राज्य विधान मण्डल क्या है? ( State Legislature )
- संविधान के भाग VI में अनुच्छेद 168 से 212 तक राज्य विधान मंडल की संरचना, गठन, कार्यकाल, प्रक्रियाओं, विशेषाधिकार तथा शक्तियों आदि का प्रावधान है।
- अनुच्छेद 168 के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमण्डल होगा जो राज्यपाल और एक या दो सदनों से मिलकर बनेगा।
- विधानमंडल के कितने सदन होते हैं? जहाँ विधानमण्डल के दो सदन है वहाँ एक का नाम विधान परिषद् (उच्च सदन/द्वितीय सदन/वरिष्ठों का सदन) है जबकि दूसरे का नाम विधानसभा (निम्न सदन/पहला सदन/लोकप्रिय सदन) है।
विधान परिषद क्या है
- संविधान के अनुच्छेद 169 के अनुसार संसद विधि द्वारा विधान परिषद् का गठन या उन्मूलन कर सकती है। इसके लिए संबंधित राज्य की विधानसभा ने इस आशय का संकल्प विधानसभा की कुल सदस्य संख्या के बहुमत द्वारा तथा उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों की संख्या के कम से कम 2/3 बहुमत द्वारा पारित कर दिया है।
- संसद के दाेनाें सदनों द्वारा अपने सामान्य बहुमत से स्वीकृति देने पर संबंधित राज्य मे विधान परिषद् का गठन एवं उन्मूलन होता है।
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नोट – विधान परिषद् के गठन व उत्सादन पर अनुच्छेद 368 की प्रक्रिया लागू नहीं होती है।
विधान परिषद् की संरचना (अनुच्छेद 171)
- संख्या :- इसमें अधिकतम संख्या संबंधित राज्य की विधानसभा की एक-तिहाई और न्यूनतम 40 निश्चित है।
- नोट :- इनकी वास्तविक संख्या निर्धारित संसद करती है।
- निर्वाचन पद्धति :- विधान परिषद् के सदस्य का निर्वाचन आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा अप्रत्यक्ष से होता है।
विधान परिषद् के कुल सदस्य
- 1/3 सदस्यों का चुनाव विधानसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है।
- 1/3 सदस्य स्थानीय निकायों जैसे- नगरपालिका, जिला परिषद् आदि के सदस्यों द्वारा चुनाव किया जाता है।
- 1/6 सदस्यों को राज्यपाल द्वारा मनोनीत किये जाते है जिन्हें साहित्य, ज्ञान, कला, सहकारिता, समाज-सेवा का विशेष ज्ञान हो।
- 1/12 सदस्यों का निर्वाचन माध्यमिक स्तर के स्कूल के अध्यापक करते है जो पिछले 3 वर्षों से अध्यापन कर रहे हैं।
- 1/12 सदस्यों को राज्य में रह रहे 3 वर्ष से स्नातकों द्वारा निर्वाचित किये जाते हैं।
विधान परिषद् एवं सदस्यों का कार्यकाल
- राज्य की विधान परिषद् का विघटन नहीं होगा किन्तु इसके एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक दूसरे वर्ष में सेवानिवृत्त होते रहते हैं।
- इस तरह एक सदस्य छह वर्ष के लिए सदस्य बनता है। खाली पदों को नये चुनाव और नामांकन (राज्यपाल द्वारा) हर तीसरे वर्ष के प्रारंभ में भरा जाता है।
- सेवानिवृत्त सदस्य भी पुन: चुनाव और दोबारा नामांकन हेतु योग्य होते हैं।
विधान परिषद् के सदस्यों के लिए अर्हताएं/योग्यताएँ (अनुच्छेद 173)
- भारत का नागरिक हो।
- 30 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो।
- संसद द्वारा निश्चित की गयी योग्यता धारण करता हो।
- लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के अनुसार किसी व्यक्ति को उस राज्य के किसी विधानसभा के निर्वाचन क्षेत्र का मतदाता होना चाहिए।
- राज्यपाल उसी व्यक्ति को मनोनीत करेंगे जो राज्य का मूल निवासी हो।
सदस्यता के लिए निरर्हताएँ
- संविधान के अनुच्छेद 191 के अनुसार निम्नलिखित व्यक्ति अयोग्य होंगे।
- लाभ का पद ग्रहण किया हो।
- वह विकृतचित्त (Undischarged) हो।
- वह संसद के किसी कानून के अधीन अयोग्य घोषित कर दिया गया।
विधान परिषद् की बैठक एवं गणपूर्ति
- विधान परिषद् की वर्ष में दो बार बैठक तथा दो बैठकों के मध्य 6 माह से अधिक का अन्तराल नहीं होना चाहिए।
- गणपूर्ति के लिए कम से कम 10% सदस्य सदन में उपस्थित हो किंतु यह संख्या 10 से कम नहीं होनी चाहिए। (अनुच्छेद 189)
विधान परिषद कितने राज्यों में है
- वर्तमान में छ: राज्यों में विधान परिषद् है
- आंध्रप्रदेश
- तेलंगाना
- उत्तर प्रदेश
- बिहार
- महाराष्ट्र
- कर्नाटक
नोट – अप्रैल 2012 में राजस्थान विधानसभा द्वारा विधान परिषद् के गठन हेतु एक प्रस्ताव पारित किया गया था। जिसमें विधान परिषद् की संख्या 66 निर्धारित की गयी थी। इस पर अगस्त 2013 में राज्यसभा में एक विधेयक लाया गया था जो वर्तमान मे लम्बित् है।