February 2021

मेहरानगढ़ दुर्ग

निर्माता :- राव जोधा समय :- मई 1459 में नींव :- करणी माता द्वारा चिड़ियाटूंक पहाड़ी पर निर्मित गिरि दुर्ग। (पचेटिया पहाड़ी पर निर्मित)। आकृति :- मोर (म्यूर) के समान। अन्य नाम :- म्यूरध्वज, गढ़चिन्तामणि (कुण्डली के अनुसार नामकरण)। इस दुर्ग की नींव में राजिया (राजाराम) मेघवाल को जीवित चुना गया। मेहरानगढ़ दुर्ग मेहरानगढ़ दुर्ग के प्रवेश द्वार जयपोल – …

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राजस्थान में दुर्ग स्थापत्य

राजस्थान में दुर्ग स्थापत्य राजस्थान में महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश के पश्चात सर्वाधिक दुर्गों का निर्माण हुआ है। राजस्थान में दुर्गों के स्थापना का विकास का प्रथम आधार कालीबंगा की खुदाई में मिलता है। राजस्थान के 6 दुर्ग यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल :- 1. आमेर दुर्ग 2. गागरोण दुर्ग 3. कुम्भलगढ़ दुर्ग 4. …

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राजस्थान की हवेलियाँ

हवेली शब्द का शाब्दिक अर्थ ‘बंद जगह’ होता है जिसका प्रयोग भारत में सामान्यत: किसी ऐतिहासिक और वास्तुकला महत्ता के निजी आवास के लिए प्रयुक्त किया जाता था। राजस्थान में हवेली स्थापत्य कला का विकास स्वतंत्र रूप से हुआ। हवेली निर्माण में मुख्य योगदान राजस्थान के सेठ-साहूकारों का रहा है। हवेली स्थापत्य कला का विकास …

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राजस्थान के महल

राजस्थान के महल जयपुर महल आमेर का महल आमेर की मावठा झील के पास की पहाड़ी पर स्थित महल, जिसे कच्छवाहा नरेश मानसिंह द्वारा 1592 में बनाया गया। यह महल हिन्दू-मुस्लिम शैली का समन्वित रूप हैं। महल के मुख्य प्रवेश द्वार में प्रवेश करते ही राजपूत-मुगल शैली पर बना ‘दीवान-ए-आम’ है जो चारों ओर से …

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राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ

राजस्थान की प्रमुख छतरियाँ एक खम्भे की छतरी :- रणथम्भौर (सवाईमाधोपुर) में शृंगार चंवरी की छतरी :- चित्तौड़ दुर्ग में राणा कुंभा द्वारा निर्मित चार खम्भों की छतरी। गोराधाय की छतरी :- जोधपुर में महाराजा अजीतसिंह द्वारा अपनी धायमाता गोराधाय की स्मृति में निर्मित चार खम्भों की छतरी। बजारों की छतरी :- लालसोट (दौसा) में स्थित 6 खम्भों की …

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राजस्थान के प्रमुख स्तम्भ

राजस्थान के प्रमुख स्तम्भ विजय स्तम्भ निर्माता :- महाराणा कुम्भा सारंगपुर युद्ध (1437 ई.) में विजय के उपलक्ष्य में। निर्माण समय :- 1440-1448 ई. तक। शिल्पी :- जैता, नापा, पूंजा व पोमा। यह स्तम्भ 9 मंजिला व 122 फुट ऊँचा हैं। उपनाम :- कीर्ति स्तम्भ, हिन्दू मूर्तिकला का अनमोल खजाना, हिन्दू मूर्तिकला का अजायबघर एवं भारतीय मूर्तिकला का विश्वकोष (डॉ. गोट्ज के …

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राजस्थान की बावड़ीया

राजस्थान की बावड़ी रानीजी की बावड़ी :- यह बूँदी नगर में स्थित है जो बावड़ियों का सिरमौर है। इस अनुपम बावड़ी का निर्माण 1699 ई. में राव राजा अनिरुद्ध की रानी लाडकंवर नाथावती ने करवाया था। इस कलात्मक बावड़ी के तीन तौरणद्वार हैं। यह बावड़ी करीब 300 फीट लम्बी व 40 फीट चौड़ी है। यह एशिया …

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राजस्थान की दरगाह और मस्जिदें

दरगाह एवं मस्जिद ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह अजमेर में। 1135 ई. में संजरी (फारस) में जन्मे ख्वाजा साहब की दरगाह कौमी एकता का सदाबहार चरचश्मा (केन्द्र) है। हजरत शेख उस्मान हारुनी के शिष्य ख्वाजा मुइनुद्दीन चिश्ती के इंतकाल के 231 वर्ष बाद सन् 1464 ई. में मांडू (मालवा) सुल्तान ग्यासुद्दीन मेहमूद खिलजी के द्वारा …

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राजस्थान की नाट्यकला

राजस्थान की नाट्यकला राजस्थान में आदिवासी भीलों संस्कृति में लोकनाट्यों की परम्परा रही हैं जिसने राज्य में लोकनाट्यों के विकास में योगदान दिया हैं। तुर्रा कलंगी यह राजस्थान में सबसे प्राचीन लोकनाट्यों में से एक हैं। इसकी रचना मेवाड़ के दो पीर सन्तों शाहअली और तुक्कनगीर ने की थी। सामंतवादी काल के दौरान लोकनाट्यों को राजकीय संरक्षण …

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राजस्थान के प्रमुख लोकनाट्य

राजस्थान के प्रमुख लोकनाट्य ख्याल विषय :- पौराणिक, ऐतिहासिक एवं वीराख्यान। राजस्थान के लोकनाट्यों में सबसे लोकप्रिय विद्या हैं। संगीत प्रधान लोकनाट्य । प्रमाण :- 18 वीं सदी में। प्रयुक्त वाद्य यंत्र -: नगाड़ा, हारमोनियम, सारंगी, मंजीरा, ढोलक। ख्याल का नाम प्रवर्तक प्रचलन क्षेत्र विशेषताएं तुर्रा-कलंगी ख्याल शाह अली ( शक्ति उपासक) तुक्कनगीर (शिव उपासक) निम्बाहेड़ा, घोसूण्डा(चतौड़) नीमच …

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