मुख्यमंत्री की नियुक्ति
इस पोस्ट के माध्यम से हम आप को भारतीय संविधान में मुख्यमंत्री की नियुक्ति कौन करता है और शपथ कौन दिलाता है तथा इनका वेतन कितना होता है और इनकी शक्तियाँ एवं कार्य कौन कौन से होते है
भारतीय संविधान के अनुसार अनुच्छेद 164 के तहत मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा। राज्यपाल उसी व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है जिसे विधानसभा में उसके दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हो। ऐसा व्यक्ति जो राज्य विधानमण्डल का सदस्य नहीं हो तो भी 6 माह के लिए मुख्यमंत्री नियुक्त किया जा सकता है। इसी दौरान उसे विधानमण्डल के लिए निर्वाचित होना होगा नहीं तो उसका मुख्यमंत्री पद समाप्त हो जायेगा।
संविधान अनुसार मुख्यमंत्री को विधानमण्डल के दोनों सदनों में से किसी एक का सदस्य होना अनिवार्य है। सामान्यत: मुख्यमंत्री निचले सदन (विधानसभा) से चुना जाता है। राज्य कार्यपालिका का वास्तविक प्रधान मुख्यमंत्री होता है।
मुख्यमंत्री को शपथ
भारतीय संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री को राज्यपाल पद व गोपनीयता की शपथ दिलाता है। कार्यकाल मंत्रिपरिषद् के प्रमुख के रूप में मुख्यमंत्री का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है। हालांकि राज्यपाल के प्रसादपर्यन्त अपने पद पर रहता है लेकिन राज्यपाल द्वारा उसे तब तक बर्खास्त नहीं किया जा सकता, जब तक कि उसे विधानसभा में बहुमत प्राप्त है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री का वेतन
भारतीय संविधान के अनुसार मुख्यमंत्री के वेतन एवं भत्तों का निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है। वर्तमान में मुख्यमंत्री को 75,000/- वेतन मिलता है।
नोट – मुख्यमंत्री की योग्यता के संदर्भ में संविधान मौन है लेकिन उसे विधानसभा में बहुमत दल का नेता होना चाहिए।
राजस्थान मुख्यमंत्री के शक्तियाँ एवं कार्य
भारतीय संविधान के अनुसार मंत्रिपरिषद् संबंधित शक्तियाँ राज्यपाल उन्हीं लोगों को मंत्री नियुक्त करता है जिनकी सिफारिश मुख्यमंत्री ने की हो। (अनुच्छेद 164) मंत्रियों के विभागों का वितरण मुख्यमंत्री करता है। मतभेद की स्थिति में किसी भी मंत्री से त्यागपत्र देने के लिये कह सकता है या राज्यपाल को उसे बर्खास्त करने का परामर्श दे सकता है। भारतीय संविधान के अनुसार मंत्रिपरिषद् की बैठकों की अध्यक्षता करता है।
मंत्रियों के मध्य समन्वय सहयोग एवं मार्गदर्शन देता है। अपना त्यागपत्र देकर मंत्रिपरिषद् को समाप्त कर सकता है। भारतीय संविधान के अनुसार राज्यपाल संबंधित शक्तियाँ राज्यपाल एवं मंत्रिपरिषद् के बीच संवाद की प्रमुख कड़ी मुख्यमंत्री होता है। (अनुच्छेद 167)वह महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों, राज्य निर्वाचन आयुक्त आदि की नियुक्ति के संबंध में राज्यपाल को सलाह देता है। राज्य विधानमण्डल के संबंध में राज्यपाल को विधानसभा का सत्र बुलाने एवं उसे स्थगित करने के संबंध में सलाह देता है।
(अनुच्छेद 174) किसी भी समय राज्यपाल को विधानसभा विघटित करने की सिफारिश कर सकता है। सरकारी नीतियों की घोषणा करता है। अन्यवह नीति आयोग की “शासी परिषद्” (Governing Council) का सदस्य होता है। राज्य सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है। आपात स्थिति में राजनीतिक स्तर पर वह मुख्य प्रबंधक होता है। मुख्यमंत्री “मुख्यमंत्री सलाहकार परिषद्” का अध्यक्ष होता है एवं राज्य की समस्त सेवाओं का राजनीतिक प्रमुख होता है। मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल संबंध अनुच्छेद 164 के अनुसार मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करता है तथा अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल मुख्यमंत्री की सलाह पर ही करता है। मंत्रिपरिषद् जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री होता है की सामूहिक जिम्मेदारी राज्य विधानसभा की प्रति होती है।
अनुच्छेद 167 में मुख्यमंत्री के राज्यपाल के प्रति कर्तव्य है
राज्य प्रशासन तथा विधान के प्रस्तावों संबधित जो निर्णय मंत्रिपरिषद् के द्वारा लिये गये है, उन निर्णयों की सूचना राज्यपाल का पहुँचाना। राज्य प्रशासन तथा विधान के प्रस्तावों के संबंध में जो भी जानकारी राज्यपाल द्वारा मांगी जाये उसे राज्यपाल तक पहुँचाना। किसी ऐसे विषय को जिस पर किसी एक मंत्री ने निर्णय लिया हो किन्तु मंत्रिपरिषद् में उसे निर्णय पर सामूहिक निर्णय नहीं किया गया हो उस निर्णय पर राज्यपाल के निर्देशों पर मंत्रिपरिषद् में विचार कराना मुख्यमंत्री का कर्तव्य है।
मुख्यमंत्री के कार्य राज्य में शांति व्यवस्था और विकास के लिये योजनाएँ एवं कार्यक्रम तैयार करना। राज्य विधानसभा का सत्र बुलवाना। राज्यपाल का भाषण तैयार करवाना। राज्यपाल एवं मंत्रिपरिषद् के मध्य सम्पर्क सूत्र का काम करना। राज्य के विकास के लिए नीति एवं योजना बनाना। केन्द्र एवं विभिन्न अभिकरणों से संधियों एवं समझौते करना।
राज्य की जनता से सम्पर्क स्थापित करना। राज्य प्रशासन से सम्पर्क स्थापित करना एवं नेत्तत्व प्रदान करना। जनता की शिकायतों को सुनना और उनकी समस्याओं का निराकरण करना। राज्य विधानसभा में विपक्षी सदस्यों द्वारा पूछे गये प्रश्नों का जवाब देना और सरकार तथा मंत्रिपरिषद् का पक्ष स्पष्ट करना।
राजस्थान के मुख्यमंत्री वर्तमान में अशोक गहलोत राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने (17 दिसम्बर 2018) वाले 25 वें मुख्यमंत्री है एवं व्यक्ति के रूप में 13 वें है। राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री- हीरालाल शास्त्री (7 अप्रैल, 1949)सी.एस. वेंकटाचारी ICS अधिकारी थे जिन्हें केन्द्र सरकार ने मुख्यमंत्री नियुक्त किया।
- राज्य के तीन मनोनीत मुख्यमंत्री :- श्री हीरालाल शास्त्री सी. एस. वेंकटाचारीजयनारायण व्यास राजस्थान के प्रथम निर्वाचित मुख्यमंत्री :- टीकाराम पालीवाल (3 मार्च, 1952) जयनारायण व्यास मनोनीत एवं निर्वाचित होने वाले एकमात्र मुख्यमंत्री रहे। मोहनलाल सुखाड़िया (उदयपुर) सर्वाधिक लम्बी अवधि एवं सर्वाधिक चार बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे। राजस्थान के सबसे युवा मुख्यमंत्री यही है। 13 नवम्बर, 1954 – 11 अप्रैल, 1957 11 अप्रैल, 1957 – 11 मार्च, 1962 12 मार्च, 1962 – 13 मार्च, 1967 26 अप्रैल, 1967 – 9 जुलाई,
- 1971 राज्य के पहले व एकमात्र अल्पसंख्यक मुख्यमंत्री :- बरकतुल्ला खाँ (जोधपुर)
- राज्य के प्रथम गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री :- भैरोसिंह शेखावत (1977 में) (सीकर)राज्य के अनुसूचित जाति से बने प्रथम मुख्यमंत्री :- जगन्नाथ पहाड़िया।
- (भरतपुर)राज्य के सबसे कम अवधि के लिए मुख्यमंत्री :- हीरालाल देवपुरा (16 दिन)
- हरिदेव जोशी तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री बने लेकिन कभी 5 वर्ष का कार्यकाल पूर्ण नहीं किया। 1973-77 2. 1985-88 3. 1989 – 90
- राज्य के प्रथम महिला मुख्यमंत्री :- श्रीमति वसुंधरा राजे (2003) (झालरापाटन)अभी तक 4 बार राजस्थान विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। (1990, 1990, 1993, 2009)
- राजस्थान में अभी तक 4 व्यक्तियों ने तीन या तीन से अधिक बार मुख्यमंत्री का पद संभाला है–मोहनलाल सुखाड़िया – (4 बार)
- हरिदेव जोशी – (3 बार)
- भैरोसिंह शेखावत – (3 बार)
- अशोक गहलोत – (3 बार)
राजस्थान के उपमुख्यमंत्री
- टीकाराम पालीवाल (पहले मुख्यमंत्री थे बाद में उपमुख्यमंत्री बना दिया गया) (1952)
- हरिशंकर भाभड़ा (1993)
- बनवारी लाल बैरवा (2002)
- कमला बेनीवाल (2003)
- सचिन पायलट (2018)
- राज्य के प्रथम मध्यावधि चुनाव 1980 में हुए जब छठी विधानसभा 5 वर्ष से पहले ही भंग कर दी गयी। पाँचवीं विधानसभा की अवधि 5 वर्ष से अधिक (आपातकाल के कारण) बढ़ाई गयी। यह एकमात्र विधानसभा थी जिसकी अवधि 5 वर्ष से अधिक थी।
- हरिदेव जोशी एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री है जो विधानसभा के अध्यक्ष भी रह चुके है। बरकतुल्ला खाँ एकमात्र मुख्यमंत्री है जिनका निधन पद पर रहते हुए हुआ है।हरिदेव जोशी, भैरोसिंह शेखावत तथा वसुंधरा राजे तीन ऐसे मुख्यमंत्री थे जो राजस्थान विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं।