वर्तमान में मौलिक कर्त्तव्यों की संख्या 11 है, जो इस प्रकार है
प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों, संस्थाओंराष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे।
स्वतंत्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करें।
भारत की प्रभुता, एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे।
देश की रक्षा करे और आह्वान किये जाने पर राष्ट्र की सेवा करे।
भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे जो धर्म, भाषा और प्रदेश या वर्ग पर आधारित मतभेदों से परे हो, ऐसी प्रथाओं का त्याग करे जो स्त्रियों के सम्मान के विरूद्ध हो।
हमारी मिली-जुली सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझे और उसका परिरक्षण करे।
प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और उसका संवर्धन करे तथा प्राणी मात्र के प्रति दयाभाव रखे।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करे।
सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे और हिंसा से दूर रहे।
व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत प्रयास करे जिससे राष्ट्र निरन्तर बढ़ते हुए प्रयत्न और उपलब्धि की नई ऊंचाई को छू सके।
6 से 14 वर्ष के बच्चों को उनके अभिभावक अथवा संरक्षक अथवा प्रतिपालक हर परिस्थिति में शिक्षा के अवसर प्रदान करे। 86वां संविधान संशोधन 2002 के द्वारा जोड़ा गया।
केवल भारतीय नागरिकों को प्राप्त मूल-अधिकार – मौलिक अधिकार
अनुच्छेद 15 – धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग या जन्म-स्थान के आधार पर विभेद का प्रतिषेध।
अनुच्छेद 16 – लोक नियोजन में अवसर की समानता।
अनुच्छेद 19 – वाक् स्वातंत्र्य आदि विषयक कुछ अधिकारों का संरक्षण।
अनुच्छेद 29 – अल्पसंख्यक वर्ग़ों के हितों का संरक्षण।
अनुच्छेद 30 – शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अल्पसंख्यक वर्ग़ों का अधिकार, उक्त अधिकारों के अतिरिक्त अन्य सभी मौलिक अधिकार भारतीय नागरिकों के साथ विदेशियों को भी प्राप्त है।