राज्य का महाधिवक्ता ( advocate general of rajasthan GK )
Table of Contents
- संविधान के भाग-VI के अनुच्छेद 165 में महाधिवक्ता की व्यवस्था की गयी है।
- महाधिवक्ता राज्य का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी होता है।
- महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाती है।
महाधिवक्ता पद की अर्हताएँ [अनुच्छेद 165 (1)]
- महाधिवक्ता में उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता हाेनी चाहिए अर्थात् भारत का नागरिक होना चाहिए। उसे दस वर्ष तक न्यायिक अधिकारी का या उच्च न्यायालय में 10 वर्षो तक वकालत करने का अनुभव होना चाहिए।
संविधान में महाधिवक्ता का कार्यकाल
- संविधान में महाधिवक्ता का कार्यकाल को निश्चित नहीं माना गया है।
- राज्यपाल के प्रसादपर्यन्त बना रहता है अर्थात् राज्यपाल उसे कभी भी हटा सकता है। [अनुच्छेद 165 (3)]
- वह अपने पद से त्यागपत्र देकर भी कार्यमुक्त हो सकता है। सामान्यत: वह त्यागपत्र तब देता है जब सरकार (मंत्रीपरिषद) त्यागपत्र देती है या पुनस्थापित होती है क्योंकि उसकी नियुक्ति सरकार की सलाह पर होती है।
- वेतन-भत्तों का निर्धारण राज्यपाल द्वारा ही किया जाता है। (संविधान में निश्चित नहीं किया गया है।)
कार्य एवं शक्तियाँ
राज्य में वह मुख्य कानून अधिकारी होता है। इस नाते महाधिवक्ता के कार्य निम्न है-
- राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गए विधि संबंधी विषयों पर राज्य सरकार को सलाह दें।
- संविधान या किसी अन्य विधि द्वारा प्रदान किए गए कृत्यों पर निर्वहन करना।
- अपने कार्य संबंधी कर्त्तव्यों के तहत उसे राज्य के किसी न्यायालय के समक्ष सुनवाई का अधिकार है।
राजस्थान के महाधिवक्ता कौन है वर्तमान
- महाधिवक्ता विधानसभा या संबंधित समिति अथवा उस सभा में जहाँ के लिए वह अधिकृत है में बोलने व भाग लेने का अधिकार है लेकिन मताधिकार नहीं है।
- राज्य पुनर्गठन अधिनियम 1956 के द्वारा राजस्थान राज्य के निर्माण के साथ एडवोकेट जनरल राजस्थान का कार्यालय अस्तित्व में आया।
- नव सृजित राजस्थान के पहले एडवोकेट जनरल जी.सी. कासलीवाल को मनोनीत किया गया।
- एडवोकेट जनरल का कार्यालय राजस्थान सरकार से संबंधित सभी प्रकार के मुकदमों की पैरवी करता है।
- ए.जी. कार्यालय की मुख्य पीठ जोधपुर में है तथा इसकी ब्रांच जयपुर में है।
- वर्तमान एडवोकेट जनरल ऑफ राजस्थान:- महेन्द्र सिंह सिंघवी।