्ट में मिलगे। 

हर्यंक वंश (545-412 ई.पू.) की स्थापना बिम्बिसार ने की थी। बिम्बिसार के पिता का नाम भाटी था। बिम्बिसार का दूसरा नाम खादिरसार भील और श्रेणिक था , वे पहले बौद्घ धर्म के अनुयाई थे , बिम्बिसार की रानी चेलमा के उपदेशों से प्रभावित होकर उन्होंने जैन धर्म अपना लिया था , उन्होंने अपने राजधानी उज्जैन में स्थापित की थी । उन्होंने अंग राज्य को जीतकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया था।

  • इस वंश का सबसे प्रतापी राजा बिम्बिसार था जो बुद्ध का समकालीन था।
  • इसका उपनाम श्रेणिक था।
  • इसने गिरिव्रज को अपनी राजधानी बनाया।
  • बिम्बिसार ने वैवाहिक संबंधों के द्वारा अपने राज्य का विस्तार किया तथा इसे सुदृढ़ता प्रदान की थी
  • अवंति के राजा प्रद्योत की चिकित्सा के लिए अपने चिकित्सक जीवक को उज्जैन भेजा था।
अजातशत्रु (493-460 ई.पू.)
  • अपने पिता की हत्या कर मगध के सिंहासन पर बैठा।
  • अजातशत्रु का नाम कुणिक भी था।
  • अजातशत्रु ने वज्जिसंघ को पराजित करने के दौरान प्रथम बार रथमूसलशिलाकण्टक जैसे अस्त्रों का प्रयोग किया।
  • साम्राज्यवादी नीति के तहत अजातशत्रु ने काशी तथा वज्जिसंघ को मगध में मिलाया।
उदायिन (460-444 ई.पू.)
  • उदायिन (460-444 ई.पू.) ने गंगा एवं सोन नदी के संगम पर पाटलिपुत्र नामक नगर की स्थापना की थी।

शिशुनाग वंश (412-344 ई.पू.)

  • शिशुनाग (412-344 ई.पू.) ने अवंति तथा वत्स को जीतकर इसे मगध साम्राज्य का अंग बनाया।
  • कालाशोक जिसका अन्य नाम काकवर्ण भी था, कालाशोक ने राजधानी पुनः पाटलिपुत्र स्थानांतरित कर दी।

नन्द वंश (344-322 ई.पू.)

  • नन्द वंश का संस्थापक महापद्मनंद था। पुराण में इसे सर्वक्षत्रांतक कहा गया है।
  • महाबोधिवंश इसे उग्रसेन कहता है।
  • इसने एकराट की उपाधि धारण की थी।
  • घनानंद, नन्द वंश का अंतिम राजा था।
  • यह सिकन्दर का समकालीन था तथा इसके शासनकाल में 326 ई.पू. में सिकन्दर ने पश्चिमोत्तर भारत पर आक्रमण किया था।
  • चन्द्रगुप्त मौर्य ने घनानंद की हत्या कर मौर्य वंश की स्थापना की थी।
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