भारत में प्रशासनिक सुधार की जांच कर अपेक्षित सुधार के लिए रिपोर्ट देने के लिए 1919 के एक्ट के अनुसार 1927 ई. में सर जॉन साइमन की अध्यक्षता में 7 सदस्य (अध्यक्ष सहित) आयोग गठित किया गया, जिसमें कोई सदस्य भारतीय नहीं था।
भारत में आन्दोलन का अंतिम चरण
यह कमीशन 3 फरवरी, 1928 को बम्बई में आकर उतरा। जहाँ-जहाँ यह कमीशन गया, उसे काले झण्डे दिखाए गए।
साइमन कमीशन (1927 ई.)
1928 ई. में लाहौर में साइमन कमीशन के विरोध प्रदर्शन में पुलिस की लाठी की चोट से घायल होने से ’शेरे पंजाब‘ (लाला लाजपतराय) की मृत्यु हो गई। वर्ष 1930 में कमीशन की रिपोर्ट प्रकाशित हुई।
कमीशन की सिफारिशें
प्रान्तों की स्वायतत्ता, साम्प्रदायिक निर्वाचन की व्यवस्था जारी, भारत के लिए संघीय संविधान आदि।
नेहरू रिपोर्ट (1928 ई.)
साइमन कमीशन का बहिष्कार करने पर लार्ड बर्कन हेड ने भारतीयों को संविधान बनाने की चुनौती दी।
इस पर विचार हेतु 19 मई, 1928 को बम्बई में सर्वदलीय सम्मेलन हुआ। यहाँ पर मोतीलाल नेहरू की अध्यक्षता में भारतीय संविधान के मसौदे तैयार करने के लिए एक आठ सदस्य समिति की नियुक्ति हुई।
इस समिति की रिपोर्ट को ’नेहरू रिपोर्ट‘ के नाम से जाना जाता है। रिपोर्ट में ’डोमिनियन स्टेट्स‘ को पहला लक्ष्य तथा ’पूर्ण स्वराज‘ को दूसरा लक्ष्य घोषित किया गया।
जिन्ना फार्मूला (1929 ई.)
नेहरू रिपोर्ट को मुहम्मद अली जिन्ना ने मुस्लिम विरोधी बताया और सितम्बर, 1929 में अपनी रिपोर्ट दी, जिसमें 14 शर्त़ें थी। इसे ही जिन्ना के 14 सूत्र कहा जाता है।
सविनय अवज्ञा आन्दोलन (1930-34 ई.)
सविनय अवज्ञा आन्दोलन का आरम्भ 12 मार्च, 1930 को प्रसिद्ध ’दांडी मार्च‘ के साथ आरम्भ हुआ।
14 फरवरी, 1930 को साबरमती में कांग्रेस की एक बैठक में गाँधी जी के नेतृत्व में सविनय अवज्ञा आन्दोलन चलाने का निश्चय किया।
दांडी मार्च (1930 ई.)
12 मार्च, 1930 को गाँधी जी अपने 78 सहयोगियों के साथ साबरमती आश्रम से 200 मील दूर समुद्र तट पर बसे दांडी गाँव में 6 अप्रेल को पहुँचकर नमक बनाया और नमक कानून का उल्लंघन किया।
उत्तर पश्चिमी सीमा प्रान्त में खान अब्दुल गफ्फार खान के नेतृत्व में खुदई खिदमतगार आन्दोलन (लाल कुर्ती आन्दोलन) चला।
सपू एवं जयकर के प्रयासों से गाँधी जी एवं इरबिन के मध्य 5 मार्च, 1931 को एक समझौता हुआ, जिसे गाँधी जी को यरवदा जेल से रिहा कर दिया गया।
कांग्रेस द्वारा सरकार को आश्वासनः सविनय अवज्ञा आन्दोलन वापस, कांग्रेस द्वितीय गोलमेज में भाग लेगी।
आन्दोलन वापस ले लिया गया परन्तु समझौते की असफलता के बाद आन्दोलन पुनः शुरू हो गया और वर्ष 1934 में अंतिम रूप से इसे समाप्त कर दिया गया।
प्रथम गोलमेज सम्मेलन
12 सितम्बर, 1930 को लंदन में सम्राट जार्ज पंचम द्वारा इस सम्मेलन का उद्घाटन, अध्यक्षता प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने की। कांग्रेस ने इसमें भाग नहीं लिया।
द्वितीय गोलमेज सम्मेलन
7 सितम्बर, 1931 को प्रारम्भ, कांग्रेस की ओर से गाँधी जी ने भाग लिया। एनी बेसेंट और मदन मोहन मालवीय ने व्यक्तिगत रूप से इस सम्मेलन में भाग लिया।
अल्पसंख्यकों के प्रश्न पर तथा साम्प्रदायिक निर्वाचन पद्धति पर सहमति के अभाव में यह सम्मेलन असफल रहा।
फ्रांक मोरीस ने गाँधी जी के बारे में कहा, ’अर्द्धनंगे फकीर के ब्रिटिश प्रधानमंत्री से वार्ता हेतु सेण्ट जेम्स पैलेस की सीढ़ियां चढ़ने का दृश्य अपने आप में अनोखा एवं दिव्य प्रभाव उत्पन्न करने वाला था।‘
तृतीय गोलमेज सम्मेलन
17 नवम्बर, 1932 से प्रारम्भ। कांग्रेस के किसी प्रतिनिधि ने भाग नहीं लिया।
श्रम संघ आन्दोलन
मजदूरों के हित एवं सुविधाओं के लिए प्रयास 1881 ई. (रिपन) में ही प्रारम्भ हो गए थे, जब प्रथम कारखाना कानून बनाया गया तथा दूसरा कारखाना कानून 1891 ई. में पारित हुआ।
प्रथम नियमित टेड यूनियन 1918 ई. में मद्रास में टेक्सटाइल लेबर यूनियन के नाम से वी. पी. वाडिया द्वारा शुरू किया गया।
1920 ई. में अखिल भारतीय टेड यूनियन कांग्रेस की स्थापना की गई। इसका पहला सम्मेलन 31 अक्टूबर, 1920 को बम्बई में हुआ, जिसकी अध्यक्षता लाला लाजपतराय ने की।
एन. एम. जोशी ने एक नए संगठन ऑल इंडिया टेड यूनियन फेडरेशन का गठन किया।
पूना समझौता
वर्ष 1932 में ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैम्जे मैक्डोनाल्ड ने साम्प्रदायिक पुरस्कार की घोषणा की। इस घोषणा के तहत प्रत्येक अल्पसंख्यक समुदाय के लिए विधान मण्डल में कुछ सीटे आरक्षित की गई थी।
इसमें सबसे महत्वपूर्ण बात थी, कि दलित वर्गां को अल्पसंख्यक करार देकर उन्हें पृथक् निर्वाचन द्वारा प्रतिनिधि चुनने एवं साधारण निर्वाचन में मत देने का अधिकार मिला।
इस निर्णय द्वारा अंग्रेजी सरकार भारतीय समाज में फूट डालना चाहती थी, इस कारण 20 सितम्बर, 1932 में गाँधी जी ने यरवदा जेल में आमरण अनशन किया।
अंततोगत्वा मदनमोहन मालवीय तथा राजेन्द्र प्रसाद के प्रयासों से गाँधी जी एवं भीमराव अम्बेडकर के बीच समझौता हो गया। इसे ’पूना समझौता‘ के नाम से जाना जाता है।
कांग्रेस समाजवादी पार्टी
1933 ई. में नासिक जेल में कांग्रेस के अन्दर एक समाजवादी दबाव समूह बनाने का विचार आया। विचारकों में जय प्रकाश नारायण, अशोक मेहता, मीनू मसानी तथा अच्युत पटवर्द्धन आदि शामिल थे।
मई, 1934 में ’कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी‘ की स्थापना हुई। आचार्य नरेन्द्र देव इसके प्रथम अध्यक्ष थे तथा पहला सम्मेलन पटना में हुआ।
1937 के चुनाव
1937 ई. के असेम्बली चुनाव में कांग्रेस ने बहुमत प्राप्त कर कई प्रान्तों में सरकार बनाई। भारत को द्वितीय विश्व युद्ध में बिना उद्देश्य बताए शामिल करने के विरोध में 1939 में कांग्रेसी मंत्रिमण्डल ने सामूहिक त्याग पत्र दे दिया।
इससे मुस्लिम लीग को बहुत प्रसन्नता हुई और उसने 22 दिसम्बर को मुक्ति दिवस मनाया तथा 1940 के लाहौर अधिवेशन में मुसलमानों के लिए पृथक् राष्ट्र पाकिस्तान की मांग की।
वर्ष 1930 में सर मुहम्मद इकबाल ने सर्वप्रथम द्वि-राष्ट्र सिद्धान्त की बात कही थी। परन्तु पाकिस्तान शब्द का सृजन कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के चौधरी रहमत अली ने किया था।
’सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तां हमारा‘ नामक गीत की रचना मोहम्मद इकबाल ने की थी।
अगस्त प्रस्ताव (1940 ई.)
संवैधानिक गतिरोध को दूर करने के लिए औपनिवेशक स्वराज्य संदर्भ में 8 अगस्त, 1940 को एक प्रस्ताव की घोषणा लार्ड लिनलिथगो ने भारतीयों के लिए की। जिसे अगस्त प्रस्ताव कहते हैं।
व्यक्तिगत सत्याग्रह
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान राष्ट्रीय आन्दोलन की स्थिरता को तोड़ने के लिए गाँधी जी ने 1940 में व्यक्तिगत सत्याग्रह आरम्भ किया।
17 अक्टूबर, 1940 को पवनार में बिनोवा भावे ने सत्याग्रह आरम्भ किया। यह प्रथम सत्याग्रही थे, तथा दूसरे सत्याग्राही जवाहरलाल नेहरू थे।
क्रिप्स मिशन (1942 ई.)
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीयों का सक्रिय सहयोग पाने के उद्देश्य से ब्रिटेन के प्रधानमंत्री चर्चिल ने ब्रिटिश संसद के सदस्य स्टेफोर्ड क्रिप्स की अध्यक्षता में एक मिशन बनाया।
23 मार्च, 1942 को क्रिप्स मिशन दिल्ली पहुँचा और 30 मार्च को अपनी योजना प्रस्तुत की।
एम. एन. राय एवं ए. घोष ने इस योजना पर सकारात्मक प्रतिक्रियाएं व्यक्त की। गाँधी जी ने इसे ’पोस्ट डेटेड चेक’ की संज्ञा दी।
भारत छोड़ो आन्दोलन
कांग्रेस ने 8 अगस्त, 1942 को ’भारत छोड़ो‘ प्रस्ताव पास किया। इससे पहले गाँधी जी के इस अहिंसक प्रस्ताव को जुलाई, 1942 में वर्धा में कांग्रेस कार्यकारिणी ने स्वीकृति प्रदान कर दी थी।
गाँधी जी ने बम्बई के ग्वालिया टैंक मैदान में लोगों को ‘करो या मरो’ का नारा दिया। 9 अगस्त को सरकार ने कांग्रेस के सभी प्रमुख नेताओं को गिरफ्तार कर लिया। अंग्रेजों ने इस कार्य को ’ऑपरेशन जीरो आवर‘ की संज्ञा दी।
मुस्लिम लीग इस आन्दोलन से अलग रही। जिन्ना ने 23 मार्च, 1943 को ’पाकिस्तान दिवस‘ मानने का आह्वान किया।
पूर्ण समर्थन के अभाव में तथा सरकारी दमन के कारण यह आन्दोलन असफल हो गया।
राजगोपालाचारी फार्मूला (1944 ई.)
सी. राजगोपालाचारी ने 1944 में एक प्रस्ताव तैयार किया। यह प्रस्ताव सी. आर. फार्मूला के नाम से विख्यात है।
सी. आर. फार्मूला की मुख्य बातें :- मुस्लिम लीग भारत की स्वतंत्रता की मांग का समर्थन करेगी तथा अस्थायी सरकार के गठन में कांग्रेस को सहयोग देगी।
देश के बंटवारे की स्थिति में आवश्यक विषयों पर आपसी समझौता। जिन्ना ने इस प्रस्ताव को अमान्य कर दिया और कहा कि इसमें गाड़ी को घोड़े के आगे लगाया गया है।
वेवेल योजना (1945 ई.)
गवर्नर जनरल लार्ड वेवेल ने ब्रिटिश सरकार से परामर्श के पश्चात्, भारतीय नेताओं के सामने भारतीय समस्या का नवीन हल प्रस्तुत किया। इसे ’वेवल योजना‘ के नाम से जाना जाता है। वर्ष 1945 में उन्होंने अपनी योजना प्रस्तुत की।
मुख्य प्रावधानः गवर्नर जनरल की कार्यकारिणी में भारतीय सदस्यों की नियुक्ति, विदेशी विभाग भारतीयों के हाथों में, ब्रिटिश हाई कमिश्नर की नियुक्ति, युद्धोपरान्त भारतीयों द्वारा संविधान का निर्माण, गवर्नर जनरल के निषेधाधिकार पर नियंत्रण आदि।
शिमला समझौता (1945 ई.)
वेवेल योजना पर विचार करने के लिए जून, 1945 में शिमला में एक सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें कांग्रेस, मुस्लिम लीग, केन्द्रीय विधानसभा यूरोपीयन दल आदि ने भाग लिया। परन्तु जिन्ना ने मुस्लिम लोगों को ही मुसलमानों की एक मात्र संस्था मानते हुए कोई भी समझौता करने से इंकार कर दिया। यह सम्मेलन असफल हो गया।
आजाद हिन्द फौज
जनवरी, 1941 को सुभाषचन्द्र बोस भारत से निकलकर अफगानिस्तान और इटली होते हुए जर्मनी पहुँचे। इसके बाद जापान गए।
मार्च, 1942 में टोकियों में रह रहे रास बिहारी बोस ने ’इंडियन नेशनल आर्मी’ के गठन पर विचार के लिए सम्मेलन बुलाया। कैप्टन मोहन सिंह, रास बिहारी बोस एवं निरंजन मिल के सहयोग से ’इंडियन नेशनल आर्मी‘ का गठन किया गया।
4 जुलाई, 1943 को सुभाष चन्द्र बोस ने इंडियन लीग की कमान संभाली। सिंगापुर में उन्होंने ‘दिल्ली चलो’ का नारा दिया।
21 अक्टूबर को सुभाष चन्द्र बोस ने आजाद हिन्द फौज और आजाद हिंद सरकार की स्थापना की।
दूसरे विश्वयुद्ध में जापान की पराजय से आजाद हिन्द फौज को भी पराजित होना पड़ा और 1945 में अंग्रेजों ने इसके अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया।
कर्नल सहगल, कर्नल ढिल्लो एवं मेजर शाहनवाज खाँ पर राजद्रोह का मुकदमा चला परन्तु लार्ड वेवेल ने अपने विशेषाधिकारों का प्रयोग करके इन्हें मृत्यु दंड से मुक्त कर दिया।
इस मुकदमें के पक्ष में तेज बहादुर, जवाहर लाल नेहरू, भुलाभाई देसाई तथा के. एन. काटजू ने दलीलें दी।
नौसेना विद्रोह (1946 ई.)
18 फरवरी, 1946 ई. को बम्बई में नौसेना ने खुला विद्रोह कर ब्रिटिश सम्मान को गहरी चोट पहुंचाई। यह विद्रोह तलवार नामक जहाज से आरम्भ हुआ था। विद्रोह के प्रमुख नेता एम. एस. खान थे।
23 फरवरी, 1946 को पटेल ने जिन्ना की सहायता से नौ सैनिकों को समर्पण के लिए तैयार कर लिया।
प्रमुख मांगे :- बेहतर भोजन, बेहतर जीवन, भेदभाव का अंत, आजाद हिन्द फौज के कैदियों की रिहाई आदि।
कैबिनेट मिशन (1946 ई.)
ब्रिटेन की एटली सरकार ने भारत को औपनिवेशिक स्वराज प्रदान करने के उद्देश्य से 19 फरवरी, 1946 को कैबिनेट मिशन भारत भेजने की घोषणा की।
इस मिशन में भारत मंत्री लार्ड पैथिक लॉरेंस, सर स्टैफोर्ड क्रिप्स और ए. बी. अलेक्जेंडर शामिल थे।
कैबिनेट मिशन योजना के मुख्य तथ्य
भारत एक संघ होगा, ब्रिटिश भारत और देशी रियासतों का एक संघ बने, जिसके हाथों में विदेश विभाग, रक्षा तथा यातायात संबंधी रखे अथवा प्रान्तों से।
मिशन ने पाकिस्तान की मांग को स्वीकार नहीं किया। संविधान निर्माण से पूर्व एक अंतरिम सरकार का गठन।
माउन्टबेटन योजना (1947 ई.)
माउण्ट बेटन योजना को ’बाल्कन योजना‘ के नाम से भी जाना जाता है। भारत की तत्कालीन स्थिति से चिंतित होकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने 20 फरवरी, 1947 को यह घोषणा की कि अंग्रेजी सरकार जून, 1948 ई. के पूर्व सत्ता भारतीयों को सौंप देगी।
इस घोषणा के तहत 24 मार्च, 1947 ई. को लार्ड माउन्टबेटन वायसराय बने। 3 जून, 1947 को उनकी योजना प्रकाशित हुई। इसी के तहत भारत-पाक विभाजन हुआ।
भारतीय स्वतंत्रता अधिनिमय (1947 ई.)
ब्रिटिश पार्लियामेंट ने 4 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम प्रस्तावित किया, जो 18 जुलाई, 1947 को स्वीकृत हो गया।
14 अगस्त को पाकिस्तान का निर्माण हुआ और ठीक 12 बजे रात्रि को 15 अगस्त, 1947 ई. को भारत स्वतंत्र हुआ। जिन्ना पाकिस्तान के गवर्नर जनरल और लियाकत अली प्रधानमंत्री बने। भारत के गवर्नर जनरल लार्ड माउन्टबेटन और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू बने।
देशी रजवाड़ों का विलय
15 अगस्त, 1947 तक कश्मीर, जूनागढ़ और हैदराबाद को छोड़कर सभी देशों रियासतें भारत के साथ (बहावलपुर पाकिस्तान के साथ) विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर के लिए सहमत हो गई थी। इस दस्तावेज में प्रतिरक्षा, विदेशी मामलों तथा संचार के क्षेत्र में केन्द्रीय सत्ता को स्वीकार किया गया था।
सरदार वल्लभ भाई पटेल ने जुलाई, 1947 में राज्यों के विभाग का प्रमुख बनकर सभी रियासतों को विलय के लिए राजी किया। इसलिए उन्हें भारत का ‘बिस्मार्क’ भी कहा जाता है। इस कार्य में उनकी सहायता वी. पी. मेनन ने की।
जनमत संग्रह के पश्चात् 20 फरवरी, 1949 को जूनागढ़ भारत में सम्मिलित हो गया। एक पुलिस कार्रवाई के पश्चात् 1 नवम्बर, 1948 को हैदराबाद शामिल हो गया।
20 मई, 1946 को कश्मीर के हिन्दू शासक महाराजा हरि सिंह के विरुद्ध कश्मीर छोड़ो आन्दोलन के दौरान ’नेशनल कांग्रेस‘ के नेता शेख अब्दुल्ला को गिरफ्तार कर लिया गया।
20 जून, 1946 को थोड़े समय के लिए कश्मीर में प्रवेश निषेध का उल्लंघन करने के आरोप में भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को भी गिरफ्तार कर लिया गया था।
ब्रिटिशकालीन प्रमुख समाचार पत्र
पत्र-पत्रिका | प्रकाशन वर्ष | संस्थापक | संस्थान | भाषा |
बंगाल गजट | 1780 | जे.के. हिक्की | कलकत्ता | अंग्रेजी |
बंगाल गजट | 1816 | गंगाधार भट्टाचार्य | कलकत्ता | अंग्रेजी |
संवाद कौमुदी | 1821 | राजा राममोहनराय | कलकत्ता | बंगाली |
मिरातुल अखबार | 1822 | राजा राममोहनराय | कलकत्ता | फारसी |
हिन्दू पैट्रियाट | 1853 | गिरीश चंद्र घोष, हरिश्चन्द्र मुखर्जी | कलकत्ता | अंग्रेजी |
सोम प्रकाश | 1859 | ईश्वरचंद्र विद्यासागर | कलकत्ता | बंगाली |
इंडियन मिरर | 1861 | देवेन्द्र नाथ टैगोर, मनमोहन घोष | कलकत्ता | अंग्रेजी |
इन्दु प्रकाश | 1862 | रानाडे | मुम्बई | मराठी |
अमृत बाजार पत्रिका | 1868 | मोतीलाल घोष, शिशिर घोष | कलकत्ता | बंगाली |
बंग दर्शन | 1873 | बंकिम चन्द्र चटर्जी | कलकत्ता | बंगाली |
हिन्दी प्रदीप | 1877 | बालकृष्ण भट्ट | वाराणसी | हिन्दी |
मराठा | 1881 | आगरकर | मुम्बई | अंग्रेजी |
केसरी | 1881 | केलकर | मुम्बई | मराठी |
हिन्दुस्तान स्टैंडर्ड | 1899 | सच्चिदानन्द सिन्हा | दिल्ली | अंग्रेजी |
इंडियन रिव्यू | 1900 | जी.ए. नटेशन | मद्रास | अंग्रेजी |
इंडियन ओपिनियन | 1903 | महात्मा गाँधी | द. अफ्रीका | अंग्रेजी |
इंडियन सोशियोलॉजिस्ट | 1905 | श्यामजी कृष्णवर्मा | लन्दन | अंग्रेजी |
युगान्तर | 1906 | भूपेन्द्र दत्त,बारीन्द्र घोष | कलकत्ता | बंगाली |
प्रताप | 1910 | गणेश शंकर विद्यार्थी | कानपुर | हिन्दी |
अल हिलाल | 1912 | अबुल कलाम आजाद | कलकत्ता | उर्दू |
गदर | 1913 | लाला हरदयाल | सैनफ्रांसिस्को | अंग्रेजी |
कॉमन ह्वील | 1914 | एनी बेसेन्ट | मुम्बई | अंग्रेजी |
न्यू इंडिया | 1914 | एनी बेसेन्ट | अंग्रेजी | मुम्बई |
इंडिपेंडेन्ट | 1919 | मोतीलाल नेहरू | इलाहाबाद | अंग्रेजी |
नवजीवन | 1919 | महात्मा गाँधी | अहमदाबाद | गुजराती |
यंग इंडिया | 1922 | महात्मा गाँधी | अहमदाबाद | अंग्रेजी |
हिन्दुस्तान टाइम्स | 1922 | के.एम. पणिक्कर | मुम्बई | अंग्रेजी |
हरिजन | 1923 | महात्मा गाँधी | पूणे | हिन्दी |
अक्टूबर, 1947 में पाक समर्थित सीमावर्ती कबालियों द्वारा कश्मीर पर आक्रमण करने के बाद महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को कश्मीर का भारत में विलय से संबंधित पत्र पर हस्ताक्षर कर दिये।