India History in Hindi

त्रिपक्षीय संघर्ष

हर्ष की मृत्यु के बाद उत्तरी भारत में पुन: राजनैतिक विकेन्द्रीकरण व विभाजन की प्रक्रिया पुन: प्रारम्भा हो गई। हर्ष का कोई भी उत्तराधिकारी नहीं था, अत: छोटे-छोटे क्षेत्रीय राज्यों ने अपने आप को पुन: स्वतंत्र कर लिया, जैसे – असम कामरूप के शासक भास्कर वर्मा ने कर्णसुवर्ण व उसके आस-पास के क्षेत्र को जीतकर …

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गहडवाल वंश व चन्देल वंश

गहड़वाल वंश चन्द्रदेव ने 1080 से 1085 ई.  के मध्य गहड़वाल राजवंश की नींव रखी। इसकी राजधानी भी कन्नौज थी। यह चन्द्रवंशी थे। चन्दद्रेव का पौत्र गोविन्द चन्द्र (1114 से 1155ई.) इस वंश का सर्वाधिक महत्वपूर्ण शासक था उसने पालों से मगध जीता। लक्ष्मीधर प्रकाण्ड विद्वान था उसने कृत्यकल्पतरू नामक ग्रन्थ की रचना की। विजय चन्द्र …

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मालवा के परमार व कश्मीर का इतिहास

इस वंश का संस्थापक उपेन्द्र था व प्रथम महत्वपूर्ण राजा सीयक द्वितीय था।परमार वंश की शक्ति का वास्तविक उदय सीयक के पुत्र वाक्पति मुंज (972 से 994ई.) के समय हुआ।उसने धारा में मुंज सागर झील का निर्माण करवाया। मालवा के परमार मुंज एक प्रतिभावान कवि व विद्वानों का संरक्षक था। ‘नवसाहसांक चरित’ के लेखक ‘पद्यगुप्त’ ‘दशरूपक’ के …

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अरब आक्रमण | तुर्क आक्रमण

अरब आक्रमण | तुर्क आक्रमण भारत में प्रथम मुस्लिम आक्रांता । अरबों ने प्रथम आक्रमण – सिंध पर किया। सिंध की राजधानी – आलौर थी। सिंध का शासक दाहिर (ब्राह्मण वंश का शासक) तथा दाहिर का पिता चच था। रावरकायुद्ध – 712 ई. दाहिर व मोहम्मद बिन कासिम के मध्य 712 ई. में हुआ। इराक के गवर्नर अल हज्जाज के कहने पर …

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भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का विस्तार

1772 ई. में वॉरेन हेस्टिंग्स को बंगाल का गवर्नर नियुक्त किया गया। इसने ‘मुगल संप्रभुता के मुखौटे को उतार फेंका’ और बंगाल का पूरा प्रशासन अपने हाथों में ले लिया। मुगल बादशाह इस समय मराठों के संरक्षण में रहउ रहे थे। विश्वासघात के लिए उसे दंडित करने हेतु उसका वार्षिक अनुदान रोक दिया गया। इसके …

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भारत में फ्रांसीसियों का आगमन

फ्रांसीसियों ने भारत में सबसे अन्त में प्रवेश किया। इनसे पहले यहाँ पर पुर्तगाली, डच और अंग्रेज लोग अपनी व्यापारिक कोठियाँ स्थापित कर चुके थे। फ्रांस के सम्राट लुई 14वें के मंत्री कोलबर्ट के सहयोग से 1664 ई. में भारत में फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई। यह सरकारी आर्थिक सहायता पर निर्भर थी, …

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भारत में अंग्रेजों आगमन

इंग्लैण्ड की रानी एलिजाबेथ-I के समय में 31 दिसम्बर, 1600 को दि गवर्नर एण्ड कम्पनी ऑफ लन्दन ट्रेंडिंग इन्टू दि ईस्ट इंडीज अर्थात् ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना हुई। इस कम्पनी की स्थापना से पूर्व महारानी एलिजाबेथ ने पूर्वी देशों से व्यापार करने के लिए चार्टर तथा एकाधिकार प्रदान किया। भारत में अंग्रेजों आगमन …

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भारत में डचों का आगमन

दक्षिण-पूर्व एशिया के मसाला बाजारों में सीधा प्रवेश प्राप्त करना ही डचों का महत्वपूर्ण उद्देश्य था। डच लोग हालैण्ड के निवासी थे। भारत में ‘डच ईस्ट इंडिया कम्पनी की स्थापना 1602 ई. में की गई। भारत में डचों का आगमन 1596 ई. में भारत में आने वाला प्रथम डच नागरिक कारनोलिस डेडस्तमान था।10 मार्च 1602 …

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भारत में यूरोपियों का आगमन

अट्‌ठारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में मुगल साम्राज्य के शीघ्र विघटन के कारण विविध भारतीय शक्तियों में राजनीतिक शून्यता को भरने के लिए तीव्र प्रतिद्वंद्विता दृष्टिगोचर हुई। कुछ समय के लिए ऐसा प्रतीत हुआ, कि मराठे मुगलों के स्थान पर भारत में सर्वाधिक शक्तिशाली हैं। लेकिन उनकी शक्ति के हृास ने भी यूरोपीय व्यापारिक कंपनियों को …

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भारत में सामाजिक और धार्मिक आंदोलन

प्रारंभ से ही भारतीय समाज और संस्कृति परिवर्तन और निरंतरता की प्रक्रिया से गुज़रती रही है। (19वीं शताब्दी के दौरान भारत सामाजिक-धार्मिक सुधारों और सांस्कृतिक पुनरुद्धार के एक और चरण से गुज़रा। इस समय तक भारतीय यूरोपियों और उनके माध्यम से उनकी संस्कृति के संपर्क में आ चुके थे। सामाजिक और धार्मिक आंदोलन भारत में अंग्रेज़ी शिक्षा के …

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