Constitution of India in Hindi

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राजस्थान मंत्रिपरिषद् – राज्य मंत्रिपरिषद GK

राज्य मंत्रिपरिषद् – संवैधानिक प्रावधान अनुच्छेद 163 के अनुसार राज्यपाल को सलाह एवं सहायता देने के लिये एक मंत्रिपरिषद् होगी जिसका प्रमुख मुख्यमंत्री हाेता है। राज्यपाल अपने स्वविवेक शक्तियों के अलावा सभी कृत्यों का प्रयोग मंत्रिपरिषद् की सलाह पर करता है। नोट – राज्यपाल को मंत्रिपरिषद् का परामर्श मानना अनिवार्य है। परामर्श को एक बार भी पुन: …

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विभिन्न वैधानिक आयोग

संसद द्वारा मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 पारित किया गया जिसके तहत एक राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग एवं प्रत्येक राज्य में राज्य मानवाधिकार आयोग गठित करने का प्रावधान किया गया। मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम 1993 की धारा 21(1) के तहत राजस्थान राज्य में 18 जनवरी,1999 को राजस्थान राज्य मानवाधिकार आयोग का गठन किया गया था जिसने …

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विधिक अधिकार

विधिक अधिकार – राजस्थान लोक सेवा गांरटी अधिनियम 2011 यह अधिनियम 14 नवम्बर, 2011 को राज्य में लागू हुआ। जिसमें प्रथमत: 15 विभागों की 108 सेवाएं अधिसूचित की गई। इस एक्ट का मुख्य उद्देश्य “निर्धारित समय-सीमा में जनसेवाओं काे प्रस्तुत” करना है। प्रावधान वर्तमान में इस एक्ट में 25 विभागों की 221 सेवाएं शामिल है। …

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संघीय न्यायपालिका

संघीय न्यायपालिका – सर्वोच्च न्यायालय भारत का सर्वोच्च न्यायालय नई दिल्ली में है। सर्वोच्च न्यायालय में एक मुख्य न्यायाधीश और 30 (1+30) = 31 न्यायाधीश होते हैं। मुख्य न्यायाधीश व अन्य न्यायाधीशों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है। सर्वोच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाने का अधिकार भारत की संसद को …

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संघीय व्यवस्थापिका क्या है?

राज्यसभा (Council of State) राज्यसभा भारतीय संसद का उच्च सदन, द्वितीय सदन और स्थायी सदन है। राज्यसभा राज्यों का प्रतिनिधित्व करती है। राज्यसभा के सदस्य कुल 250 (238 + 12) हो सकते हैं। वर्तमान समय में राज्यसभा के सदस्यों की संख्या 245 हैं। जिनमें से 233 (229 + 4) सदस्य निर्वाचित किये जाते हैं व …

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विधिक अधिकार एवं नागरिक अधिकार-पत्र

लीलॉक के अनुसार “कानूनी अधिकार उन विशेष अधिकारों को कहा जाता है, जो एक नागरिक को अन्य नागरिकों के विरूद्ध प्राप्त होते है तथा जो राज्य की सर्वोच्च शक्ति द्वारा प्रदान किये जाते हैं एवं जिनकी रक्षा राज्य द्वारा की जाती है। विधिक अधिकार (Legal Right) इस प्रकार विधिक अधिकार विधि द्वारा मान्य एवं संरक्षित …

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भारतीय संविधान में लोक नीति ( Public Policy )

जनता की अनेक समस्याओं एवं माँगों के समाधान के लिए सरकार जो नीतियाँ बनाती है, लोकनीतियाँ कहलाती है। लोकनीति वह है जो सरकार वास्तव में करती है ना कि वह जो वो करना चाहती है। नीति वह माध्यम है जिसके सहारे लक्ष्यों को प्राप्त किया जाता है। नीति आवश्यकतानुरूप परिवर्तनशील है। लोकनीति के अर्थ को …

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भारतीय संविधान के मौलिक कर्त्तव्य

सरदार स्वर्ण सिंह समिति के सुझाव पर संविधान के 42वें संशोधन (1976 ई0) के द्वारा मौलिक कर्त्तव्य को संविधान में जोड़ा गया। इसे भाग 4(क) में अनु0 51(क) के तहत रखा गया। इसे सोवियत रूस के संविधान से लिया गया है। वर्तमान में मौलिक कर्त्तव्यों की संख्या 11 है, जो इस प्रकार है प्रत्येक नागरिक …

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भारतीय संविधान के नीति निर्देशक तत्व

नीति निर्देशक तत्वों का वर्णन संविधान के भाग 4 में अनुच्छेद 36 से 51 में मिलता है। नीति निर्देशक सिद्धान्त आयरलैण्ड के संविधान से लिये गये हैं। नीति निर्देशक तत्वों के माध्यम से सामाजिक व आर्थिक लोकतंत्र की स्थापना की गई है। नीति निर्देशक तत्व सरकारों के नाम सकारात्मक आदेश हैं। इनका पालन करवाने के …

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भारतीय संविधान के मौलिक अधिकार

भारतीय संविधान के भाग 3 में अनुच्छेद 12 से 35 तक नागरिकों के मौलिक अधिकारों का वर्णन है। इसलिए संविधान के भाग 3 को मैग्नाकार्टा कहा जाता हैं। मौलिक अधिकार क्या है प्रारम्भ में नागरिकों के 7 मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44वें संविधान संशोधन, 1978 के द्वारा सम्पत्ति के मौलिक अधिकार को मौलिक अधिकारों की सूची से …

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