भारत में आपातकालीन प्रावधान

राष्ट्रीय आपात स्थिति (अनुच्छेद 352): रू राष्ट्रीय आपात स्थिति की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा युद्ध, बाह्य आक्रमण एवं सैन्य विद्रोह की स्थिति में या वैसी स्थिति आने के पूर्व की जा सकती है। इस प्रकार की घोषणा संसद के दोनों सदनों के समक्ष प्रस्तुत की जाती है एवं यदि एक माह के भीतर संसद द्वारा स्वीकृत नहीं की जाये तो यह लागू होना संभव नहीं होती।

भारत में आपातकालीन प्रावधान

यदि घोषणा के समय या उसके एक माह के भीतर लोकसभा भंग हो जाती है तो उसके दुबारा सत्र में आने के तीस दिनों के भीतर इस घोषणा की स्वीकृति इसे प्राप्त होनी चाहिए। दोनों सदनों के विशेष बहुमत द्वारा प्रत्येक छह माह पर इसे स्वीकृति मिलती रहनी चाहिए।

  • 26 अक्टूबर, 1962 से 10 जनवरी, 1968 तक ;भारत-चीन युद्ध के समयुद्ध।
  • 3 दिसम्बर, 1971 से 25 जून, 1975 तक (भारत-पाक युद्ध के समय)।
  • 25 जून, 1975 से 21 मार्च, 1977 तक (आंतरिक अशांति के कारण)।

44वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1978 द्वारा ‘आंतरिक अशांति’ शब्दों के स्थान पर ‘सशस्त्र विद्रोह’ रख दिया गया है। इसका तात्पर्य यह है कि सशस्त्र विद्रोह से कम किसी आंतरिक अशांति के आधार पर आपात की उद्घोषणा करना संभव नहीं है।

राज्यों में आपात स्थिति या राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) रू किसी राज्य में आपात स्थिति की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा तब की जा सकती है, जब किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा भेजे गये निर्देश या अन्य किसी स्रोत से प्राप्त सूचनाओं से वह संतुष्ट हो कि उस राज्य में संविधान तंत्र के अनुसार शासन नहीं हो रहा है।

इस प्रकार की घोषणा के साथ उस राज्य की सभी विधायी एवं कार्यपालिका संबंधी शक्तियां राष्ट्रपति में समाहित हो जाती है। राष्ट्रपति राज्य की विधायी शक्तियों का प्रयोग करने का अधिकार संसद को दे सकता है, पर इसके सत्र में नहीं रहने पर राष्ट्रपति स्वयं संचित निधि से निकासी का निर्देश देता है एवं राज्य के लिए अध्यादेश भी जारी करता है जिसकी पुष्टि संसद के सत्र में आने पर उसके द्वारा कर दी जानी चाहिए।

राष्ट्रपति शासन की घोषणा का अनुमोदन संसद के द्वारा दो महीने के भीतर हो जाना चाहिए। यदि लोकसभा सत्र में नहीं है या घोषणा के 2 महीने के भीतर भंग कर दी जाती है तो उसकी पुनः बैठक के 30 दिन के भीतर इसका अनुमोदन होना आवश्यक है। दोनों सदनों के विशेष बहुमत के प्रस्ताव से इस घोषणा को 6 महीने के लिए बढ़ाया जा सकता है, पर इस प्रकार की आपात स्थिति की अधिकतम अवधि तीन वर्ष़ों की ही हो सकती है।

सर्वप्रथम पंजाब में 20 जून, 1951 को राष्ट्रपति शासन लागू हुआ जो 17 अप्रेल, 1952 तक प्रवर्तन में रहा। राष्ट्रपति शासन की सबसे

लम्बी अवधि जम्मु कश्मीर में ही रही। इस प्रदेश में 11 मई, 1987 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया जो 25 फरवरी, 1992 तक प्रवर्तन में रहा। राष्ट्रपति शासन की सबसे कम अवधि कर्नाटक में केवल 7 दिन रही। इस राज्य में 10 अक्टूबर, 1990 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया जो 17 अक्टूबर, 1990 को समाप्त हो गया।

वित्तीय आपात स्थिति (अनुच्छेद 360) रू इस प्रकार की घोषणा राष्ट्रपति उस स्थिति में कर सकता है, यदि उसे विश्वास हो कि भारत या उसके किसी भाग का वित्तीय स्थायित्व एवं साख खतरे में है। इस घोषणा के साथ उस भाग का वित्तीय नियंत्रण केन्द्र के हाथ में आ जाता है। अभी तक वित्तीय आपातकाल की स्थिति नहीं आई है।

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