राजस्थान की विधानसभा

  • राजस्थान की राजनीतिक प्रणाली को विभिन्न चरणों में बांटा जा सकता है।
  • प्रथम चरण (1952-1977) कांग्रेस प्रणाली (एक दलीय प्रभुत्व)
  • द्वितीय चरण (1977-1980) कांग्रेस प्रणाली का अंत
  • तृतीय चरण (1980-1990) कांग्रेस की पुन: स्थापना
  • चतुर्थ चरण (1990-1998) संक्रमण काल
  • पंचम चरण (1998-वर्तमान) द्विदलीय राजनीतिक प्रणाली की स्थापना

पहली विधानसभा (1952-1957)

  • मुख्यमंत्री जयनारायण व्यास (मनोनीत) के नेतृत्त्व में जनवरी 1952 में राज्य में पहला विधानसभा चुनाव हुआ।
  • कुल 160 सीटों में से 139 सामान्य, 16 SC एवं 5 ST के लिये आरक्षित सीटें थी।
  • प्रथम आम चुनाव में कांग्रेस के 7 प्रत्याशी विधानसभा हेतु निर्विरोध चुन लिये गये थे।
  • कांग्रेस को 82, राम राज्य परिषद् को 24, भारतीय जनसंघ को 8, कृषिकार लोक पार्टी को 7, हिन्दू महासभा को 2, कृषक मजदूर प्रजा पार्टी को 1 तथा निर्दलीयों को 35 सीटें प्राप्त हुई।
  • 23 फरवरी, 1952 को प्रथम विधानसभा का गठन हुआ।
  • जयनारायण व्यास ने दो स्थानों जोधपुर (B) तथा जालौर (A) से चुनाव लड़ा लेकिन वे दोनों सीटों से पराजित हो गये।
  • प्रथम लोकतांत्रिक सरकार 3 मार्च, 1952 को टीकाराम पालीवाल के नेतृत्व में चुनी गयी।
  • प्रथम बैठक 29 मार्च, 1952 को जयपुर के सवाई मानसिंह टाऊन हॉल में हुई।
  • श्री नरोत्तम लाल जोशी (झुन्झुनूं से निर्वाचित) को प्रथम विधानसभा का अध्यक्ष बनाया गया तथा श्री लाल सिंह शक्तावत को उपाध्यक्ष चुना गया।
  • महारावल संग्रामसिंह राजस्थान के प्रथम प्रोटेम स्पीकर थे।
  • जयनारायण व्यास मुख्यमंत्री बन सके इसलिए किशनगढ़ क्षेत्र के विधायक चांदमल मेहता से सीट खाली करवायी गयी तथा अगस्त 1952 में जयनारायण व्यास विधायक बने।
  • 1 नवम्बर, 1952 को जयनारायण व्यास को मुख्यमंत्री एवं टीकाराम पालीवाल को उपमुख्यमंत्री बनाया गया।
  • राजस्थान विधानसभा की पहली महिला विधायक श्रीमती यशोदा देवी जो 1953 में बांसवाड़ा से उपचुनाव में निर्वाचित हुई थी।
  • प्रथम विधानसभा काल में 17 क्षेत्रों में उपचुनाव हुए जो आज तक सर्वाधिक उपचुनाव होने का रिकॉर्ड है।
  • 13 नवम्बर, 1954 को मोहनलाल सुखाड़िया को मुख्यमंत्री बनाया गया।
  • सुखाड़िया के मंत्रिमण्डल में कमला बेनिवाल को उपमंत्री बनाया गया जो पहली महिला मंत्री बनी। (26 वर्ष की आयु में)
  • 1 नवम्बर, 1956 को केन्द्रशासित प्रदेश अजमेर का भी राजस्थान में विलय कर दिया गया। अजमेर की 30 सदस्यीय विधानसभा राजस्थान की 160 सदस्यीय विधानसभा में विलित कर दी गयी जिससे द्वितीय विधानसभा के चुनाव तक इसकी सदस्या संख्या 190 रही।
  • 1957 में राजस्थान विधानसभा की सीटों का पुन: निर्धारण किया गया तथा कुल 176 विधानसभा क्षेत्र बनाए गए। इसके बाद 1967 में 184 तथा 1977 में 200 विधानसभा क्षेत्र स्थापित किये गये जो वर्तमान तक है।

दुसरी विधानसभा (1957-1962)

  • 176 सदस्यीय द्वितीय विधानसभा का गठन 2 अप्रैल, 1957 को मोहनलाल सुखाड़िया के नेतृत्व में हुआ ।

तीसरी विधानसभा (1962-1967)

  • तीसरी विधानसभा का गठन 3 मार्च, 1962 को सुखाड़िया के नेतृत्व में हुआ।

चौथी विधानसभा (1967-1972)

  • नये पुनर्सीमन के बाद सदस्य संख्या 176 से बढ़ाकर 184 कर दी गयी।
  • किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलने के कारण राज्यपाल संपूर्णानंद सिंह ने 13 मार्च, 1967 को राज्य में पहली बार राष्ट्रपति शासन लागू किया।
  • राष्ट्रपति शासन के दौरान कुछ विधायक कांग्रेस में शामिल हो गये जिससे कांग्रेस विधायकों की सुख्या 103 हो गयी तथा बहुमत सिद्ध होने पर 26 अप्रैल, 1967 को सुखाड़िया को चौथी बार मुख्यमंत्री बनाया गया साथ ही 44 दिनों से चल रहा राष्ट्रपति शासन समाप्त हो गया।
  • 1971 के जुलाई महीने में सुखाड़िया के त्यागपत्र के बाद बरकतुल्ला खां को मुख्यमंत्री बनाया गया जो राज्य के पहले अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री थे।
  • दिसम्बर 1971 भारत पाकिस्तान युद्ध के समय बरकतुल्ला खाँ मुख्यमंत्री थे।

पाँचवी विधानसभा (1972-1977)

  • पांचवीं विधानसभा 15 मार्च, 1972 को बरकतुल्ला खाँ के नेतृत्व में गठित हुई।
  • बरकतुल्ला खाँ का आकस्मिक निधन हो जाने से 25 अक्टूबर, 1973 (दीपावली के दिन) हरिदेव जोशी ने मुख्यमंत्री की शपथ ली।
  • फरवरी 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में केन्द्र में सत्तारूढ़ जनता पार्टी की सरकार के निर्देश पर कार्यवाहक राज्यपाल वेदपाल त्यागी ने श्री हरिदेव जोशी की सरकार को बर्खास्त कर राज्य में दूसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।

छठी विधानसभा (1977-80)

  • छठी विधानसभा के चुनाव से पूर्व विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन किया गया तथा इनकी संख्या 184 से बढ़ाकर 200 कर दी गयी।
  • चुनाव में जनता पार्टी ने 199 स्थानों के लिये अपने प्रत्याक्षी खड़े किये जिन्होंने 150 स्थानों पर विजय प्राप्त की। 22 जून 1977 को भैरोसिंह शेखावत ने राज्य में प्रथम गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। मुख्यमंत्री की शपथ से पूर्व भैरोसिंह शेखावत मध्यप्रदेश राज्य से राज्यसभा सांसद थे।
  • जनवरी 1980 में लोकसभा चुनावों के पश्चात् केन्द्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार ने निर्देश पर राज्यपाल रघुकुल तिलक ने 16 फरवरी, 1980 को शेखावत की सरकार को बर्खास्त करके राज्य में तीसरी बार राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया।

सातवीं विधानसभा (1980-1985) : प्रथम बार मध्यावधि चुनाव 

  • छठी विधानसभा भंग हो जाने के फलस्वरूप प्रथम बार राज्य विधानसभा का मध्यावधि चुनाव हुआ।
  • 6 जून, 1980 कांग्रेस के जगन्नाथ पहाड़िया ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
  • जगन्नाथ पहाड़िया के त्यागपत्र के कारण शिवचरण माथुर ने मुख्यमंत्री का पद संभाला।
  • 23 फरवरी, 1983 को हीरालाल देवपुरा ने शिवचरण माथुर के त्यागपत्र के कारण मुख्यमंत्री की शपथ ली।
  • हीरालाल देवपुरा सबसे कम समय के लिए (मात्र 16 दिन) राजस्थान के मुख्यमंत्री रहे।

आठवीं विधानसभा (1985-1990)

  • इस विधानसभा काल में हरिदेव जोशी, शिवचरण माथुर एवं पुन: हरिदेव जोशी ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

नोट :– इसी विधानसभा काल में राजस्थान की राजनीति में पहली बार संवैधानिक संकट खड़ा हो गया जब शिवचरण माथुर के त्यागपत्र के बाद 3 दिसम्बर, 1989 को कांग्रेस ने सर्वसम्मति से हरिदेव जोशी को अपना नेता चुन लिया जबकि उस समय जोशी जी असम के राज्यपाल थे।  3 दिसम्बर को ही राज्यपाल द्वारा जोशी को शपथ ग्रहण के लिए आमंत्रित कर लिया गया लेकिन उस दिन शपथ ग्रहण नहीं हो सका क्योंकि राष्ट्रपति ने उस दिन हरिदेव जोशी का असम के राज्यपाल पद से त्यागपत्र स्वीकार नहीं किया था और न ही इस पद के लिये नये राज्यपाल की नियुक्ति की गई थी।

नवीं विधानसभा (1990-92)

  • इस विधानसभा चुनाव में 1967 के चतुर्थ विधानसभा चुनाव की तरह किसी भी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं हो सका।
  • 4 मार्च, 1990 को भैराेसिंह शेखावत ने मुंख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की।
  • 6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में घटी घटनाओं के कारण केन्द्र सरकार द्वारा कुछ संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया लेकिन राज्य सरकार इस तरह के प्रतिबंध निर्देशों को लागू करने में असफल रही इस कारण 15 दिसम्बर, 1992 को राज्यपाल एम. चेन्नरेड्‌डी ने भैरोसिंह शेखावत की सरकार को बर्खास्त करके राष्ट्रपति शासन लागू (चौथी बार) कर दिया। यह राष्ट्रपति शासन एक वर्ष तक लागू रहा था। राष्ट्रपति शासन के दौरान धनिकलाल मंडल कार्यवाहक राज्यपाल थे। जब दिसम्बर, 1993 में राष्ट्रपति शासन खत्म हुआ तब बलिराम भगत राज्यपाल थे।

दसवीं विधानसभा (1993-1998)

  • 4 दिसम्बर, 1993 को भाजपा नेता भैरोसिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।

ग्यारहवीं विधानसभा (1998-2003)

  • 1 दिसम्बर 1998, को श्री अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पत्र की शपथ ली।
  • इस चुनाव में कांग्रेस को कुल 197 प्रत्याशियों में से 152 स्थानों पर विजय प्राप्त हुई।

बारहवीं विधानसभा (2003-2008)

  • इस चुनाव में सम्पूर्ण राज्य में प्रथम बार इलेक्ट्रोनिक मशीनों (EVM) से मतदान कराया गया।
  • 8 दिसम्बर, 2003 को श्रीमति वसुंधरा राजे ने राज्य की तेरहवीं मुख्यमंत्री के रूप में सत्ता की बागडाेर संभाली।
  • वसुंधरा राजे राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री है।
  • प्रदेश में पहली बार महिला मुख्यमंत्री, राज्यपाल और विधानसभाध्यक्ष के पद पर नियुक्त हुई।

तेरहवीं विधानसभा (2008-2013)

  • 13 दिसम्बर, 2008 को दूसरी बार अशोक गहलोत ने मुख्यमंत्री पद के रूप में शपथ ग्रहण की।

चौदहवीं विधानसभा (2013-2018) 

  • इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को 163 सीटें जबकि कांग्रेस को 21 सीटें प्राप्त हुई।
  • वसुंधरा राजे ने दूसरी बार मुख्यमंत्री का पद संभाला।

पन्द्रहवीं विधानसभा (2018)

  • राजस्थान में 200 विधानसभा सीटों में से 141 सामान्य के लिए, 34 सीटें अनुसूचित जाति के लिए तथा 25 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थी।
  • 200 विधानसभा सीटों में से 199 सीटों (रामगढ़, अलवर से बसपा प्रत्याक्षी लक्ष्मणसिंह के निधन हो जाने के कारण) के लिए 7 दिसम्बर, 2018 को मतदान हुआ।
  • रामगढ़ सीट के लिए उपचुनाव जनवरी 2019 में हुये जिसमें कांग्रेस प्रत्याक्षी साफिया जुबेर विजय रही।

मतदान :- राज्य निर्वाचन विभाग के अनुसार प्रदेश में 74.69% मतदान हुआ जो पिछले चुनाव 75.67% की तुलना में 0.98 फीसदी कम है।

महिला उम्मीदवार :- इस चुनाव में 187 महिलाओं ने अपना भाग्य आजमाया लेकिन 23 महिलाएँ ही विधायक के रूप में निर्वाचित हुई।

नवीन क्षेत्रीय दल

भारतीय ट्राइबल पार्टी (BTP):- इसका गठन 2017 में गुजरात में छोटूभाई वासवा ने किया। चुनाव चिह्न ऑटो रिक्शा है। डुंगरपुर जिले की 2 सीटों पर इस दल ने विजय प्राप्त की।

राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) :- इसका गठन हनुमान बेनिवाल ने अक्टूबर 2018 को किया। चुनाव चिह्न ‘पानी की बोतल’ है। इस दल को 2018 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में 3 सीटें मिली।

भारत वाहिनी पार्टी :- गठनकर्त्ता घनश्याम तिवाड़ी। चुनाव में प्रदर्शन नगण्य था।    

परिणाम :- कांग्रेस काे 100, भारतीय जनता पार्टी काे 73, बहुजन समाज पार्टी को 6 सीटें प्राप्त हुई जबकि 13 सदस्य निर्दलीय निर्वाचित हुए।

मुख्यमंत्री :– 17 दिसम्बर, 2018 को तात्कालीन राज्यपाल कल्याणसिंह ने अशोक गहलोत को अल्बर्ट हॉल (जयपुर) में राज्य के मुख्यमंत्री की शपथ दिलाई तथा साथ ही राज्यपाल ने सचिन पायलट को राज्य के उपमुख्यमंत्री की शपथ दिलाई।

राजस्थान 15वीं विधानसभा के पदाधिकारी (वर्तमान)

कलराज मिश्र         राज्यपाल, राजस्थान राज्य
गुलाब चंद कटारियाप्रोटेम स्पीकर, राजस्थान विधानसभा
सी.पी. जोशी         अध्यक्ष, राजस्थान विधानसभा
अशोक गहलोत      मुख्यमंत्री, राजस्थान सरकार
अशोक गहलोत       नेता, राजस्थान सरकार
महेश जोशी          सरकारी मुख्य सचेतक, राजस्थान विधानसभा
गुलाब चंद कटारियानेता प्रतिपक्ष, राजस्थान विधानसभा

नोट :- लोकसभा चुनाव (2019) में दो विधायक रालोपा के हनुमान बेनिवाल खींवसर (नागौर) एवं भाजपा के नरेन्द्र कुमार मण्डावा (झुन्झुनूं) सांसद के रूप में चुन लिये गए अत: राजस्थान विधानसभा में दो सीटें रिक्त हो गई है। उपचुनाव में खींवसर (नागौर) विधानसभा सीट से रालोपा तथा भाजपा का संयुक्त उम्मीदवार नारायण बेनिवाल ने कांग्रेस के हरेन्द्र मिर्धा को जबकि मंडावा (झुन्झुनूं) विधानसभा सीट से कांग्रेस की रीटा चौधरी ने भाजपा की सुशीला सीगड़ा को हराया।

rajasthan ki vidhansabha

  • सुमित्रा सिंह प्रथम एवं एकमात्र महिला जो राजस्थान विधानसभा की अध्यक्ष रही।
  • ताराभण्डारी एकमात्र व प्रथम महिला है जो विधानसभा में उपाध्यक्ष रही।
  • पूनमचन्द विश्नोई राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष (1980-85) उपाध्यक्ष (1967-71) एवं प्रोटेम स्पीकर (1967, 1985, 1990) रह चुके है।
  • भैरोसिंह शेखावत एकमात्र प्रोटेम स्पीकर थे जो बाद में मुख्यमंत्री बने।
  • राज्य में अब तक 13 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है जो एक बार भी पारित नहीं हुआ। पहली बार 1952 में टीकाराम पालीवाल के खिलाफ जबकि अंतिम बार 1986 में हरिदेव जोशी के खिलाफ लाया गया था। मोहनलाल सुखाड़िया के विरूद्ध 6 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था।
  • राजस्थान में अविश्वास प्रस्ताव लाने हेतु 40 सदस्यों का समर्थन आवश्यक है।
  • राज्य में अभी तक 4 गैर सरकारी विधेयक पारित हुए।
  • राजस्थान में अब तक 4 बार विश्वास प्रस्ताव लाया गया। पहली बार 1990 में भैरोसिंह शेखावत द्वारा लाया गया। जबकि अंतिम बार 2009 में अशोक गहलोत द्वारा लाया गया।

सर्वश्रेष्ठ विधायक सम्मान

  • 2018 – श्री अभिषेक मटोरिया
  • 2017 – श्री बृजेन्द्र सिंह ओला
  • 2016 – श्री गोविंद सिंह डोटासरा
  • 2015 – श्री जोगाराम पटेल
  • 2014 – श्री माणिकचंद सुराणा  
  • पहली महिला विधानसभा अध्यक्ष :- श्रीमति सुमित्रा सिंह (कांग्रेस 12वीं विधानसभा 2003-2008)
  • प्रथम गैर-कांग्रेस विधानसभा अध्यक्ष- लक्ष्मणसिंह (जनता पार्टी)
  • रामनिवास मिर्धा (कांग्रेस) दो बार (दूसरी व तीसरी विधानसभा) विधानसभा अध्यक्ष रहे।
  • पूनमचंद विश्नोई सर्वाधिक बार प्रोटेम स्पीकर रहे चुके है।
  • हरिदेव जोशी 1952 से लेकर मृत्युपर्यन्त विधानसभा के सदस्य रहे। (प्रथम दस विधानसभा)
  • राजस्थान विधानसभा की 4 वित्तीय समितियाँ है। प्रत्येक समिति में 15 सदस्य होते हैं। समितियों के अध्यक्ष विधानसभा के अध्यक्ष के द्वारा नियुक्त किये जाते हैं। समितियाँ अपना प्रतिवेदन विधानसभा को प्रस्तुत करती है।
  • राजस्थान का नाथद्वारा विधानसभा क्षेत्र एक से अधिक जिले में फैला हुआ है।
  • राजसमंद लाेकसभा निर्वाचन क्षेत्र एकमात्र ऐसा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र जिसका विस्तार चार जिलों – राजसमंद, पाली, अजमेर व नागौर में है।
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