राजस्थान के राज्यपाल से संबंधित प्रश्न

राज्यपाल

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  • राज्यपाल राज्य का संवैधानिक प्रमुख / कार्यकारी प्रमुख/हैड ऑफ स्टेट होता है।
  • अनुच्छेद 153 के तहत प्रत्येक राज्य का एक राज्यपाल होगा। 7 वें संविधान संशोधन 1956 के तहत एक ही व्यक्ति को दो या दो से अधिक राज्यों का राज्यपाल नियुक्त किया जा सकता है।
  • अनुच्छेद 154 के अनुसार राज्य की कार्यपालिका शक्ति राज्यपाल में निहित होगी लेकिन अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल अपनी स्व-विवेक शक्तियों के अलावा सभी कृत्य राज्य मंत्रिपरिषद् की सलाह पर करेगा।

राज्यपाल की नियुक्ति (अनुच्छेद 155)

  • अनुच्छेद 155 के अनुसार राज्यपाल को राष्ट्रपति नियुक्त करेगा। इस प्रकार वह केन्द्र सरकार द्वारा मनोनीत होता है।
  • अनुच्छेद 155 में यह भी उल्लेखित है कि राज्यपाल की नियुक्ति के सन्दर्भ में राष्ट्रपति अधिपत्र (वॉरण्ट) जारी करते है। यह अधिपत्र राज्य का मुख्य सचिव पढ़कर सुनाता है।
नोट :- निम्न नियुक्तियाँ के संदर्भ में राष्ट्रपति अधिपत्र जारी करते हैं-
  • उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश
  • उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
  • नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)
  • राज्यपाल राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग एवं अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष एवं सदस्यों के सन्दर्भ में।
संविधान लागू होने से लगाकर वर्तमान तक राज्यपाल की नियुक्ति के संबंध में कुछ परम्पराएँ बन गयी जो निम्न है–
  • संबंधित राज्य का निवासी नहीं होना चाहिए ताकि वह स्थानीय राजनीति से मुक्त रहे।
  • राज्यपाल की नियुक्ति के समय राष्ट्रपति संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श ले ताकि संवैधानिक व्यवस्था सुनिश्चित हो।

राज्यपाल के चयन से संबंधित सरकारिया आयोग के सुझाव

  • राज्यपाल ऐसे व्यक्ति को बनाया जाना चाहिए जो किसी क्षेत्र विशेष में प्रसिद्ध हो।
  • राज्यपाल राज्य के बाहर का निवासी होना चाहिए।
  • राजनीतिक रूप से तटस्थ व्यक्ति होना चाहिए।
  • सक्रिय राजनीति में भागीदारी नहीं ले रहा हो।
  • राज्यपाल की नियुक्ति से पूर्व राज्य के मुख्यमंत्री से परामर्श लिया जाए। इसके लिए अनुच्छेद 155 में संशोधन किया जाए।
  • 5 वर्ष की निश्चित पदावधि हो।
  • यदि कोई राज्यपाल पद से त्यागपत्र देकर सक्रिय राजनीति में शामिल होता है तो इसे निंयत्रित किया जाना चाहिए।

नोट :- केन्द्र-राज्य संबंधों की गहन समीक्षा के उद्देश्य से केन्द्र सरकार द्वारा 1983 में सरकारिया आयोग का गठन किया गया। इसके तीन सदस्यों में आर. एस. सरकारिया (अध्यक्ष), एस. आर. सेन तथा वी. शिवरामन शामिल थे। जनवरी, 1988 में इसने अपना प्रतिवेदन दिया।

  • सन् 2005 में वीरप्पा मोईली (कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री) की अध्यक्षता में द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग का गठन किया था। 2010 में इसने अपना प्रतिवेदन दिया। इस आयोग के अनुसार राज्यपाल की नियुक्ति के सन्दर्भ में कॉलेजियम व्यवस्था होनी चाहिए।
  • प्रधानमंत्री इसका अध्यक्ष होगा। जबकि उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, गृहमंत्री तथा लोकसभा में विपक्ष का नेता इसके सदस्य होंगे। लेकिन सुझाव स्वीकार नहीं किया गया था।
राज्यपाल के सीधे निर्वाचन की बात संविधान सभा में उठी लेकिन राष्ट्रपति द्वारा राज्यपाल की नियुक्ति को ही अपनाया गया क्योंकि–
  • निर्वाचन से राज्य में स्थापित संसदीय व्यवस्था की स्थिति के प्रतिकूल हो सकता है।
  • चुनाव से मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल के मध्य संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती।
  • राज्यपाल संवैधानिक प्रमुख होता है इसलिए चुनाव जैसी जटिल प्रक्रिया अपनाना अव्यावहारिक है।
  • राज्यपाल यदि निर्वाचित होता है तो वह किसी राजनीतिक दल से संबंधित होगा जिससे वह तटस्थ होकर कार्य नहीं कर पायेगा।
  • राज्यपाल दोहरी भूमिका निभाता है अर्थात् राज्य का प्रमुख एवं केन्द्र का एंजेट लेकिन निर्वाचन की स्थिति में वह केन्द्र के एंजेट के रूप में कार्य नहीं कर पायेगा। नोट : राज्यपाल की नियुक्ति की प्रक्रिया भारत ने कनाडा देश से ली है। 

राज्यपाल की पदावधि / कार्यकाल (अनुच्छेद 156)

  • अनुच्छेद 156 के अनुसार राज्यपाल अपने पदग्रहण की तारीख से पाँच वर्ष तक पद पर बना रहेगा।
  • राज्यपाल राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त पद धारण करता है।
  • राज्यपाल राष्ट्रपति को संबोधित करके त्यागपत्र देता है।
  • राष्ट्रपति किसी भी राज्यपाल को उसके बचे हुए कार्यकाल के लिए किसी दूसरे राज्य में स्थानांतरित कर सकता हैं।
  • राज्यपाल को दोबारा नियुक्त किया जा सकता है।
  • राज्यपाल अपने कार्यकाल के बाद भी तब तक पद पर बना रहता है जब तक उसका उत्तराधिकारी कार्यग्रहण नहीं कर ले।
  • राज्यपाल को हटाने के आधार का उल्लेख संविधान में नहीं है।
  • बी.पी सिंघल बनाम भारत संघ (2010) के मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा यह निर्णय दिया गया था कि राज्यपाल को हटाये जाने पर इसे न्यायालय में चुनौती दी जा सकती है तथा किसी भी राज्यपाल को राजनीतिक आधार पर हटाया नहीं जा सकता है। 
  • सरकारिया आयोग ने यह सिफारिश की थी कि राज्यपाल काे हटाये जाने से पूर्व एक बार चेतावनी देनी चाहिये अथवा पूर्व सूचना दी जानी चाहिये।
  • 2007 केन्द्र-राज्यों संबंधों की जाँच हेतु गठित पूंछी आयोग ने राज्यपाल को हटाने के लिए विधानमंडल में महाभियोग (Impeachment) की प्रक्रिया अपनाने का सुझाव दिया है। 

राज्यपाल की योग्यता (अनुच्छेद 157)

राज्यपाल के पद की अर्हताएँ (अनुच्छेद 158)

  • संसद या राज्य विद्यानमण्डल का सदस्य नहीं होना चाहिए। यदि वह किसी भी सदन का सदस्य है तो राज्यपाल के पद की शपथ लेनेे के बाद उस सदन से उसका स्थान रिक्त माना जायेगा।
  • राज्यपाल अपने कार्यकाल के दौरान अन्य किसी भी प्रकार का पद धारण नहीं कर सकता।
  • कार्यकाल के दौरान उनकी आर्थिक उपलब्धियों व भत्तों को कम नहीं किया जा सकता।

राज्यपाल की शपथ (अनुच्छेद 159)

  • राज्यपाल को शपथ संबंधित राज्य के उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश दिलवाता है। उनकी अनुपस्थिति में उपलब्ध वरिष्ठतम न्यायाधीश शपथ दिलवाते हैं।
  • तीसरी अनुसूची में राज्यपाल की शपथ का उल्लेख नहीं है।
  • राज्यपाल संविधान की रक्षा और राज्य के लोगाें के कल्याण की शपथ लेते है।
नोट :- यदि किसी राज्यपाल को किसी अन्य राज्य का अतिरिक्त प्रभार दिया जाए तो भी उन्हें पुन: शपथ लेनी होती है।

राज्यपाल का वेतन

  • राज्यपाल का वेतन 3,50,000/- प्रतिमाह है जो संबंधित राज्य की संचित निधि या राज्य के राजकोष पर भारित होता है।
  • यदि एक व्यक्ति दो या अधिक राज्यों के बतौर राज्यपाल नियुक्त होता है तो उसे वेतन एवं भत्ते राष्ट्रपति द्वारा तय मानको के हिसाब से राज्य मिलकर प्रदान करते हैं।

राज्यपाल की शक्तियाँ एवं कार्य

  • कार्यपालिका शक्तियाँ
  • विधायी शक्तियाँ
  • वित्तीय शक्तियाँ
  • न्यायिक शक्तियाँ
  • स्वविवेक शक्तियाँ
  • विशेष दायित्व
  • अन्य

कार्यपालिका शक्तियाँ

  • अनुच्छेद 154 के तहत राज्यपाल को राज्य सरकार की कई कार्यपालिका संबंधित शक्तियाँ प्राप्त होती है। राज्यपाल अपनी इन शक्तियां का उपयोग अधीनस्थ अधिकारियों के सहयोग से करते हैं।
  • अनुच्छेद 166 के तहत राज्य के सभी कार्य राज्यपाल के नाम से किये जाते है तथा राज्यपाल मंत्रियों के बीच विभागों के बटवारें के संदर्भ में “कार्य आवंटन के नियम” (एलोकेशन ऑफ द बिजनस रूल्स) बनाता है।
  • विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को मुख्यमंत्री तथा उसकी सलाह पर मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
  • महाधिवक्ता की नियुक्ति करता है तथा शपथ ग्रहण भी राज्यपाल ही करवाता है।
  • मुख्यमंत्री एवं मंत्रिपरिषद् को पद एवं गोपनीयता की शपथ राज्यपाल दिलाता है।
  • राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
  • राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति करता है, जबकि स्वयं राज्य के विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति होता है।
  • राज्य के निर्वाचन आयुक्त एवं राज्य वित्त आयोग के अध्यक्ष की नियुक्ति करता है।
  • राज्यपाल मुख्यमंत्री से शासन और प्रशासन से संबंधित किसी भी प्रकार की सूचना माँग सकता है। (अनुच्छेद 167)
  • वह राष्ट्रपति से राज्य में संवैधानिक आपातकाल (अनुच्छेद 356) के लिए सिफारिश कर सकता है।
  • राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह से मंत्रियों के विभागों का वितरण करता है।

विधायी शक्तियाँ

  • अनुच्छेद 168 के तहत राज्य विधानमंडल में राज्यपाल, विधानसभा एवं विधानपरिषद् तीनों शामिल होते हैं।
  • राज्यपाल विधानसभा में प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति करते हैं। विधानसभा के वरिष्ठतम सदस्य को प्रोटेम स्पीकर बनाये जाने की परम्परा है।
  • अनुच्छेद 192 के तहत राज्यपाल विधानमंडल के किसी सदस्य की सदस्यता को समाप्त करता है। इसमे यह स्पष्ट उल्लेखित है कि राज्यपाल इस संदर्भ में भारत के निर्वाचन आयोग से परामर्श करेंगे तथा इस संदर्भ में सभी निर्णय निर्वाचन आयोग के परामर्श के अनुसार ही लेंगे।
  • वह राज्य विधानसभा के सत्र को आहूत, सत्रावसान या विघटित कर सकता है। (अनुच्छेद 174)
  • विधानसभा के चुनाव पश्चात् पहले तथा प्रत्येक वर्ष के पहले सत्र को संबोधित कर सकता है। (अनुच्छेद 176) राज्यपाल का यह अभिभाषण मंत्रीपरिषद् द्वारा तैयार किया जाता है।
  • अनुच्छेद 207 के अनुसार वित्त विधेयक राज्यपाल की अनुमति से ही विधानसभा में प्रस्तुत होता है।
  • जिन राज्यों में द्विसदनात्मक विधानमण्डल है वहाँ पर उच्च सदन (विधानपरिषद्) में राज्यपाल सदन के 1/6 सदस्यों को मनोनीत करता है। (अनुच्छेद 171)
  • अनुच्छेद 333 के तहत राज्य विधानसभा में एक एंग्लो-इंडियन को मनोनीत कर सकता है।
  • जब राज्य विधानमण्डल का सत्र नहीं चल रहा हो तो वह अनुच्छेद 213 के तहत अध्यादेश जारी कर सकता है। ये अध्यादेश विधानसभा के सत्र में आने के 6 सप्ताह तक जारी रहता है। अनुच्छेद 213  में यह भी स्पष्ट उल्लेखित है कि अध्यादेश उसी विषय पर जारी किया जा सकता है जिन विषयों पर राज्य विधानमंडल को कानून बनाने का अधिकार होता है।
  • अध्यादेश का वही महत्व है जो राज्य विधानमंडल द्वारा बनाये गये कानून का होता है। अध्यादेश राज्यपाल का स्वविवेक नहीं है तथा अध्यादेश भी विधि होने के कारण न्यायापालिका में चुनौती देने योग्य है। अध्यादेश दो तरीकों से समाप्त किया जा सकता है।
    • निर्धारित अवधि (6 सप्ताह) में विधानमंडल द्वारा स्वीकृति नहीं दिये जाने पर।
    • राज्यपाल इसे कभी भी वापस ले सकते है।
  • राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित किसी विधेयक को राज्यपाल के पास भेजे जाने पर
    • विधेयक स्वीकृत कर सकता है।
    • विधेयक को अपनी स्वीकृति देने से रोके रखे।
    • एक बार पुनर्विचार के लिए वापस भेज सकता है।
    • विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रख सकता है।

वित्तीय शक्तियाँ

  • राज्य विधानसभा में सभी धन विधेयक राज्यपाल की पूर्व स्वीकृति से ही प्रस्तुत किये जाते हैं। (धन विधेयक को अनुच्छेद-199 में परिभाषित किया गया है।) अनुच्छेद 200 में स्पष्ट उल्लेख है कि राज्यपाल धन विधेयक को पुन: विचार के लिए नहीं भेज सकता।
  • राज्यपाल की सिफारिश से ही अनुदान माँग विधानसभा में प्रस्तुत की जाती है। 
  • राज्यपाल द्वारा ही विधानमण्डल के एक या दोनों सदनों के समक्ष बजट प्रस्तुत किया जाता है।
  • अनुच्छेद 243 (I) व अनुच्छेद 243 (Y) के तहत राज्यपाल प्रत्येक 5 वर्ष में राज्य वित्त आयोग का गठन करते हैं।
  • राज्यपाल किसी अप्रत्याशित व्यय के वहन के लिए राज्य की आकस्मिकता निधि से अग्रिम ले सकता है। (अनुच्छेद 267)  

न्यायिक शक्तियाँ

  • अनुच्छेद 161 के अनुसार राज्यपाल किसी सिद्धदोष व्यक्ति के दण्ड को कम कर सकता है, स्थगित कर सकता है, उसकी प्रकृति को बदल सकता है या क्षमा कर सकता है।
  • राष्ट्रपति उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के समय राज्यपाल से परामर्श लेता है। (अनुच्छेद 217)
  • वह उच्च न्यायालय के साथ विचार कर जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति स्थानांतरण और प्राेन्नति कर सकता है। (अनुच्छेद 233)
  • अनुच्छेद 219 के तहत उच्च न्यायालय के सभी न्यायाधीशों को राज्यपाल या उसके द्वारा अधिकृत व्यक्ति द्वारा शपथ दिलायी जाती है।
  • अनुच्छेद 234 के तहत राज्यपाल उच्च न्यायालय तथा राज्य लोक सेवा आयोग के साथ विचार-विमर्श कर जिला न्यायाधीशों के अलावा अन्य न्यायिक अधिकारियों की नियुक्ति करते हैं। 
  • राष्ट्रपति और राज्यपाल की क्षमादान की शक्ति में अंतर
  1. मृत्युदण्ड  के सभी मामलों में राष्ट्रपति को क्षमादान करने का पूर्ण अधिकार है जबकि राज्यपाल को मृत्युदण्ड के निर्णय के विरुद्ध क्षमादान की शक्ति प्राप्त तो है लेकिन वह मृत्युदण्ड को पूर्णतया माफ नहीं कर सकते हैं। राज्यपाल उसे स्थगित कर सकते हैं या उसकी प्रकृति बदल सकते हैं।
  2. राष्ट्रपति को सेना के न्यायालयों के द्वारा दिये गये दण्ड या दण्डादेश के मामले में क्षमादान की शक्ति प्राप्त है जबकि राज्यपाल को इस तरह की कोई भी शक्ति प्राप्त नहीं है।

स्व-विवेकीय शक्तियाँ

  • संविधान के अनुच्छेद 163 (1) के अन्तर्गत राज्यपाल की स्व-विवेक की शक्तियों का उल्लेख है। इसमें यह उल्लेखित है कि राज्यपाल अपनी स्वविवेकीय शक्तियों को छोड़कर मंत्रिपरिषद् के परामर्श पर कार्य करेगा। राष्ट्रपति को भी स्व-विवेकीय शक्तियाँ प्राप्त होती है लेकिन इसका उल्लेख संविधान में नहीं है।

राज्यपाल के संवैधानिक विवेकाधिकार निम्न मामलों में प्राप्त है-

  • राष्ट्रपति के विचारार्थ किसी विधेयक को सुरक्षित रखना। (अनुच्छेद 200)
  • राज्य में यदि संवैधानिक तंत्र विफल होता है तो अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन की सिफारिश करना है।
  • राज्य के विधानमण्डल एवं प्रशासनिक मामलों में मुख्यमंत्री से जानकारी प्राप्त करना। (अनुच्छेद 167)

संवैधानिक विवेकाधिकारों के अतिरिक्त राज्यपाल, राष्ट्रपति की भाँति परिस्थितिजन्य निर्णय लेता है जो निम्न है-

  • विधानसभा चुनाव में किसी भी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने पर राज्यपाल स्वविवेक के आधार पर सबसे बड़े राजनीतिक दल के नेता काे मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकता है।
  • मंत्रिपरिषद के अल्पमत में आने पर राज्य विधानसभा को विघटित करना।
स्वविवेकीय शक्तियों की आलोचना
  • विवेकाधिकार शक्तियों का दबावपूर्ण प्रयोग अर्थात् केन्द्र सरकार के आदेशों को प्राथमिकता या केन्द्रीय हितों के अनुरूप
  • स्वविवेकीय निर्णय स्वतंत्र न होकर दबावपूर्ण निर्णय होते हैं।
  • राज्यपालों का व्यवहार पक्षपातपूर्ण।
विशेष दायित्व     
  • अनुच्छेद 371 के तहत महाराष्ट्र व गुजरात के राज्यपाल के लिए विशेष दायित्व निर्धारित किये गए है। महाराष्ट्र का राज्यपाल विदर्भ व मराठवाड़ा तथा गुजरात का राज्यपाल कच्छ व सौराष्ट्र के विकास के लिए विकास बोर्ड का गठन कर सकते हैं।
  • अनुच्छेद 371 (A) के तहत नागालैंड में काूनन व्यवस्था बनाये रखना वहाँ के राज्यपाल का विशेष दायित्व है। नागालैंड में ‘त्वेनसांग’ जिले के विकास के लिये विकास परिषद् का गठन करना, उसके कार्य निर्धारित करना इत्यादि भी राज्यपाल का विशेष दायित्व है।
  • अनुच्छेद 371 (F) के द्वारा सिक्किम में कानून व्यवस्था बनाये रखना सिक्किम के राज्यपाल का विशेष दायित्व है।
  • अनुच्छेद 371 (H) के तहत अरूणाचल प्रदेश में कानून व्यवस्था बनाये रखना वहाँ के राज्यपाल का विशेष दायित्व है।
  • अनुच्छेद 371 (J) के द्वारा कर्नाटक के कर्नाटक-हैदराबाद क्षेत्र का विकास करना कर्नाटक के राज्यपाल का विशेष दायित्व है।
  • अनुच्छेद 239 के तहत राष्ट्रपति किसी राज्यपाल को संघशासित प्रदेश का प्रशासक भी नियुक्त कर सकते है।
  • राजस्थान मानवाधिकार आयोग, राजस्थान महिला आयोग तथा राजस्थान अनुसूचित जाति व जनजाति आयोग के अध्यक्ष तथा सदस्यों और राजस्थान के लोकायुक्त की नियुक्ति ‘राज्यपाल’ ही करता है।
  • राजस्थान सैनिक कल्याण बोर्ड तथा रेडक्रॉस साेसायटी की राजस्थान की शाखा का संरक्षक राज्यपाल ही होता है।

 राज्यपाल के कार्य

  • केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के मध्य समन्वय एवं संबंध स्थापित करना।
  • राज्य प्रशासन की रिपोर्ट राष्ट्रपति को भेजना।
  • राज्य शासन का संचालन करना।
  • संघ के हितों की रक्षा करना।
  • राष्ट्रीय राजमार्ग और संचार साधनों की रक्षा करना।
  • राज्यपाल अपने विवेक के आधार पर कुछ स्थितियों में काम कर सकता है जबकि राष्ट्रपति के मामले में ऐसा नहीं होता है।
  • विधि विश्वविद्यालय का कुलाधिपति उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश होता है।
  • अनुच्छेद 361 के तहत केवल राष्ट्रपति एवं राज्यपाल को ही विशेषाधिकार प्राप्त है। उपराज्यपाल को किसी भी प्रकार के विशेषाधिकार प्राप्त नहीं है। 
  • 42 वें संविधान संशोधन (1976) के बाद राष्ट्रपति के लिए मंत्रियों की सलाह की बाध्यता तय कर दी गयी जबकि राज्यपाल पर यह उपबंध लागू नहीं होता है।
  • सरोजिनी नायडू के अनुसार “राज्यपाल सोने के पिंजरे में बंद पक्षी के समान है।

राजस्थान के संदर्भ में राज्यपाल

  • 30 मार्च, 1949 से 31 अक्टूबर, 1956 तक राज्य में राजप्रमुख का पद था। इस पद पर जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय नियुक्त थे। सवाई मानसिंह द्वितीय राजस्थान के पहले व एकमात्र राजप्रमुख थे। 
  • राजस्थान में 1 नवम्बर 1956 को राज्य पुनर्गठन के बाद राजप्रमुख का पद समाप्त करके राज्यपाल का पद सृजित किया गया।
  • राज्य के प्रथम राज्यपाल सरदार गुरुमुख निहालसिंह थे।
  • गुरुमुख निहालसिंह का कार्यकाल सबसे लम्बा है। (5 वर्ष 5 माह 15 दिन)।
  • गुरुमुख निहालसिंह ने मोहनलाल सुखाड़िया को 2 बार (1957,1962) शपथ दिलाई थी।  
  • राज्य की पहली महिला राज्यपाल- श्रीमती प्रतिभा पाटिल। (2004-07)
  • मारग्रेट अल्वा, प्रतिभा पाटिल व प्रभाराव के बाद राज्य की तीसरी महिला राज्यपाल बनी।
  • सबसे कम कार्यकाल :- सरदार दरबारा सिंह (23 दिन)

पद पर रहते हुए मृत्यु

  1. दरबारा सिंह    (1998)
  2. निर्मल चन्द जैन (2003)
  3. एस. के. सिंह  (2009) (कार्यवाहक राज्यपाल थे)
  4. श्रीमती प्रभा राव  (2010)
  • प्रभाराव के निधन के बाद पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल शिवराज पाटिल (23 माह तक) राजस्थान के कार्यवाहक राज्यपाल रहे थे।
  • वर्तमान राज्यपाल कलराज मिश्र 41 वें राज्यपाल जिन्होंने 9 सितम्बर 2019 को पद ग्रहण किया।

राज्य के 5 साल का कार्यकाल पूर्ण करने वाले राज्यपाल

  1. सवाई मानसिंह
  2. गुरुमुख निहालसिंह
  3. डॉ. सम्पूर्णानन्द (1962-1967)
  4. कल्याण सिंह (2014-19)

राष्ट्रपति शासन राज्य में (4 बार)

कब                    राज्यपाल
1967                   डॉ. सम्पूर्णानंद, सरदार हुकम सिंह 
1977                   विजयपाल त्यागी, श्री रघुकुल तिलक 
1980                   श्री रघुकुल तिलक 
1992                  डॉ. एम चेन्नारेड्डी, बलिराम भगत

कलराज मिश्र राजस्थान के कौन से नंबर के राज्यपाल हैं

  • राजस्थान के पूर्व राज्यपाल श्री मदनलाल खुराना राज्यपाल का पद बीच में ही छोड़कर सक्रिय राजनीति में वापस लौट गये। 
  • राज्य के प्रथम कार्यवाहक राज्यपाल जगत नारायण (1970)।
  • मदनलाल खुराना तथा प्रतिभा देवी सिंह पाटिल राजस्थान के दो ऐसे राज्यपाल है जिन्होंने अपने पद से इस्तीफा दिया।

राजस्थान के राज्यपाल की सूची

क्र.सं.नामअवधि
1.महाराजा सवाई मानसिंह (राज प्रमुख)30.03.1949-31.10.1956
2.सरदार गुरुमुख निहाल सिंह (सर्वाधिक समय तक)01.11.1956-15.04.1962
3.डॉ. सम्पूर्णानन्द सिंह16.04.1962-15.04.1967
4.सरदार हुकम सिंह16.04.1967-19.11.1970
5.जगत नारायण (कार्यवाहक)20.11.1970-23.12.1970
6.सरदार हुकम सिंह (दूसरी बार)24.12.1970-30.06.1972
7.सरदार जोगेन्द्र सिंह01.07.1972-14.02.1977
8.वेद पाल त्यागी (कार्यवाहक) न्यायाधीश15.02.1977-11.05.1977
9.श्री रघुकुल तिलक12.05.1977-08.08.1981
10.के.डी. शर्मा (कार्यवाहक) न्यायाधीश08.08.1981-06.03.1982
11.श्री ओमप्रकाश मेहरा06.03.1982-04.01.1985
12.पी.के. बनर्जी (कार्यवाहक)05.01.1985-31.01.1985
13.श्री ओमप्रकाश मेहरा01.02.1985-03.11.1985
14.डी.पी. गुप्ता (कार्यवाहक) न्यायाधीश04.11.1985-19.11.1985
15.श्री वी.आर. पाटिल20.11.1985-14.10.1987
16.जे.एस.वर्मा (कार्यवाहक) न्यायाधीश15.11.1987-19.02.1988
17.श्री सुखदेव प्रसाद20.02.1988-02.02.1989
18.जे.एस. वर्मा (कार्यवाहक) न्यायाधीश (सुखदेव प्रसाद की विदेश में चिकित्सा के कारण)03.02.1989-19.02.1989
19.सुखदेव प्रसाद20.02.1989-02.02.1990
20.मिलाप चन्द जैन (कार्यवाहक) न्यायाधीश03.02.1990-13.02.1990
21.प्रो. देवीप्रसाद चट्‌टोपाध्याय14.02.1990-25.08.1991
22.स्वरूप सिंह (अतिरिक्त प्रभार), गुजरात राज्यपाल26.08.1991-04.02.1992
23.डॉ. एम. चेन्नारेड्‌डी05.02.1992-30.05.1993
24.धनिकलाल मंडल (अतिरिक्त प्रभार), हरियाणा मुख्यमंत्री31.05.1993-29.06.1993
25.श्री बलिराम भगत (जनवरी 1976-मार्च 1977 लोकसभा अध्यक्ष)30.06.1993-30.04.1998
26.श्री दरबारा सिंह (कार्यकाल के दौरान निधन)01.05.1998-24.05.1998
27.एन.एल. टिबेरवाल (कार्यवाहक) न्यायाधीश25.05.1998-15.01.1999
28.श्री अंशुमान सिंह16.01.1999-13.05.2003
29.श्री निर्मलचंद जैन (कार्यकाल के दौरान निधन)14.05.2003-22.09.2003
30.कैलाशपति मिश्रा (अतिरिक्त प्रभार) गुजरात राज्यपाल22.09.2003-13.01.2004
31.श्री मदनलाल खुराना (त्यागपत्र)14.01.2004-01.11.2004
32.टी.वी. राजेश्वर (अतिरिक्त प्रभार) उत्तर प्रदेश राज्यपाल01.11.2004-08.11.2004
33.श्रीमती प्रतिभा देवी सिंह पाटिल (पहली महिला राज्यपाल) (त्याग पत्र)08.11.2004-23.06.2007
34.डॉ. के.आर. किदवई (अतिरिक्त प्रभार) हरियाणा राज्यपाल23.06.2007-06.09.2007
35.श्री शैलेन्द्र कुमार सिंह (कार्यकाल के दौरान निधन) (कार्यवाहक)06.09.2007-01.12.2009
36.श्रीमती प्रभाराव (कार्यकाल के दौरान निधन) (अतिरिक्त प्रभार) हिमाचल प्रदेश राज्यपाल (कार्यवाहक)03.12.2009-26.01.201025.01.2010-26.04.2010
37.श्री शिवराज पाटिल (अतिरिक्त प्रभार) (पंजाब के राज्यपाल)28.04.2010-11.05.2012
38.श्रीमती मारग्रेट अल्वा (उत्तराखण्ड की पूर्व राज्यपाल) (कार्यवाहक)12.05.2012-05.08.2014
39.श्री राम नाईक (अतिरिक्त प्रभार) (राज्यपाल उत्तरप्रदेश)08.08.2014-03.09.2014
40.श्री कल्याण सिंह (28.01.2015-12.08.2015 तक हिमाचल प्रदेश राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार)04.09.2014-08.09.2019
41.श्री कलराज मिश्र09.09.2019 – वर्तमान
राजस्थान के राज्यपाल की सूची
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